अपडेटेड 11 December 2025 at 00:00 IST

SIR Debate In Parliament: पहचानो, हटाओ और देश से बाहर करो... लोकसभा में अमित शाह के संबोधन की 10 बड़ी बातें

SIR Debate In Parliament : बुधवार को देश के लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 'चुनाव सुधारों पर चर्चा' पर अपना जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि दो दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। लोगों के बीच इस तरह का संदेश देने की कोशिश की गई कि हम चर्चा नहीं चाहते।

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Amit Shah
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह | Image: Amit Shah/YouTube/Republic

SIR Debate In Parliament: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि संसद देश की चर्चा की सबसे बड़ी पंचायत है और हम चर्चा से कभी नहीं भागते।

अमित शाह ने कहा कि कोई भी मुद्दा हो संसद के नियमों के अनुसार हम हमेशा चर्चा के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष गहन पुनरीक्षण (SIR) के नाम पर चर्चा चाहता था, लेकिन इस विषय पर इस सदन में चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि गहन पुनरीक्षण की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है और आयोग सरकार के तहत काम नहीं करता है। शाह ने कहा कि चुनाव सुधारों पर चर्चा होनी तय हुई थी, लेकिन विपक्ष के अधिकतर सदस्यों ने SIR पर चर्चा की।

अमित शाह ने साफ कहा कि सरकार की नीति गैर-कानूनी घुसपैठियों और अवैध रूप से रह रहे लोगों के प्रति बिल्कुल स्पष्ट है, “पहचानो, हटाओ और देश से बाहर करो।” आइए जानते हैं लोकसभा में अमित शाह के संबोधन की 10 बड़ी बातें…

अमित शाह के संबोधन की 10 बड़ी बातें

  1. अमित शाह ने कहा कि SIR पर चार महीने से एकतरफा झूठ फैलाया जा रहा है और देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के संविधान के अनुच्छेदों से चुनाव आयोग की रचना हुई और चुनाव आयोग एक प्रकार से संवैधानिक संस्था है। संविधान ने फ्री एंड फेयर चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की तय की है, मतदाता सूची बनाने और उसमें सुधार की जिम्मेदारी भी चुनाव आयोग की है।
  2. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे लोकतांत्रिक इतिहास की शुरूआत 1952 में हुई और सबसे पहला मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) 1952 में हुआ, दूसरा 1957 में और तीसरा  1961 में हुआ तब विपक्षी पार्टी के प्रधानमंत्री थे। 1965 और 1966 में भी पुनरीक्षण हुआ उस समय भी विपक्षी दल के प्रधानमंत्री थे। फिर 1983-84, 1987-89 और 1992- 93-95 में हुआ तब भी मुख्य विपक्षी दल के नेता प्रधानमंत्री थे। जब 2002-03 में पुनरीक्षण हुआ तब उनकी पार्टी के नेता प्रधानमंत्री थे। अमित शाह ने कहा कि 2004 में गहन पुनरीक्षण समाप्त हुआ। 2004 के बाद सीधा 2025 में गहन पुनरीक्षण हो रहा है और इस पूरी प्रक्रिया का आज तक किसी भी दल ने विरोध नहीं किया है क्योंकि यह चुनावों को पवित्र रखने, चुनाव के उद्देश्यों और लोक तंत्र को पवित्र रखने की प्रक्रिया है।
  3. अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में जिस आधार पर चुनाव पर होते हैं, वह मतदाता सूची ही अगर प्रदूषित है तो चुनाव कैसे साफ सुथरे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण जरूरी है इसीलिए चुनाव आयोग ने फैसला किया कि 2025 में इसे किया जाएगा।
  4. अमित शाह ने कहा कि 2010 में एक व्यवस्था की गई कि किसी का नाम मतदाता सूची में से नहीं काट सकते और उस समय भी मुख्य विपक्षी पार्टी की सरकार थी। मृत्यु होने या दो जगह पर मतदाता होने पर नाम काटना, 18 वर्ष की आयु होने पर नाम जोड़ना और जो विदेशी नागरिक हैं, उन्हें चुन-चुन कर डिलीट करना ही गहन पुनरीक्षण है। उन्होंने कहा कि अगर देश के प्रधानमंत्री या राज्य का मुख्यमंत्री कौन हो, ये घुसपैठिए तय करेंगे तो क्या किसी भी देश का लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है। एक मतदाता का एक से अधिक जगह पर वोट नहीं होना चाहिए।
  5. अमित शाह ने कहा कि SIR सिर्फ मतदाता सूची का शुद्धिकरण है लेकिन इससे कुछ दलों के राजनीतिक स्वार्थ आहत होते हैं। इस देश की संसद या राज्य की विधानसभा को चुनने के लिए विदेशी को वोट देने का अधिकार नहीं देना चाहिए।
  6. गृह मंत्री ने कहा कि गहन पुनरीक्षण मतदाता सूची में सुधार करने की प्रक्रिया ही है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची पुरानी हो या नई, विपक्ष का हारना तय है, ये मतदाता सूची से नहीं होता है। एंटी-इन्कंबेंसी का सामना उन्हें करना पड़ता है जो जनहित के विरुद्ध काम करते हैं। जब हम चुनाव हारते हैं तब विपक्ष मतदाता सूची का विरोध नहीं करता है, लेकिन जब हाल में हुए एक राज्य की तरह भारी हार मिलती है तब मतदाता सूची का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि जब आप जीतते हो तो चुनाव आयोग महान है, जब हारते हो तब चुनाव आयोग पर आरोप लगते हैं।
  7. अमित शाह ने कहा कि हम भी विपक्ष में बैठे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे राज्य हो या केन्द्र, हमने चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त पर कभी आरोप नहीं लगाए। चुनाव आयोग तटस्थता से चुनाव कराने वाला संस्थान है और इसे किसी राजनैतिक पार्टी नहीं बल्कि संविधान से मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण एक संवैधानिक प्रक्रिया है और संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर और अनर्गल आरोप लगाकर विपक्ष पूरी दुनिया में चुनाव आयोग की छवि धूमिल करने का काम कर रहा है। ऐसा करके विपक्ष दुनिया में भारत के लोकतंत्र की छवि धूमिल कर रहा है।
  8. अमित शाह ने कहा कि मई 2014 में नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विपक्ष को आपत्ति है। शाह ने कहा कि उनके गठबंधन ने तीन लोकसभा चुनाव और 41 राज्यों के विधानसभा चुनाव जीते यानी कुल 44 चुनाव जीते, साथ ही विपक्षी पार्टियों ने भी 30 विधानसभा चुनाव जीते हैं। अगर मतदाता सूची में गड़बड़ है तो चुनाव जीतने पर विपक्ष की पार्टियों ने शपथ क्यों ली और चुनाव ही क्यों लड़ा?
  9. अमित शाह ने कहा कि मतदाता सूची में अगर थोड़ी-बहुत गलतियां हैं, तो पुनरीक्षण किया जा रहा और इसका अर्थ ही मतदाता सूची को सुधारने की प्रक्रिया, लेकिन विपक्षी पार्टियां इसका बहिष्कार करती हैं और उनकी सरकारें इस प्रक्रिया में सहयोग नहीं करतीं। शाह ने कहा कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण विपक्ष की मांग है, और चुनाव आयोग वही कर रहा है।
  10. अमित शाह ने कहा कि विपक्ष की नीति है कि पहले घुसपैठियों को नॉर्मलाइज कर दो, मान्यता प्रदान कर दो और फिर मतदाता सूची में डालकर फॉर्मलाइज कर दो। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकी में इतना बड़ा परिवर्तन देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है। यह देश एक बार जनसांख्यिकी के आधार पर बंट चुका है और हम नहीं चाहते कि आने वाली पीढ़ियां इस देश के भी बंटवारे देखे। उन्होंने कहा कि विपक्ष 200 बार भी सदन का बहिष्कार करेगा, फिर भी हम एक भी घुसपैठिये को मतदान का अधिकार नहीं देंगे।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 11 December 2025 at 00:00 IST