अपडेटेड 8 December 2025 at 00:01 IST
150वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में गूंजेगा वंदे मातरम् का स्वर, 10 घंटे होगी चर्चा, PM मोदी करेंगे शुरुआत
वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में विशेष चर्चा होगी। पीएम मोदी सोमवार लोकसभा में बहस शुरू करेंगे और राज्यसभा में मंगलवार को अमित शाह चर्चा की शुरुआत करेंगे।
- भारत
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Discussion On Vande Mataram : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी धुन 'वंदे मातरम्' की रचना को पूरे 150 साल हो चुके हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर संसद के दोनों सदनों में विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है, जो देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी विरासत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प दोहराएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को लोकसभा में इस बहस की शुरुआत करेंगे, जबकि राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह अगले दिन संवाद को आगे बढ़ाएंगे।
सोमवार को संसद भवन स्वतंत्रता संग्राम के अमर गीत 'वंदे मातरम्' से गूंजने के लिए तैयार है। भारत के राष्ट्रगीत पर चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि गीत के ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ कुछ अनसुने तथ्यों को भी सामने लाया जाएगा। पीएम मोदी के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दूसरे वक्ता के रूप में बोलेंगे। विपक्ष की ओर से कांग्रेस के प्रमुख नेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी सहित कई सांसद भाग लेंगे।
चर्चा हंगामेदार होने के आसार
इस चर्चा के दौरान हंगामे के भी आसार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर गीत के छंद हटाने का आरोप लगाया था। हालांकि, 2 दिसंबर को हुई बैठक में सभी पक्षों ने तय किया कि था कि यह बहस सकारात्मक रहेगी, जिसमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत किया जाएगा।
1870 के दशक में लिखा गया वंदे मातरम्
1870 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित यह गीत, प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' का हिस्सा है, 1882 में पहली बार प्रकाशित हुआ था। 1950 में इसे आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय गीत का दर्जा मिला। इसकी रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार ने संसदीय स्तर पर एक विशेष चर्चा का प्रावधान किया है, जो राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है।
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हाल ही में उन्होंने 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वंदे मातरम्' को स्वतंत्रता आंदोलन की अमर धरोहर करार देते हुए युवाओं से इसका नियमित गान करने की अपील की थी। सरकार का मानना है कि यह गीत न केवल सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। इसी कड़ी में केंद्र ने पहले ही एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी कर इसकी याद ताजा की है।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 8 December 2025 at 00:01 IST