अपडेटेड 19 April 2025 at 16:57 IST
महाराष्ट्र की राजनीति में क्या साथ आने वाले हैं ठाकरे ब्रदर्स? MNS चीफ के प्रस्ताव पर उद्धव ठाकरे ने दिया बड़ा संकेत
क्या ठाकरे ब्रदर्स महाराष्ट्र की राजनीति में साथ आने वाले हैं? MNS चीफ राज ठाकरे के प्रस्ताव पर उद्धव ठाकरे ने एक शर्त रखी।
- भारत
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महाराष्ट्र की सियासत में दशकों बाद एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने की जानकारी सामने आ रही है। दशकों से जो ठाकरे परिवार दो खेमे में बंट गई थी, वो अब शायद एक होने वाली है। हाल ही में एक पॉडकास्ट में राज और उद्धव ठाकरे के दिए गए बयान की वजह से ऐसी चर्चाएं शुरू हो गई है। बता दें, ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने का प्रस्ताव तो राज ठाकरे ने दिया। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी मनसे चीफ के प्रस्ताव तो ठुकराया नहीं, बल्कि बड़ा संकेत दे दिया।
बता दें, फिल्ममेकर महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में एक सवाल का जववाब देते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे ने कहा कि वो महाराष्ट्र के हित के लिए छोटे-मोटे मतभेदों को भुलाकर उद्धव ठाकरे के साथ काम करने को तैयार है। राज ठाकरे ने कहा, "हमारे बीच झगड़ा, मन मुटाव छोटी बात है, महाराष्ट्र बड़ा है। हमारे बीच मन मुटाव से बड़ा महाराष्ट्र का हित है। मराठी मानुस के अस्तित्व के सामने दोनो का झगड़ा/मन मुटाव कुछ नहीं।" फिर क्या था, उद्धव ठाकरे से जब एक अन्य कार्यक्रम में इसे लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने भी इसे लेकर हामी भरी, लेकिन एक शर्त के साथ।
उद्धव ने MNS चाीफ के साथ आने के लिए रखी शर्त
शिवसेना यूबीटी की ट्रेड यूनियन भारतीय कामगार सेना के एक आयोजन में उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह भी महाराष्ट्र और मराठी के लिए सारे मतभेद भुलाने के लिए तैयार हैं। लेकिन शर्त ये है कि राज ठाकरे को वादा करना होगा कि वह ऐसे दलों के साथ नहीं जाएंगे, जो महाराष्ट्र विरोधी हैं, या ऐसे दलों के साथ काम करते हैं।
उद्धव ठाकरे ने कहा, "मेरा तो मानना ऐसा है कि मराठी मानुस के लिए महाराष्ट्र के हित के लिए यह छोटे मोठे झगड़े को बाजू में रखने को मैं भी तैयार हूं। मैं सभी मराठी मानुस को महाराष्ट्र के लिए साथ आने का गुजारिश करता हूं, लेकिन मेरी एक शिकायत है, जब हम लोकसभा के समय कह रहे थे कि महाराष्ट्र का उद्योग गुजरात लेकर जाया जा रहा है, उसी वक्त विरोध किए होते तो केंद्र में सरकार वहां नहीं होती। महाराष्ट्र के हित की सरकार हम केंद्र में स्थापित करते और राज्य में भी महाराष्ट्र के विचार करने वाली सरकार होती। लेकिन उस वक्त समर्थन देने का फिर विरोध करने का और फिर गठजोड़ करने का ऐसा नहीं चलेगा। महाराष्ट्र के हित के बिच में जो भी कोई आएगा मैं उसके घर जाऊंगा नहीं, घर बुलाऊंगा नहीं, उसका स्वागत नहीं करूंगा, उसके साथ बैठूंगा नहीं। पहले यह तय कीजिए और फिर महाराष्ट्र के हित की बात कीजिए।"
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हमारे बीच जो झगड़ा है, चलिए मिटा देता…: उद्धव ठाकरे
उन्होंने आगे कहा कि बाकी मैं आज बोलता हूं हमारे बीच जो झगड़ा है, चलिए मिटा देता हूं। हमारे बीच को मेरे तरफ से कोई झगड़ा नहीं, लेकिन पहले यह तय कीजिये कि बीजेपी के साथ जाना है कि शिवसेना के साथ यानी मेरे साथ, गद्दार सेना के साथ नहीं, लेकिन तय कीजिये किसके साथ जाकर महाराष्ट्र और हिंदुत्व का हित होने वाला है। बीजेपी के साथ या मेरे साथ? बाकी क्या करना है समर्थन करना है , विरोध करना है बिना शर्त समर्थन करना है , मुझे कुछ नहीं कहना। मेरी एक ही शर्त है महाराष्ट्र का हित। बाकी किसी और के लिए समर्थन, प्रचार नहीं करेंगे। यह छत्रपत्ति शिवजी महाराज के सामने शपथ लीजिए।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 19 April 2025 at 16:57 IST