अपडेटेड 22 June 2024 at 20:46 IST
दलाई लामा ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के लिए दी बधाई
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी और नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के लिए बधाई दी।
- भारत
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तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी और नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के लिए बधाई दी। बता दें, पीएम मोदी ने बिहार के राजगीर में भारत के 1600 साल पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया।
दलाई लामा ने चिट्ठी में लिखा, "शिक्षा के केंद्रो के रूप में मूल नालंदा विश्वविद्यालयपूर्व में सूर्य की तरह चमकता था। कठोर अध्ययन, चर्चा और वाद-विवाद पर आधारित शिक्षा नालंदा में फली-फूली, जिसने एशिया भर से दूर-दूर के छात्रों को आकर्षित किया। छात्रों ने दर्शन, विज्ञान, गणित और चिकित्सा के अलावा अहिंसा और करुणा की सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं के बारे में सीखा, जो आज की दुनिया में न केवल प्रासंगिक है बल्कि आवश्यक भी।"
मैं कामना करता हूं यह और समृद्ध हो: दलाई लामा
दलाई लामा ने आगे लिखा, "इन सकारात्मक गुणों के अलावा, नालंदा में छात्रों ने मन और भावनाओं के कामकाज की गहन समझ विकसित की। मैं भारत भर में और दूर-दूर तक के युवाओं में प्राचीन भारतीय ज्ञान और बुद्धिमत्ता में बढ़ती रुचि से उत्साहित हूं। इसमें एक अधिक दयालु दुनिया के निर्माण में योगदान करने की बहुत बड़ी क्षमता है। चूंकि मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान में अधिक रुचि और जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं, इसलिए यह अद्भुत है कि इस ऐतिहासिक स्थान पर एक नया नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। मैं कामना करता हूं कि यह समृद्ध और समृद्ध हो।"
नालंदा विश्वविद्यालय ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रीज से 600 साल पुराना है। यहां ऐसे विषयों को पढ़ाया जाता है, जो दुनिया में अन्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता था। भारत की ये धरोहर बख्तियार खिलजी के भेंट चढ़ गई। इस यूनिवर्सिटी में करीब 300 से ज्यादा कमरें थे। इसके अलावा 7 बड़े-बड़े हॉल भी थे। यहां की लाइब्रेरी सबसे खास थी।
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तीन महीनों तक जलती रही किताबें
कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी नौ मंजिल की थी, जिसका नाम धर्मगूंज था। 5वीं सदी में गुप्त काल के शासक सम्राट गुप्त प्रथम ने 5वीं सदी में इसका निर्माण कराया था। हालांकि, 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी ने इसके पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। खिलजी ने इस विश्व विद्यालय में आग लगवा दी। यहां की लाइब्रेरी में इतनी किताबें थी कि तीन महीने तक ये जलता रहा। 7वीं सदी तक नालंदा यूनिवर्सिटी काफी प्रसिद्धि हासिल कर चुका था। नालंदा यूनिवर्सिटी बौद्ध मठ का हिस्सा था, जिसकी सीमा 57 एकड़ जमीन में फैली हुई थी।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 22 June 2024 at 20:16 IST