अपडेटेड 25 September 2024 at 13:01 IST

'मैं अपने शब्द वापस लेती हूं...', 'कृषि कानून' पर दिए बयान पर कंगना रनौत ने लिया यू-टर्न; मांगी माफी

Kangana Ranaut: भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में किसान कानूनों पर दिए बयान पर माफी मांगी है।

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Kangana Ranaut on Beef
कंगना रनौत | Image: @KanganaTeam/X

Kangana Ranaut: भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में किसान कानूनों पर दिए बयान पर माफी मांगी है। मालूम हो कि उन्होंने 'कृषि कानून' को फिर से लागू करने की वकालत की थी, जिससे विवाद होने लगा। उनकी इस टिप्पणी पर विपक्षी नेता लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं। इस बीच अब मंडी सासंद ने अपने इस बयान के लिए माफी मांगते हुए कहा है कि अगर उनके इस बयान से किसी को ठेस पहुंचा है तो वह अपने शब्द वापस लेती हैं।

कंगना रनौत माफी मांगते हुए कहती हैं कि 'कृषि कानून' पर दिए मेरे बयान से कई लोग निराश और हताश हैं। अगर मेरी बातों और मेरी सोच से किसी को निराशा हुई है तो मुझे खेद रहेगा और मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।

कृषि कानूनों पर दिया बयान लिया वापस

कंगना रनौत ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर कहा, 'पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे किसान कानून पर कुछ सवाल पूछे और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री मोदी से किसान कानून वापस लाने का अनुरोध करना चाहिए। मेरे इस बयान से कई लोग निराश और हताश हैं। जब किसान कानून प्रस्तावित किया गया था, तो हममें से कई लोगों ने इसका समर्थन किया था लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने बड़ी संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ इसे वापस ले लिया और हम सभी कार्यकर्ताओं का यह कर्तव्य है कि हम उनके शब्दों की गरिमा का सम्मान करें। मुझे भी यह ध्यान रखना होगा कि मैं अब कलाकार नहीं हूं, मैं भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता हूं और मेरी राय मेरी अपनी राय न होकर पार्टी का रुख होनी चाहिए। इसलिए अगर मेरी बातों और मेरी सोच से किसी को निराशा हुई है तो मुझे खेद रहेगा और मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।'

कंगना के बयान से बीजेपी ने किया किनारा

बता दें कि इससे पहले बीजेपी ने कंगना रनौत के इस बयान को निजी विचार बताते हुए पल्ला झाड़ लिया। भाजपा ने कहा कि इस मुद्दे पर बोलने के लिए उन्हें पार्टी की ओर से अधिकृत नहीं किया गया है। किसान कानूनों पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये बयान इस बात के संकेत हैं कि सत्तारूढ़ दल इन तीन कानूनों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है। हरियाणा उसका मुंहतोड़ जवाब देगा।

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कंगना रनौत का बयान ऐसे समय में आया है जब राजनीतिक दल पांच अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। हरियाणा में खासकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का बड़ा प्रदर्शन हुआ था जो इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे थे।

2021 में वापस हुए थे कृषि कानून

किसानों के विरोध के बाद तीन कृषि कानून - कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम; कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम; तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम - को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया था। किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ। ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे और नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए।

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 25 September 2024 at 12:41 IST