अपडेटेड 18 September 2024 at 15:54 IST
'वन नेशन वन इलेक्शन' पर आ गई कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया, कहा- ये संभव नहीं है, ध्यान भटकाने...
वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।
- भारत
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One Nation One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के बाद कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।
देश में वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे ध्यान भटकाने वाला करार दिया है। खड़गे ने कहा कि एक देश-एक चुनाव संभव नहीं है। बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है, ध्यान भटकने के लिए है। चुनाव की वजह से ये सब किया गया है।
अश्विनी वैष्णव का कांग्रेस पर पलटवार
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर पलटवार करते हुए कहा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विपक्ष में बहुत जल्दी उनके अंदर से दबाव ना बनने लग जाएं। देश में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने इसको सकारात्मक समर्थन दिया है, खास तौर से युवाओं ने।
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One Nation One Election की वकालत करते आए हैं पीएम मोदी
बता दें कि पीएम मोदी (PM Modi) हर मौके पर वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। पीएम मोदी ने कहा था, 'मैं सभी से एक राष्ट्र एक चुनाव के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है।
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15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से दिए गए भाषण में वन नेशन-वन इलेक्शन का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
One Nation One Election के क्या हैं फायदे
एक देश एक चुनाव का सबसे बड़ा फायदा यह है कि चुनाव का खर्च घट जाएगा। अलग-अलग चुनाव कराने पर हर बार भारी-भरकम राशि खर्च होती है। बार-बार चुनाव होने से प्रशासन और सुरक्षा बलों पर बोझ पड़ता है, क्योंकि उन्हें हर बार चुनाव ड्यूटी करनी पड़ती है। एक बार में चुनाव निपट जाने पर केंद्र और राज्य सरकारें कामकाज पर फोकस कर सकेंगी। बार-बार वह इलेक्शन मोड में नहीं जाएंगी और विकास के कामों पर ध्यान दे सकेंगी।
626 पन्नों की रिपोर्ट
यह कमेटी इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। 191 दिनों तक विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद कमेटी ने 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट दी है। इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, जिससे लोकसभा चुनाव के साथ ही इनके चुनाव भी कराए जा सकें।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 18 September 2024 at 15:54 IST