अपडेटेड 18 September 2024 at 15:13 IST

BIG BREAKING: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 'वन नेशन वन इलेक्शन' प्रस्ताव पर कैबिनेट ने लगाई मुहर

मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 'एक देश एक चुनाव' प्रस्ताव पर कैबिनेट ने लगाई मुहर

Follow : Google News Icon  
One Nation One Election
One Nation One Election | Image: PTI

One Nation One Election: पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के बाद कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) के प्रस्‍ताव को मंजूरी मिल गई है। वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी ने प्रस्‍ताव कैबिनेट के पास भेजी थी। कहा जा रहा है कि सरकार आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में इसे पेश कर सकती है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में यह रिपोर्ट पेश की थी।

कैबिनेट के सामने रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था। उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा ( Parliament ) और राज्य विधानसभाओं (Assembly) के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई थी। 

समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का भी प्रस्ताव रखा था। समिति के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा। लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी। इससे 'इंडिया, जो भारत है' की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। 

One Nation One Election की वकालत करते आए हैं पीएम मोदी

बता दें कि पीएम मोदी (PM Modi) हर मौके पर वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। पीएम मोदी ने कहा था, 'मैं सभी से एक राष्‍ट्र एक चुनाव के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है। 

Advertisement

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से दिए गए भाषण में वन नेशन-वन इलेक्शन का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।

One Nation One Election के क्‍या हैं फायदे

Advertisement

एक देश एक चुनाव का सबसे बड़ा फायदा यह है कि चुनाव का खर्च घट जाएगा। अलग-अलग चुनाव कराने पर हर बार भारी-भरकम राशि खर्च होती है। बार-बार चुनाव होने से प्रशासन और सुरक्षा बलों पर बोझ पड़ता है, क्योंकि उन्हें हर बार चुनाव ड्यूटी करनी पड़ती है। एक बार में चुनाव निपट जाने पर केंद्र और राज्य सरकारें कामकाज पर फोकस कर सकेंगी। बार-बार वह इलेक्शन मोड में नहीं जाएंगी और विकास के कामों पर ध्यान दे सकेंगी।

626 पन्नों की रिपोर्ट

यह कमेटी इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। 191 दिनों तक विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद कमेटी ने 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट दी है। इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, जिससे लोकसभा चुनाव के साथ ही इनके चुनाव भी कराए जा सकें।

इसे भी पढ़ें- मोबाइल में बिजी...नाले में गिरा; बर्थडे पर आया मौत का बुलावा- VIDEO

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 18 September 2024 at 14:40 IST