अपडेटेड November 27th 2024, 20:49 IST
Jhunjhunu By election: राजस्थान के झुंझुनू विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने इतिहास रचते हुए ओला परिवार के दशकों पुराने गढ़ को ध्वस्त कर दिया। इस जीत ने न केवल भाजपा को एक महत्वपूर्ण सीट दिलाई बल्कि यह भी साबित कर दिया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नेतृत्व क्षमता और संगठनात्मक कौशल ने राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है।
झुंझुनू सीट लंबे समय से कांग्रेस का अभेद्य किला मानी जाती थी। शीशराम ओला और उनके परिवार ने इस सीट पर दशकों तक दबदबा बनाए रखा। शीशराम ओला आठ बार विधायक और पांच बार सांसद रह चुके थे, जबकि उनके पुत्र बृजेन्द्र ओला लगातार चार बार विधायक चुने गए थे। लेकिन इस बार भाजपा ने साधारण पृष्ठभूमि के कार्यकर्ता राजेन्द्र भांभू को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस के गढ़ को चुनौती दी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने झुंझुनू को खासतौर पर प्राथमिकता दी। उन्होंने अपने दो मंत्रियों, अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा को नामांकन के साथ ही झुंझुनू में डेरा डालने को कहा। जब भाजपा के पूर्व प्रत्याशी निषित चौधरी ने बगावत की, तो मुख्यमंत्री ने फौरन हस्तक्षेप कर उन्हें मनाया और पार्टी में एकजुटता बनाए रखी। भजनलाल शर्मा ने व्यक्तिगत रूप से दो बड़ी सभाएं कीं, जिनमें उन्होंने भाजपा की सरकार की उपलब्धियां जनता के सामने रखीं।
मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत निगरानी और संगठन के साथ तालमेल ने भाजपा को मजबूत बनाया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि भाजपा कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर सक्रिय रहें। जाट बहुल क्षेत्र में भाजपा ने समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट किया और ओला परिवार के प्रभाव को कमजोर कर दिया।
कांग्रेस ने ओला परिवार के बेटे अमित ओला को मैदान में उतारा था, लेकिन भाजपा की रणनीति ने कांग्रेस को 43 हजार वोटों के बड़े अंतर से पराजित कर दिया। यह जीत केवल एक सीट की जीत नहीं, बल्कि झुंझुनू में भाजपा के भविष्य की नींव रखने वाली बड़ी सफलता मानी जा रही है।
झुंझुनू उपचुनाव में भाजपा की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि भजनलाल शर्मा की माइक्रो मैनेजमेंट रणनीति और संगठन के साथ बेहतर तालमेल ने राजस्थान में भाजपा को एक नई ताकत दी है। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र में भाजपा ने विजय पताका लहराकर यह संदेश दिया कि राज्य की राजनीति में अब बदलाव का दौर शुरू हो चुका है।
पब्लिश्ड November 27th 2024, 20:49 IST