अपडेटेड 4 April 2024 at 12:24 IST
सनातन पर प्रहार और कांग्रेस की खामोशी, पड़ रहा भारी! प्रमोद कृष्णम के बाद गौरव वल्लभ को घुटन, Exit
सनातन पर खामोशी कांग्रेस के भीतर कई लोगों को साल रही है। एक एक करके कई बड़े नामों ने किनारा करना शुरू कर दिया है। ताजा नाम गौरव वल्लभ का है।

Gourav Vallabh Resigns on Anti Hindu Comment: कांग्रेस दिशाहीन हो गई है...सनातन का विरोध नहीं कर सकते' कुछ ऐसा ही कह दमदार प्रवक्ता और फायर ब्रांड नेता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। सनातन और राम नाम को लेकर कइयों ने कांग्रेस छोड़ी। इस तरह कह सकते हैं कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी की खामोशी टूटती बिखरती दिख रही है।
सनातन विरोध में दक्षिण से आवाज उठी तब भी कांग्रेस चुप्पी साधे रही, राम मंदिर में पार्टी के कद्दावर नहीं पहुंचे तब भी खामोशी बरती गई और शायद यही कारण है कि लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े और कांग्रेस के विचारों के प्रचार प्रसार में जुटे लोग टूट कर अलग हो गए। इनमें आचार्य प्रमोद कृष्णम, गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया, रोहन गुप्ता का नाम शामिल है।
वल्लभ ने किया किनारा, बताया दिशाहीन
वल्लभ ने 4 अप्रैल को धमाका कर दिया। जोर का! एक्स पर लिखा, 'पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उससे मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा हूं। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर को गाली दे सकता हूं। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं।'
गठबंधन की फांस में फंस कर कांग्रेस रह गई है- ऐसा कांग्रेस के नेता मानते आ रहे थे। दयानिधि स्टालिन हों, डी राजा हों सब एक-एक कर सनातन के विरोध में आवाज बुलंद कर रहे थे। कांग्रेस आलाकमान से एक्ट करने को कहा गया तो खामोशी साध ली गई। कसमसाहट को सबने महसूस किया। कोरोना वायरस, एचआईवी, सनातन को खत्म कर देंगे जैसे बयान पर देश भर में बवाल मच रहा था। तो कांग्रेस नेता भी मोर्चाबंदी कर रहे थे। सर्तक रहने की सलाह दी गई थी। कहा जाता है तब छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कहा- पार्टी को ऐसे मुद्दों से दूर रहना चाहिए और इसमें नहीं पड़ना चाहिए।
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40 साल तक जुड़े रहे फिर तोड़ दिया नाता
करीब 40 वर्षों तक पार्टी के साथ जुड़े रहे अर्जुन मोढवाड़िया पार्टी नेतृत्व की ओर से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ठुकराए जाने से आहत थे। यही कारण बता उन्होंने पार्टी छोड़ दी और भाजपा का दामन थाम लिया। खरगे को पत्र लिखा था। कहा-'जैसा कि आप जानते हैं कि जब कांग्रेस पार्टी नेतृत्व ने अयोध्या में बालक राम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से दूरी बनाई थी, तब मैंने 11 जनवरी 2024 अपनी नाराजगी दर्ज कराई थी...प्रभु राम सिर्फ हिंदुओं के ही पूज्यनीय नहीं हैं, बल्कि भारत की आस्था हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के निमंत्रण ठुकराने से भारत के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। एक पार्टी के तौर पर कांग्रेस लोगों की भावनाओं को समझने में असफल हो गई...'मैं कई लोगों से मिला, जो इस बात से नाराज थे कि कांग्रेस ने किस तरह से अयोध्या में महोत्सव से दूरी बनाकर भगवान राम का अपमान किया है। ध्यान भटकाने और इस मौके का अपमान करने के लिए राहुल गांधी ने असम में बवाल करने की कोशिश की, जिससे हमारा पार्टी कैडर और भारत के नागरिक ज्यादा नाराज हो गए।'
रोहन गुप्ता ने भी उठाए थे सवाल
ऐसा ही कुछ कह प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने कांग्रेस से एग्जिट किया। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कई बातें लिखीं। जिसमें विश्वासघात और सनातन अपमान का जिक्र था। इसमें किसी वामपंथी विचारधारा के नेता को टारगेट किया था। कहा- अपनी चरम वामपंथी मानसिकता के कारण उन्होंने सनातन धर्म के अपमान पर पार्टी की चुप्पी सुनिश्चित की, जिससे मुझे व्यक्तिगत रूप से ठेस पहुंची और मुझे राष्ट्रीय टीवी पर सनातन धर्म के खिलाफ बोलना पड़ा। इससे पार्टी की छवि और पार्टी के नेताओं के मनोबल को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
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आचार्य प्रमोद बाहर किए गए
आचार्य प्रमोद कृष्णम फरवरी 2024 में पार्टी से बाहर किए गए। वो महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबी माने जाते हैं। उनके खिलाफ अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी के आरोप लगाए गए। आचार्य प्रमोद ने 5 राज्यों के विधानसभा नतीजे घोषित होने के बाद लिखा था, 'सनातन का श्राप ले डूबा।' तब पार्टी 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से महज तेलंगाना बचा पाई थी बाकि 4 पर हार का सामना करना पड़ा था।
Published By : Kiran Rai
पब्लिश्ड 4 April 2024 at 11:52 IST