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अपडेटेड April 21st 2025, 15:34 IST

राहुल को आंखें दिखाने वाले अखिलेश के सुर कैसे बदले, क्या UP में सपा को दिखने लगा हार का सपना? गठबंधन की बात अब क्यों?

अखिलेश यादव यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव INDI अलायंस के बैनर तले लड़ने की बात कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस और सपा के बीच कुछ समय पहले तकरार देखी गई थी।

Reported by: Dalchand Kumar
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Akhilesh Yadav or Rahul Gandhi
Akhilesh Yadav or Rahul Gandhi | Image: PTI

Akhilesh Yadav-Rahul Gandhi: उत्तर प्रदेश के भीतर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच 'कभी खुशी-कभी गम' वाला रिश्ता रहा है। इसी रिश्ते को अखिलेश यादव ने बरकरार रखे हुए अबकी बार कांग्रेस के लिए खुशी वाला काम किया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया ने ऐलान किया है कि 2027 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव INDI अलायंस के साथ रहकर लड़ा जाएगा। मतलब ये है कि आगामी चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ चुनाव लड़ने वाली हैं।

दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तकरार रही। सपा के नेता कांग्रेस को ये एहसास करा रहे थे कि लोकसभा के चुनाव में उनकी वजह से पार्टी को लाभ मिला था। अखिलेश यादव ने भी इसमें कहा था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सांसद जिताने का काम समाजवादी पार्टी ने किया था। खैर, राहुल गांधी को आंखें दिखाने वाले अखिलेश यादव के सुर अभी गठबंधन की भाषा बोल रहे हैं।

अखिलेश यादव ने गठबंधन पर क्या बयान दिया?

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव रविवार को प्रयागराज में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। जब गठबंधन को लेकर उनसे सवाल पूछा गया तो अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्षी दलों का गठबंधन 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि गठबंधन (मौजूदा) है और रहेगा। अखिलेश ने अपने बयान में कहा कि PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) मिलकर बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेकेंगे और समाजवादी की सरकार बनाएंगे। इससे माना जा सकता है कि आगामी चुनावों में 'दो लड़कों की जोड़ी' एक साथ नजर आएगी।

गठबंधन की बात अब क्यों?

कांग्रेस को भूलना नहीं चाहिए कि कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने उन्हें एक भी सीट नहीं दी। कांग्रेस यूपी उपचुनावों को लेकर अपनी तैयारी में लगी थी। कुछ जिम्मेदारियां लोगों को सौंपी जा चुकी थीं। हालांकि समाजवादी पार्टी के दबाव में कांग्रेस को दबना पड़ा और किसी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारे। खैर, सवाल ये है कि अब समाजवादी पार्टी को गठबंधन धर्म की बात क्यों सूझ रही है? क्या माना जाए कि समाजवादी पार्टियों के नेताओं को आगामी चुनावों में हार के सपने अभी से आने लगे हैं।

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पब्लिश्ड April 21st 2025, 15:34 IST