अपडेटेड 21 April 2025 at 08:44 IST
Right to Information Act: देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता को लेकर एक ऐतिहासिक बहस फिर से तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर सुनवाई तय की है, जिनमें मांग की गई है कि सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे में लाया जाए। आज (21 अप्रैल) से शुरू होने वाले सप्ताह में यह बहस निर्णायक मोड़ ले सकती है।
राजनीतिक दलों की पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से अहम सुनवाई होने जा रही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख तय की जिनमें मांग की गई है कि सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आरटीआई अधिनियम के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” घोषित किया जाए।
यह याचिकाएं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय समेत कई संगठनों और व्यक्तियों द्वारा दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राजनीतिक दलों को सरकार से कर छूट, भूमि और चुनाव चिह्न जैसी सुविधाएं मिलती हैं, जिससे उनका सार्वजनिक चरित्र स्पष्ट होता है। ऐसे में उन्हें सूचना के अधिकार के तहत लाना लोकतांत्रिक पारदर्शिता के लिए जरूरी है।
कांग्रेस, बीजेपी और सीपीआई जैसे दल इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए हैं। सीपीआई(एम) ने कहा कि वह वित्तीय पारदर्शिता के पक्ष में है, लेकिन पार्टी की आंतरिक निर्णय प्रक्रिया को RTI के तहत लाना अनुचित होगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह मामला केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश के आधार पर रिट याचिका के रूप में नहीं उठाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से सप्ताह में दलीलें पूरी करने को कहा है। यह सुनवाई आने वाले समय में देश की राजनीतिक व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ सकती है। जहां जनता सिर्फ प्रतिनिधि नहीं चुनेगी, बल्कि उनसे सवाल भी कर सकेगी।
पब्लिश्ड 21 April 2025 at 08:44 IST