अपडेटेड 30 November 2025 at 14:33 IST
PM मोदी और गृह मंत्री शाह का प्रयास लाया रंग, डर और आंसुओं के साथ बांग्लादेश से आए हिंदू परिवारों को CAA के तहत मिल रहा न्याय
बांग्लादेश से आकर पश्चिम बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में बसे शरणार्थी परिवारों को नागरिकता मिलने का क्रम जारी है। सालों से अपनी ही देश में गैरों की तरह रहे शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलने पर उनमें उम्मीद की किरण जागी है।
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बांग्लादेश से आकर पश्चिम बंगाल के अलग-अलग क्षेत्रों में बसे शरणार्थी परिवारों को नागरिकता मिलने का क्रम जारी है। सालों से अपनी ही देश में गैरों की तरह रहे शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलने पर उनमें उम्मीद की किरण जागी है। आंकड़ों की बात करें तो अब तक सैकड़ों शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल चुकी है।
ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन (BlueKraft Digital Foundation) के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने इस बारे में जानकारी देते हुए सोशल मीडिया साइट X पर लिखा, 'पूर्वी बंगाल में धर्म और पहचान के कारण उत्पीड़ित हजारों हिंदू परिवार डर और आंसुओं के साथ भारत भाग आए। उनके पास न घर था, न जमीन, न कागजात। उनके पास केवल एक आस्था थी वो ये कि भारत उनकी मातृभूमि है। उन्होंने दशको तक इंतजार किया। राजनीतिक उपेक्षा झेली। दशकों तक टीएमसी, कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इन्हें नागरिकता देने का विरोध किया, जिससे ये शरणार्थी अपने ही देश में 'विदेशी' बने रहे। न पासपोर्ट, न सरकारी नौकरी, न गरिमा; हर फॉर्म में 1971 से पहले का प्रमाण मांगा जाता था। अनिश्चितता में जीते हुए भी इन्होंने हार नहीं मानी।'
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दिलाया न्याय
अखिलेश मिश्रा ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत इन शरणार्थियों को अब नागरिकता प्रमाणपत्र मिलने लगे हैं। यह केवल कानूनी सुधार नहीं, बल्कि लंबे समय से लटका न्याय है। पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में पहले लाभार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित हो चुके हैं।
यूपी के रामपुर में भी शरणार्थियों को मिली नागरिकता
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यूपी के रामपुर के बिलासपुर में बीते बुधवार को 12 बांग्लादेशी हिंदुओं को भारतीय नागरिकता मिली, जिससे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। 61 सालों से नागरिकता का इंतजार कर रहे इन परिवारों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया। 2500 परिवारों के 14500 शरणार्थी लंबे समय से नागरिकता के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 30 November 2025 at 14:33 IST