अपडेटेड 30 November 2025 at 12:29 IST

चंद्रयान-3, काशी-तमिल संगमम, धर्मध्वजा और विंटर टूरिज्म...मन की बात में PM Modi ने किस-किस चीज का किया जिक्र, यहां जानें सबकुछ

पीएम मोदी ने कहा, कुछ दिन पहले ही मैंने हैदराबाद में दुनिया की सबसे बड़ी लीप इंजन MRO facility का उ‌द्घाटन किया है। Aircrafts की Maintenance, repair and overhaul के sector में भारत ने ये बहुत बड़ा कदम उठाया है।

Mann Ki Baat PM Modi
Mann Ki Baat PM Modi | Image: X

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो शो मन की बात के 128 वां एपिसोड का आज टेलीकास्ट हुआ। इस कार्यक्रम के माध्‍यम से देश की जनता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, नवंबर का महीना बहुत सी प्रेरणाएं लेकर आया, कुछ दिन पहले ही 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ पर सेट्रेल हॉल में विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ। वंदेमातरम् के 150 वर्ष होने पर पूरे देश में होने वाले कार्यक्रमों की शानदार शुरुआत हुई। 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर पर धर्मध्वजा का आरोहण हुआ। इसी दिन कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में पांचजन्य स्मारक का लोकार्पण हुआ।

पीएम मोदी ने कहा, कुछ दिन पहले ही मैंने हैदराबाद में दुनिया की सबसे बड़ी लीप इंजन MRO facility का उ‌द्घाटन किया है। Aircrafts की Maintenance, repair and overhaul के sector में भारत ने ये बहुत बड़ा कदम उठाया है। पिछले हफ्ते मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान INS ‘माहे’ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। पिछले ही हफ्ते भारत के space ecosystem को Skyroot के Infinity campus ने नई उड़ान दी है। ये भारत की नई सोच, innovation और Youth Power का प्रतिबिंब बना है।

‘कृषि क्षेत्र में भी देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की’

पीएम मोदी ने कहा, कृषि क्षेत्र में भी देश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारत ने 357 मिलियन टन के खा‌द्यान्न उत्पादन के साथ एक ऐतिहासिक record बनाया है। Three hundred and fifty seven million ton! 10 साल पहले की तुलना में भारत का खा‌द्यान्न उत्पादन 100 मिलियन टन और बढ़ गया है। खेलों की दुनिया में भी भारत का परचम लहराया है। कुछ दिन पहले ही भारत को कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी का भी ऐलान हुआ। ये उपलब्धियाँ देश की हैं, देशवासियों की है। और ‘मन की बात’ देश के लोगों की ऐसी उपलब्धियों को, लोगों के सामूहिक प्रयासों को जन-सामान्य के सामने लाने का, एक बेहतरीन मंच है।

Advertisement

उन्‍होंने कहा, अगर मन में लगन हो, सामूहिक शक्ति पर टीम की तरह काम करने पर विश्वास हो, गिरकर फिर से उठ खड़े होने का साहस हो, तो कठिन-से-कठिन काम में भी सफलता सुनिश्चित हो जाती है। आप उस दौर की कल्पना करिए, जब satellite नहीं थीं, GPS system नहीं था, navigation की कोई सुविधाएं नहीं होती थीं। तब भी हमारे नाविक बड़े-बड़े जहाज लेकर समंदर में निकल जाते थे, और तय स्थानों पर पहुंचते थे। अब समंदर से आगे बढ़कर दुनिया के देश अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाई को नाप रहे हैं। चुनौती वहां भी वही है, ना GPS system है, ना संचार की वैसी व्यवस्थाएं हैं, फिर हम कैसे आगे बढ़ेंगे?

उन्‍होंने कहा, कुछ दिनों पहले social media पर एक Video ने मेरा ध्यान खींचा। ये video ISRO की एक अनोखी drone प्रतियोगिता का था। इस Video में हमारे देश के युवा और खासकर हमारे Gen-Z मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों में drone उड़ाने की कोशिश कर रहे थे। drone उड़ते थे, कुछ पल संतुलन में रहते थे, फिर अचानक जमीन पर गिर पड़ते थे। जानते हैं क्यों ? क्योंकि यहां जो drone उड़ रहे थे, उनमें GPS का सपोर्ट बिल्कुल नहीं था। मंगल ग्रह पर GPS संभव नहीं इसलिए drone को कोई बाहरी संकेत या guidance नहीं मिल सकता। drone को अपने कैमरे और Inbuilt software के सहारे उड़ना था। उस छोटे-से drone को जमीन के pattern पहचानने थे, ऊंचाई मापनी थी, बाधाएं समझनी थी, और खुद ही सुरक्षित उतरने का रास्ता ढूंढना था। इसलिए drone भी एक के बाद एक गिरे जा रहे थे।

Advertisement

इस प्रतियोगिता में, पुणे के युवाओं की एक टीम ने कुछ हद तक सफलता पाई उनका drone भी कई बार गिरा, crash हुआ पर उन्होंने हार नहीं मानी। कई बार के प्रयास के बाद इस team का drone मंगल ग्रह की परिस्थिति में कुछ देर उड़ने में कामयाब रहा। ये Video देखते हुए, मेरे मन में एक और दृश्य उभर आया। वो दिन जब चंद्रयान-2 संपर्क से बाहर हो गया था। उस दिन पूरा देश, और खासकर वैज्ञानिक कुछ पल के लिए निराश हुए थे। लेकिन साथियो, असफलता ने उन्हें रोका नहीं। उसी दिन उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता की कहानी लिखनी शुरू कर दी। यही कारण है कि जब चंद्रयान-3 ने सफल landing की, तो वो सिर्फ एक mission की सफलता नहीं थी। वो तो असफलता से निकलकर बनाए गए विश्वास की सफलता थी। इस Video में जो युवा दिख रहे हैं, उनकी आंखों में मुझे वही चमक दिखाई दी। हर बार जब मैं हमारे युवाओं की लगन और वैज्ञानिकों के समर्पण को देखता हूँ, तो मन उत्साह से भर जाता है। युवाओं की यही लगन, विकसित भारत की बहुत बड़ी शक्ति है।


जम्मू-कश्मीर की शहद का किया जिक्र

पीएम मोदी ने कहा, शहद की मिठास से जरूर परिचित होंगे, लेकिन, अक्सर हमें ये नहीं पता चलता इसके पीछे कितने लोगों की मेहनत है, कितनी परंपराएँ हैं, और प्रकृति के साथ कितना सुंदर तालमेल है। जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में वन तुलसी यानि सुलाई, सुलाई के फूलों से यहाँ की मधुमक्खियाँ बेहद अनोखा शहद बनाती हैं। ये सफेद रंग का शहद होता है जिसे रामबन सुलाई honey कहा जाता है। कुछ वर्षों पहले ही रामबन सुलाई honey को GI Tag मिला है। इसके बाद इस शहद की पहचान पूरे देश में बन रही है।

उन्‍होंने आगे कहा, दक्षिण कन्नड़ा जिले के पुत्तुर में वहाँ की वनस्पतियाँ शहद उत्पादन के लिए उत्कृष्ट मानी जाती हैं। यहाँ ‘ग्रामजन्य’ नाम की किसान संस्था इस प्राकृतिक उपहार को नई दिशा दे रही है। ‘ग्रामजन्य’ ने यहाँ एक आधुनिक processing unit बनाया, lab, bottling, storage और digital tracking जैसी सुविधाएँ जोड़ी गईं। अब यही शहद branded उत्पाद बनकर गाँवों से शहरों तक पहुँच रहा है। इस प्रयास का लाभ ढाई हजार से अधिक किसानों को मिला है।

कर्नाटका के ही तुमकुरु जिले में ‘शिवगंगा कालंजिया’ नाम की संस्था का प्रयास भी बहुत सराहनीय है। इनके द्वारा यहाँ हर सदस्य को शुरुआत में दो bee-boxes दिए जाते हैं। ऐसा करके इस संस्था ने अनेकों किसानों को अपने अभियान से जोड़ दिया है। अब इस संस्था से जुड़े किसान मिलकर शहद निकालते हैं, बेहतरीन packaging करते हैं और स्थानीय बाजार तक पहुंचाते हैं। 

इससे उन्हें लाखों की कमाई भी हो रही है। ऐसा ही एक उदाहरण नागालैंड के cliff-honey hunting का है। नागालैंड के चोकलांगन गाँव में खियामनि-याँगन जनजाति सदियों से शहद निकालने का काम करती आई हैं। यहाँ मधुमक्खियों पेड़ों पर नहीं बल्कि ऊँची चट्टानों पर अपने घर बनाती हैं। इसलिए शहद निकालने का काम भी बहुत जोखिम भरा होता है। इसलिए यहाँ के लोग मधुमक्खियों से पहले सौम्यता से बात करते हैं, उनसे अनुमति लेते हैं। उन्हें बताते हैं की आज वे शहद लेने आए हैं, इसके बाद शहद निकालते हैं।

शहद उत्‍पादन में बना रिकॉर्ड


पीएम मोदी ने कहा, आज भारत honey production में नए रिकार्ड बना रहा है। 11 साल पहले देश में honey का उत्पादन 76 हजार मीट्रिक टन था। अब ये बढ़कर डेढ़ लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा हो गया है। बीते कुछ वर्षों में शहद का export भी तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। Honey Mission कार्यक्रम के तहत खादी ग्रामोद्योग ने भी सवा 2 लाख से ज्यादा bee-boxes लोगों में बांटे हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। यानि देश के अलग-अलग कोनों में शहद की मिठास भी बढ़ रही है। और ये मिठास किसानों की आय भी बढ़ा रही है।

उन्‍होंने आगे कहा, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था, ये हम सभी जानते हैं। लेकिन युद्ध के इस अनुभव को अब आप वहाँ महाभारत अनुभव केंद्र में भी साक्षात महसूस कर सकते हैं। इस अनुभव केंद्र में महाभारत की गाथा को 3D, Light & Sound Show और digital technique से दिखाया जा रहा है। 25 नवंबर को जब मैं कुरुक्षेत्र गया था तो इस अनुभव केंद्र के अनुभव ने मुझे आनंद से भर दिया था। कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शामिल होना भी मेरे लिए बहुत विशेष रहा।

मैं ये देखकर बहुत प्रभावित हुआ कि कैसे दुनियाभर के लोग दिव्य ग्रंथ गीता से प्रेरित हो रहे हैं। इस महोत्सव में यूरोप और सेंट्रल एशिया सहित विश्व के कई देशों के लोगों की भागीदारी रही है। इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब में पहली बार किसी सार्वजनिक मंच पर गीता की प्रस्तुति की गई है। यूरोप के लातविया में भी एक यादगार गीता महोत्सव आयोजित किया गया। इस महोत्सव में लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और अल्जीरिया के कलाकारों ने बढ़-चढ़ करके हिस्सा लिया।

भारत की महान संस्कृति में शांति और करुणा का भाव सर्वोपरि रहा है। आप दूसरे विश्व युद्ध की कल्पना कीजिए, जब चारों ओर विनाश का भयावह माहौल बना हुआ था। ऐसे मुश्किल समय में गुजरात के नवानगर के जाम साहब, महाराजा दिग्विजय सिंह जी ने जो महान कार्य किया, वो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उस समय जाम साहब, किसी सामरिक गठबंधन या युद्ध की रणनीति को लेकर नहीं सोच रहे थे। बल्कि उनकी चिंता ये थी कि कैसे विश्व युद्ध के बीच पोलिश यहूदी बच्चों की रक्षा हुई। उन्होंने गुजरात में तब हजारों बच्चों को शरण देकर उन्हें नया जीवन दिया, जो आज भी एक मिसाल है। कुछ दिन पहले दक्षिणी इजराइल के मोशाव नेवातिम में जाम साहब की प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह बहुत ही विशेष सम्मान था। पिछले वर्ष पोलैंड के वारसॉ में मुझे जाम साहब के स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सौभाग्य मिला था। मेरे लिए वो क्षण अविस्मरणीय रहेगा।

नेचुरल फार्मिंग का किया जिक्र

पीएम मोदी ने कहा, कुछ दिनों पहले मैं Natural Farming के एक विशाल सम्मेलन में हिस्सा लेने कोयंबटूर गया था। दक्षिण भारत में Natural Farming को लेकर हो रहे प्रयासों को देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ। कितने ही युवा Highly Qualified Professional अब Natural Farming Field को अपना रहे हैं। मैंने वहाँ किसानों से बात की, उनसे अनुभव जाने। Natural Farming भारत की प्राचीन परंपराओं का हिस्सा रही है और हम सभी का कर्तव्य है कि धरती माँ की रक्षा के लिए इसे निरंतर बढ़ावा दें।

विश्व की सबसे पुरानी भाषा और विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में से एक शहर, इन दोनो का संगम हमेशा अद्भुत होता है। मैं बात कर रहा हूँ – ‘काशी तमिल संगमम’ की। 2 दिसंबर से काशी के नमो घाट पर चौथा काशी-तमिल संगमम शुरू हो रहा है। इस बार के काशी-तमिल संगमम की थीम बहुत ही रोचक है – Learn Tamil – तमिल करकलम्। काशी-तमिल संगमम उन सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है जिन्हें तमिल भाषा से लगाव है। 

काशी के लोगों से जब भी बात होती है तो वो हमेशा बताते हैं कि काशी-तमिल संगमम का हिस्सा बनना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। यहाँ उन्हें कुछ नया सीखने और नए-नए लोगों से मिलने का अवसर मिलता है। इस बार भी काशीवासी पूरे जोश और उत्साह के साथ तमिलनाडु से आने वाले अपने भाई-बहनों का स्वागत करने के लिए बहुत उत्सुक हैं। मेरा आप सभी से आग्रह है कि आप काशी-तमिल संगमम का हिस्सा जरूर बनें। इसके साथ ही ऐसे और भी मंचों के बारे में सोचें, जिनसे ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना मजबूत हो। यहाँ मैं एक बार फिर कहना चाहूँगा:

  • तमिल कलाच्चारम उयर्वानद्
  • तमिल मोलि उयर्वानद्
  • तमिल इन्दियाविन पेरूमिदम्।

(English Translation)

  • Tamil culture is great.
  • Tamil language is great.
  • Tamil is the pride of India

उन्‍होंने आगे कहा, जब भारत के सुरक्षा तंत्र को मजबूती मिलती है, तो हर भारतीय को गर्व होता है। पिछले हफ्ते मुंबई में INS ‘माहे’ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। कुछ लोगों के बीच इसके स्वदेशी design को लेकर खूब चर्चा रही। वहीं, पुडुचेरी और मालाबार coast के लोग इसके नाम से ही खुश हो गए। दरअसल, इसका ‘माहे’ नाम उस स्थान माहे के नाम पर रखा गया है, जिसकी एक समृद्ध ऐतिहासिक विरासत रही है। केरला और तमिलनाडु के कई लोगों ने इस बात पर गौर किया कि इस युद्धपोत का crest उरुमी और कलारिपयट्टू की पारंपरिक लचीली तलवार की तरह दिखाई पड़ता है। ये हम सबके लिए गर्व की बात है कि हमारी नौसेना बहुत ही तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही है। 4 दिसम्बर को हम नौसेना दिवस भी मनाने जा रहे हैं। ये अवसर हमारे सैनिकों के अदम्य साहस और पराक्रम को सम्मान देने का एक खास दिन है।

इसे भी पढ़ें- IND vs SA 1st ODI: साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहला वनडे मुकाबला आज, मैदान पर उतरते ही विराट-रोहित की जोड़ी तोड़ देगी सचिन-द्रविड़ का ये बड़ा रिकॉर्ड

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 30 November 2025 at 12:29 IST