अपडेटेड 1 November 2025 at 16:41 IST
पाकिस्तान कांप जाएगा, अब सीक्रेट और तबाह कर देने वाला होगा ऑपरेशन सिंदूर 2.0; भारत कल लॉन्च करेगा 'LVM3-M5 मिशन', जानिए खासियत
भारत का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल LVM3 कल यानी कि 2 नवंबर 2025 को अपनी पांचवीं उड़ान भरने जा रहा है। इसे आधिकारिक रूप से LVM3-M5 मिशन कहा जाएगा।
- भारत
- 3 min read

भारत का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल LVM3 कल यानी कि 2 नवंबर 2025 को अपनी पांचवीं उड़ान भरने जा रहा है। इसे आधिकारिक रूप से LVM3-M5 मिशन कहा जाएगा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना के लिए बनाए गए देश के सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 को अंतरिक्ष में स्थापित करना है। यह उड़ान शाम 5:26 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगी, जिसे इसरो के यूट्यूब चैनल पर सीधा देखा जा सकेगा। यह न केवल समुद्री इलाकों में संचार को मजबूत करेगा, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों से सीखे गए सबकों को भी मजबूत करेगा।
आपको बता दें कि LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का सबसे अधिक क्षमता वाला रॉकेट है। इसे मुख्य रूप से भारी उपग्रहों और विशेष अभियानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार किया गया है। अब तक की चार उड़ानों में इसने असाधारण सफलता हासिल की है। इसकी पिछली उड़ान चंद्रयान-3 मिशन के रूप में इतिहास में दर्ज है, जब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बना। LVM3-M5 को 26 अक्टूबर 2025 को उपग्रह के साथ जोड़कर लॉन्च पैड पर स्थापित किया गया था। वर्तमान में इसकी अंतिम तकनीकी जांच पूरी हो रही है और यह उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार है।
CMS-03: अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह
CMS-03 (कम्युनिकेशन सैटेलाइट मिशन-03), जिसे GSAT-7R भी कहा जाता है, भारत द्वारा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में भेजा जाने वाला सबसे भारी संचार उपग्रह है। इसका वजन लगभग 4400 किलोग्राम है। यह एक मल्टी-बैंड उपग्रह है, जो विभिन्न प्रकार की रेडियो तरंगों पर काम करेगा। सात वर्षों तक सेवा देने के लिए डिजाइन किए गए इस उपग्रह से भारत के मुख्य भूभाग के साथ-साथ व्यापक समुद्री क्षेत्रों में निर्बाध संचार सुनिश्चित होगा।
Advertisement
CMS-03 की विशेषताएं
- विस्तृत इंटरनेट कनेक्टिविटी
- सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग क्षमता
- दूरस्थ क्षेत्रों, जहाजों और विमानों के लिए मजबूत सिग्नल कनेक्शन
- इसकी उच्च डेटा ट्रांसफर क्षमता इसे भारत के सभी पूर्ववर्ती संचार उपग्रहों से अधिक शक्तिशाली बनाती है।
- भारतीय नौसेना के लिए CMS-03 का महत्व
CMS-03 उपग्रह मुख्य रूप से भारतीय नौसेना की आधुनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। समुद्र में संचालित जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के लिए यह सुरक्षित और तेज संचार नेटवर्क प्रदान करेगा। इसकी मदद से नौसेना के अभियान और निगरानी मिशन अधिक सटीक और समन्वित हो सकेंगे, जिससे दूरस्थ समुद्री क्षेत्रों में भी रियल टाइम अपडेट मिल सकेंगे।
Advertisement
ऑपरेशन सिंदूर से मिली प्रेरणा
मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने आधुनिक संचार की अहमियत को और अधिक स्पष्ट कर दिया था। यह एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था, जिसने भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बीच त्वरित समन्वय की आवश्यकता को उजागर किया। हालांकि मिशन सफल रहा, लेकिन पुराने उपग्रह नेटवर्क की सीमाओं के कारण कुछ क्षेत्रों में डेटा ट्रांसमिशन में देरी हुई। CMS-03 इसी अनुभव से मिली सीख का परिणाम है। यह उपग्रह भारत की सामरिक संचार क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाएगा, ताकि भविष्य के अभियानों में किसी भी प्रकार की सूचना देरी न हो।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 1 November 2025 at 16:41 IST