अपडेटेड 16 July 2025 at 12:30 IST

'इस्लाम में अलग कानून...', निमिषा को बचाने के लिए आगे आए 94 साल के ग्रैंड मुफ्ती, यमन के मौलवियों से की बात; जानिए कौन हैं शेख अबू बकर

शेख अबू बकर अहमद सुन्नी इस्लाम, विशेष रूप से सलाफी विचारधारा के एक प्रमुख और प्रभावशाली धर्मगुरु माने जाते हैं। वे वर्तमान में भारत के ग्रैंड मुफ़्ती के रूप में सेवा दे रहे हैं और देश भर में लाखों मुसलमानों को धार्मिक मार्गदर्शन और नेतृत्व प्रदान करते हैं। उनके नेतृत्व में धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिला है।

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'इस्लाम में अलग कानून...', निमिषा को बचाने के लिए आगे आए 94 साल के ग्रैंड मुफ्ती, यमन के मौलवियों से की बात; जानिए कौन हैं शेख अबू बकर | Image: Republic and ANI

यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को फिलहाल राहत मिल गई है। उन्हें अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी। लेकिन इस कठिन समय में एक आशा की किरण बनकर सामने आए हैं भारत के प्रसिद्ध मुस्लिम धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर कंथापुरम। शेख अबू बकर ने मानवीय आधार पर हस्तक्षेप किया और यमन सरकार से संपर्क साधा। उनकी पहल पर यमन सरकार ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह फैसला न केवल निमिषा और उनके परिवार के लिए राहत भरा है, बल्कि इसने शेख अबू बकर को एक ‘फरिश्ते’ की तरह प्रस्तुत कर दिया है।


इससे पहले निमिषा के परिवार ने उसे बचाने के लिए कई प्रयास किए थे। उन्होंने ‘ब्लड मनी’ (खूनबहा) की पेशकश करके समझौते का रास्ता अपनाने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे थे। अब जब शेख अबू बकर की पहल से सजा पर रोक लगी है, तो उम्मीद की जा रही है कि आगे ‘ब्लड मनी’ के जरिए अंतिम समझौता संभव हो पाएगा और निमिषा की जिंदगी बचाई जा सकेगी। निमिषा पर अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या के बाद उसके शव के टुकड़े कर देने के आरोप लगाए गए हैं।


इस्लाम में है ऐसी व्यवस्था कि...

इस्लामी कानून की समझ और मानवीय पहल के चलते, शेख अबू बकर ने यमन के इस्लामी विद्वानों से संपर्क किया और मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। मंगलवार को एएनआई से बातचीत में शेख अबू बकर ने बताया, 'इस्लाम में यह व्यवस्था है कि यदि किसी को हत्या का दोषी ठहराया गया है, तो पीड़ित परिवार के पास उसे माफ करने का अधिकार होता है। मुझे नहीं पता कि वह परिवार कौन है, लेकिन मैंने दूर से यमन के जिम्मेदार विद्वानों से संपर्क किया और उन्हें पूरा मामला समझाया।'उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो मानवता को सर्वोपरि मानता है। उनकी अपील पर यमन के विद्वानों ने बैठक की, चर्चा की और सहयोग का आश्वासन दिया। कुछ समय बाद, उन्होंने शेख अबू बकर को आधिकारिक दस्तावेज भेजा, जिसमें बताया गया कि निमिषा की मौत की सजा की तारीख स्थगित कर दी गई है।


पीड़ित परिवार को माफ करने का हक

इस पहल से अब निमिषा प्रिया के परिवार को आगे बातचीत का अवसर मिला है, जिससे वे 'ब्लड मनी' या अन्य मानवीय आधार पर अंतिम समाधान की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। शेख अबू बकर की इस पहल ने ना केवल एक नई उम्मीद जगाई है, बल्कि इस्लाम की दया और इंसानियत की भावना को भी उजागर किया है। न्यूज एजेंसी एनआई से बातचीत में शेख अबू बकर ने कहा, 'इस्लाम में एक अलग न्याय प्रणाली है। अगर किसी को हत्या के जुर्म में मौत की सजा दी जाती है, तो पीड़ित परिवार को माफ करने का हक होता है।' उन्होंने यह भी बताया कि भले ही उन्हें पीड़ित परिवार की पहचान न हो, लेकिन उन्होंने यमन के जिम्मेदार इस्लामी विद्वानों से दूर से संपर्क किया और पूरा मामला समझाया।

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अबू बकर की पहल ने निमिषा को दी नई जिंदगी!

शेख अबू बकर ने यह भी कहा कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो मानवता को सर्वोच्च स्थान देता है। उनकी अपील पर यमन के विद्वानों ने बैठक की, विचार-विमर्श किया और आश्वस्त किया कि वे अपनी ओर से जो संभव होगा, करेंगे। इसके बाद उन्होंने एक आधिकारिक दस्तावेज भेजकर सूचित किया कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा को स्थगित कर दिया गया है।अब इस निर्णय के बाद उम्मीद की एक नई राह खुली है। इस बातचीत के आधार पर आगे की कूटनीतिक और कानूनी प्रक्रियाएं जैसे ‘ब्लड मनी’ के ज़रिए माफी की संभावनाएं अब ज़्यादा सशक्त रूप से आगे बढ़ाई जा सकती हैं। शेख अबू बकर की इस पहल ने न सिर्फ निमिषा प्रिया की जिंदगी को एक और मौका दिया, बल्कि इस्लाम में करुणा और न्याय की भावना को भी उजागर किया।


PMO को भी पूरी प्रक्रिया की जानकारी भेजी

94 वर्षीय सुन्नी धर्मगुरु शेख अबू बकर ने इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी भारत सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी दी है। उन्होंने कहा कि यह पहल मानवता के आधार पर की गई है और यदि इसे स्वीकार किया गया, तो यह भारत में सांप्रदायिक सौहार्द की दिशा में भी एक सकारात्मक संकेत होगा। इसके पहले शेख अबू बकर कंथापुरम ने यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के लिए हस्तक्षेप किया है। उन्होंने यमन के इस्लामी विद्वानों से संपर्क कर इस्लाम में दीया (मुआवज़ा) की परंपरा का हवाला देते हुए पीड़ित परिवार से माफी की अपील की। उनकी पहल पर फांसी की तारीख टाल दी गई है।

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कौन हैं अबू बकर कंथापुरम?

शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुस्लियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दसवें और वर्तमान ग्रैंड मुफ्ती हैं। 1931 में केरल के कोझिकोड में जन्मे शेख अबू बकर एक प्रतिष्ठित सूफी विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव हैं। वे जामिया मरकज के चांसलर भी हैं। उन्होंने 2014 में आईएसआईएस के खिलाफ पहला फतवा जारी कर वैश्विक स्तर पर शांति का संदेश दिया और अंतरधार्मिक संवाद को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया। उनकी प्रमुख शैक्षिक पहल मरकज नॉलेज सिटी लाखों लोगों को लाभ पहुंचा रही है। भारत में सुन्नी इस्लाम के एक प्रभावशाली नेता के रूप में उनकी पहचान है, खासकर सलाफी विचारधारा में। उन्होंने हमेशा बहुलवादी समाज में संयम, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर जोर दिया है। ग्रैंड मुफ्ती के रूप में वे देशभर के मुसलमानों को धार्मिक मार्गदर्शन और सामाजिक दिशा प्रदान कर रहे हैं।

यह भी पढ़ेंः BIG BREAKING: यमन से आई अच्छी खबर, केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टली; 16 जुलाई को होनी थी सजा-ए-मौत

Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 16 July 2025 at 12:30 IST