अपडेटेड 22 September 2025 at 15:05 IST
'ऑपरेशन सिंदूर' में पिटने के बाद ISI ने भारत में खड़ा किया फंडिंग नेटवर्क... ट्रैवल और मनी ट्रांसफर के नाम पर दिल्ली से दुबई तक फैला जाल
भारत में जासूसों को फंडिंग देने के लिए ISI ने बेहद जटिल और गुप्त सिस्टम तैयार किया था, जो व्यापार, पर्यटन और मनी ट्रांसफर के बहाने चलता था ताकि शक न हो।
- भारत
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भारत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के गुप्त जासूसी नेटवर्क को लेकर NIA ने बड़ा पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि भारत में जासूसों को फंडिंग देने के लिए ISI ने बेहद जटिल और गुप्त सिस्टम तैयार किया था, जो व्यापार, पर्यटन और मनी ट्रांसफर के बहाने चलता था ताकि शक न हो। यह खुलासा हाल ही में गिरफ्तार किए गए सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर मोती राम जाट से पूछताछ के दौरान हुआ।
NIA ने 27 मई को मोती राम जाट को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि वे पाकिस्तान समर्थित एजेंटों को संवेदनशील जानकारियां साझा कर रहे थे। जांच से पता चला कि अक्टूबर 2023 से अप्रैल 2025 के बीच जाट और उनकी पत्नी के बैंक खातों में करीब 1.90 लाख रुपये आए। यह रकम व्यवसायिक भुगतान और विदेशी रेमिटेंस जैसी लगती थी, लेकिन वास्तव में यह जासूसी के बदले दी गई फंडिंग थी।
दुबई और बैंकॉक से पैसा भारत तक
- जांच में यह भी सामने आया कि पैसे भेजने के लिए कई तरीके अपनाए जाते थे।
- पाकिस्तान से कपड़े और महंगे सूट दुबई भेजे जाते थे।
- दुबई से इन माल का इनवॉइस तैयार कर भारत के छोटे दुकानदारों को भेजा जाता था।
- दुकानदार सोचते थे कि वे माल की कीमत चुका रहे हैं, जबकि असली रकम जासूसी नेटवर्क तक पहुंच जाती थी।
- थाईलैंड में भारतीय कारोबारी पर्यटकों को सस्ते दाम पर विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराते थे, फिर उतनी राशि भारत के बैंक खातों के जरिए ट्रांसफर कर दी जाती।
मोबाइल दुकानदारों की भूमिका
दिल्ली और मुंबई में कुछ छोटे मोबाइल फोन दुकानदार भी इस नेटवर्क का हिस्सा बनाए गए। ये दुकानदार कैश जमा कर अपने खातों से रुपये ट्रांसफर करते थे, जिससे लेन-देन और भी गुप्त बना रहता था। इस प्रक्रिया से न केवल भारत के फॉरेक्स नियमों का उल्लंघन हुआ, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा भी पैदा हुआ।
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NIA की आगे की कार्रवाई
अब NIA इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और पता लगाने में जुटी है कि इसके तार किन-किन और लोगों तथा एजेंटों से जुड़े हैं। जांच एजेंसियां मान रही हैं कि यह नेटवर्क भारत में लंबे समय से सक्रिय था और इसे बहुत ही सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा था।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 22 September 2025 at 15:05 IST