Updated March 29th, 2024 at 13:16 IST

दादा फ्रीडम फाइटर...चाचा उपराष्ट्रपति...क्रिकेट का शौक रखने वाला मुख्तार कैसे बना माफिया और फिर नेता

कुख्यात माफिया मुख्तार की 28 मार्च को हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई। उसके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे और चाचा भारत के उपराष्ट्रपति रहे।

Reported by: Kanak Kumari
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत | Image:PTI
Advertisement

पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की 28 मार्च की देर रात को हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई। माफिया मुख्तार की मौत की खबर से यूपी में हड़कंप मच गया। हालांकि उत्तर प्रदेश की पुलिस अंसारी की मौत के बाद शहर में भारी संख्या में फोर्स को तैनात कर दिया है। मुख्तार अंसारी के कई किस्से हैं... जिसे सुनकर आपका दिल दहल उठेगा, लेकिन क्या आपको पता है कि इस कुख्यात गैंगस्टर के दादा स्वतंत्रता सेनानी थे?

मुख्तार का जन्म गाजीपुर में ही मोहम्मदाबाद जिले में 3 जून 1963 को हुआ था। मुख्‍तार के पिता का नाम सुबहानउल्‍लाह और माता का नाम बेगम राबिया था। मुख्तार के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी के बारे में कहा जाता है कि वो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम भी किया और 1926-27 के दौरान वो कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे।

Advertisement

नाना 1947 की लड़ाई में हुए थे शहीद

मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई में शहीद हो गए थे और उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था। वहीं इसके पिता भी एक राजनेता रहे, जिनकी सकारात्मक छवि थी। इसके अलावा भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी इस कुख्यात माफिया के चाचा थे।

Advertisement

जब इलाके में बोलती थी तूती...

मुख्‍तार अंसारी पर हत्‍या, हत्‍या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्‍य आपराधिक कृत्‍यों में कुल 65 मामले दर्ज हैं। इसमें लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी, आजमगढ़ के अलावा नई दिल्‍ली और पंजाब में भी मुकदमे दर्ज हैं। आज दुनिया से जा चुका ये शख्स एक जमाने में मऊ में इसकी तूती बोला करती थी। दबदबा ऐसा कि इलाके में लोग का नाम सुनकर ही कांपने लगते थे। भारतीय जनता पार्टी के अलावा सभी पार्टियों के साथ उसका कनेक्शन रहा।

Advertisement

क्रिकेट के शौकीन मुख्तार को भाया गोली बारूद

मुख्तार के बारे में कहा जाता है कि उसे क्रिकेट काफी पसंद था। कॉलेज के जमाने में वो क्रिकेट में काफी एक्टिव था। हालांकि, इसी दौरान वो साधु सिंह के गैंग में शामिल हुआ। अपराध, दहशत, गुंडागर्दी की दुनिया में फिर उसने कदम रखा।

Advertisement

और फिर राजनीति में भी माफिया ने मारी एंट्री...

अबतक सिर्फ अपराध की दुनिया में मुख्तार आतंक मचा रहा था, लेकिन फिर उसने राजनीति में एंट्री मारी। 1996 में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। फिर 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में उसने मऊ विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। 2007-12-17 की चुनाव उसने जेल में बंद रहते हुए जीती।

Advertisement

जब 500 राउंड गोली से थर्रा उठा था गाजीपुर...

साल 2005 का वो समय याद कर गाजीपुर के लोग शायद आज भी दहल उठेंगे, जब गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा शहर थर्रा उठा था। दरअसल, 1985 से गाजीपुर का सीट अंसारी परिवार के पास रहा था, लेकिन 2002 में विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी के किले पर अपना झंडा लगा दिया।

Advertisement

गाजीपुर सीट पर मिली हार मुख्तार अंसारी को हजम नहीं हो पा रही थी, इसलिए उसने साल 2005 में खौफनाक तरीके से विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी। कृष्णानंद एक कार्यक्रम से लौट रहे थे, तभी उनकी गाड़ी को चारों ओर से बदमाशों ने घेर लिया। इसके बाद AK-47 से कृष्णानंद की गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में 500 राउंड गोलियां चलीं। गाड़ी में उस वक्त 7 लोग मौजूद थे और सब के सब मार दिए गए।

इसे भी पढ़ें: माफिया मुख्तार की मौत के बाद UP पुलिस की निगरानी सख्त, अफवाह फैलाने वालों को चेतावनी जारी

Advertisement

Published March 29th, 2024 at 13:16 IST

Whatsapp logo