अपडेटेड 5 September 2025 at 18:44 IST

Trump Tariff War: 'रूसी तेल से ब्राह्मण कमा रहे मुनाफा', डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार नवारो की विवादित टिप्पणी पर भारत ने किया पलटवार

राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार, नवारो ने हाल ही में भारत की आलोचना तेज करते हुए देश के ब्राह्मण समुदाय पर निशाना साधा और उन पर रूसी तेल सौदों से अनुचित मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था।

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MEA Slams Peter Navarro's 'Anti-Brahmins' Remark
MEA Slams Peter Navarro's 'Anti-Brahmins' Remark | Image: Representative Image

भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार और विनिर्माण मामलों के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो द्वारा मॉस्को के साथ नई दिल्ली के ऊर्जा संबंधों पर की गई टिप्पणियों का कड़ा खंडन किया है। यह विवाद तब पैदा हुआ जब नवारो ने दावा किया कि रूस से भारत द्वारा रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदने के मामले में "ब्राह्मण भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं"।

इन आरोपों का जवाब देते हुए, विदेश मंत्रालय (MEA) ने उनके दावों को "गलत और भ्रामक" बताया। साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने नवारो द्वारा दिए गए गलत और भ्रामक बयान देखे हैं और हम उन्हें अस्वीकार करते हैं।"

क्या ट्रंप भारत में ब्राह्मणों के बीच फूट डाल रहे हैं?

राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार सलाहकार, नवारो ने हाल ही में भारत की आलोचना तेज करते हुए देश के ब्राह्मण समुदाय पर निशाना साधा और उन पर रूसी तेल सौदों से अनुचित मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह टिप्पणी वाशिंगटन द्वारा भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले का बचाव करते हुए की।

एक इंटरव्यू के दौरान, नवारो ने तर्क दिया कि भारतीय रिफाइनरियां रियायती दामों पर रूसी तेल खरीदकर और रिफाइंड ईंधन को वैश्विक बाजारों में बेचकर भारी मुनाफा कमा रही हैं। उन्होंने लगातार भारत पर इन तेल लेन-देन में शामिल होकर यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करने का आरोप लगाया है।

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'यूक्रेन संघर्ष से पहले रूस के साथ भारत का ऊर्जा संबंध जीरो'

नवारो के अनुसार, भारत रूसी कच्चे तेल को शोधन के बाद यूरोप, अफ्रीका और एशिया के विभिन्न गंतव्यों पर भेज रहा है और इस प्रक्रिया में अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहा है। उनकी यह टिप्पणी अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर दंडात्मक शुल्क लगाने की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद आई। तीखी बयानबाजी में, उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष को विवादास्पद रूप से "मोदी का युद्ध" कहा।

इंटरव्यू में अपनी बात दोहराते हुए, नवारो ने दावा किया कि यूक्रेन संघर्ष से पहले रूस के साथ भारत का ऊर्जा संबंध जीरो था। उन्होंने आरोप लगाया, "फरवरी 2022 में पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले, भारत ने रूसी तेल बहुत कम मात्रा में खरीदा था। क्या हुआ? रूसी रिफाइनर भारत में बड़ी तेल कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं। पुतिन मोदी को छूट देते हैं, वे इसे रिफाइन करते हैं, और फिर इसे यूरोप, अफ्रीका और एशिया में बड़े प्रीमियम पर भेजते हैं। वे खूब पैसा कमाते हैं।"

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रूस और चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियों पर भी सवाल

नवारो ने रूस और चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियों पर भी सवाल उठाया और कहा कि वह नई दिल्ली के रणनीतिक विकल्पों को समझ नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा, "भारत टैरिफ का महाराजा है। दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ उनके यहां हैं। वे हमें ढेर सारा सामान निर्यात करते हैं। तो इसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ रहा है? अमेरिकी मजदूरों, करदाताओं और यूक्रेन के लोगों को।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक "महान नेता" बताते हुए नवारो ने कहा कि वह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि भारत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी साझेदारी क्यों मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि जब वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता हैं, तो वह पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों घुल-मिल रहे हैं... कृपया समझें कि यहां क्या हो रहा है।"

अमेरिकी व्यापार सलाहकार ने आगे बढ़कर भारत के ब्राह्मण समुदाय पर स्थिति का फायदा उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने जोर देकर कहा, "मैं भारतीय लोगों से बस यही कहूंगा कि वे समझें कि यहां क्या हो रहा है। ब्राह्मण भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफा कमा रहे हैं, और हम चाहते हैं कि यह रुके।"

भारत ने आरोपों का किया खंडन

हालांकि, भारत ने इन आरोपों का लगातार खंडन किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 23 अगस्त को इस मुद्दे पर बोलते हुए स्पष्ट किया कि नई दिल्ली पर तेल आयात को लेकर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। जयशंकर ने दृढ़ता से कहा, "अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको इसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। लेकिन यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको वह पसंद नहीं है, तो उसे न खरीदें।"

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 5 September 2025 at 18:44 IST