अपडेटेड 23 March 2025 at 11:33 IST
'गांधी में आग लग गई भाई...' जस्टिस वर्मा के घर अधजले नोटों को साफ करने का VIDEO, कहां से आया इतना कैश?
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के अंदर की तस्वीर सामने आई है जिसमें अधजले नोटों का अंबार साफ नजर आ रहा है।
- भारत
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Video from Justice Yashwant Varma House: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के अंदर की तस्वीर सामने आई है जिसमें अधजले नोटों का अंबार साफ नजर आ रहा है। जस्टिस वर्मा के घर इतनी भारी मात्रा में कैश कहां से आया इसकी जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। इससे पहले एक वीडियो सामने आया है जिसमें आग बुझाने के लिए मौजूद दमकल कर्मी नोटों का ढेर देखकर हक्का बक्का रह गए।
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार की देर रात दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के मामले की पूरी आंतरिक जांच रिपोर्ट और घटना से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो अपनी वेबसाइट पर अपलोड की। इस बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें आग बुझाने पहुंचे दमकलकर्मियों को अधजले नकदी का वीडियो रिकॉर्ड करते देखा जा सकता है। लगभग 1 मिनट 7 सेकंड की क्लिप में करोड़ों की गड्डियां जलती नजर आ रही हैं। कई नोट पूरी तरह से जलकर खाक हो चुके हैं जबकि कई अब भी जलना बाकी हैं। वहीं मौके पर मौजूद दमकलकर्मी सफाई करते दिख रहे हैं। इसी दौरान एक दमकल कर्मी को कहते सुना जा सकता है कि महात्मा गांधी में आग लग गई भाई। अब ये वीडियो इंटरनेट पर चर्चा में है।
जस्टिस वर्मा के घर मिले कैश की रिपोर्ट सार्वजनिक
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (22 मार्च) की देर रात दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर मिले कैश मामले में जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। इस मामले से जुड़े दस्तावेज भी वेबसाइट पर जारी किए गए। इसके साथ ही जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब भी पब्लिक किया गया।
SC ने जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब भी किया जारी
SC की सार्वजनिक की गई रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनका प्रथम दृष्टया मानना है कि पूरे मामले की गहन जांच की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा का जवाब भी जारी किया जिसमें उन्होंने आरोपों से इनकार किया और कहा कि स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश लग रही है। जस्टिस वर्मा का कहना है कि घर के स्टोर रूम में उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी कोई कैश नहीं रखा। उन्होंने कहा कि वे इस बात की कड़ी निंदा करते हैं कि कथित नकदी उनकी है। जिस कमरे में आग लगी और जहां कथित तौर पर नकदी मिली, वह एक आउटहाउस था न कि मुख्य इमारत जहां जज और उनका परिवार रहता है।
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25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में क्या?
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय द्वारा सौंपी गई 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में होली की रात जस्टिस वर्मा के घर पर लगी आग को बुझाने से जुड़े अभियान के वीडियो और फोटोग्राफ भी शामिल हैं, जिसके दौरान नकदी बरामद हुई थी। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने लिखा कि 'रिपोर्ट की गई घटना, उपलब्ध सामग्री और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे जो पता चला वह यह है कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च 2025 की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जस्टिस वर्मा के घर पर तैनात गार्ड के मुताबिक, 15 मार्च 2025 की सुबह जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और आंशिक रूप से जली हुए बाकी सामान हटा दिए गए थे। मेरी जांच में प्रथम दृष्टया बंगले में रहने वाले लोगों, घरेलू सहायकों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों (यदि कोई हो) के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के कमरे में दाखिल होने की संभावना सामने नहीं आई है।'
'पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता'
न्यायमूर्ति उपाध्याय ने 21 मार्च को तैयार रिपोर्ट में कहा कि तदनुसार, प्रथम दृष्टया मेरी राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।
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क्या है पूरा मामला?
ये घटना होली (14 मार्च) के दिन की है। दिल्ली के तुगलक रोड पर जस्टिस यशवंत वर्मा के घर देर रात 11.30 बजे आग लग गई। तब जज शहर में नहीं थे। होली के त्योहार में वह कहीं बाहर गए हुए थे। इसके बाद आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया गया। आग बुझाने के लिए बचावकर्मी एक कमरे में घुसे तो हक्के बक्के रह गए। कमरे में कथिततौर पर भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ।
इलाहाबाद HC भेजने का प्रस्ताव
दिल्ली पुलिस की ओर से मामले की जानकारी गृह मंत्रालय को दी गई और इस संबंध में एक रिपोर्ट भी भेजी गई। गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को CJI संजीव खन्ना को भेज दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए CJI ने 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक बुलाई। इसमें जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने का प्रस्ताव पास हुआ। जान लें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से ही जस्टिस यशवंत वर्मा 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट भेजा गया था।
कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का ऐसा मानना है कि ऐसे गंभीर मामलों में केवल ट्रांसफर काफी नहीं है। न्यायपालिका की छवि इससे धूमिल होती है और संस्था के प्रति लोगों का विश्वास भी कम होगा। इस दौरान सुझाव दिया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा से इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। अगर वो ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो उनकी CJI द्वारा इन-हाउस जांच शुरू की जानी चाहिए।
Published By : Priyanka Yadav
पब्लिश्ड 23 March 2025 at 10:59 IST