अपडेटेड 23 March 2025 at 10:28 IST

आग, कैश, ट्रांसफर, जांच...जस्‍टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद HC तबादले का बार एसोसिएशन ने किया विरोध, कहा- हम कूड़ेदान नहीं

जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर किए जाने का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि हम कूड़ेदान नहीं है।

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Allahabad High Court opposed justice Yashwant Varma Transfer
Allahabad High Court opposed justice Yashwant Varma Transfer | Image: X

Cash Recovery at Judge Yashwant Varma Home: दिल्ली हाईकोर्ट जज के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में नोटों का अंबार मिलने के बाद से वह सुर्खियों में हैं। एक ओर कॉलेजियम ने वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि हम कूड़ेदान नहीं है। भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

जान लें कि साल 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट भेजा गया था। अब उनके घर पर नोटों का अंबार मिलने से हड़कंप मच गया। मामले के बढ़ते ही कॉलेजियम ने बैठक बुलाई जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का फैसला लिया गया।

जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का विरोध

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि घर से करोड़ों का कैश मिलने पर उन्हें 'घर वापसी' का इनाम दिया जा रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान नहीं है जो यहां उनका ट्रांसफर कर दिया जाए। भ्रष्टाटार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

'भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से खड़ा HC बार'

इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, 'अगर किसी आम कर्मचारी के घर से 15 लाख रुपये मिलते हैं, तो उसे जेल भेज दिया जाता है। एक जज के घर से 15 करोड़ रुपये की नकदी मिलती है और उसे 'घर वापसी' का इनाम दिया जा रहा है? क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान है? हाईकोर्ट बार भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत मजबूती से खड़ा है। हम उन्हें यहां स्वागत नहीं करने देंगे। अगर वह शामिल होते हैं, तो हम न्यायालय में अनिश्चित काल के लिए रहेंगे और वकील न्यायालय से दूर रहेंगे। हमारी मांग है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट न भेजा जाए।'

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'जस्टिस वर्मा का न्यायपालिका में बने रहना कलंक'

बार एसिसोएशन के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि 'जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर लिया गया यह फैसला न्यायपालिका में जनता के विश्वास को हिला सकता है। जस्टिस के घर में करोड़ों की नकदी मिलना गलत है। अगर उन्हें हाईकोर्ट में न्याय देने के लिए बैठा दिया जाएगा तो इससे जनता का विश्वास कम होगा। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जो फैसला लिया है हम उसके खिलाफ हैं। यह वकीलों की लड़ाई नहीं, बल्कि न्यायपालिका को बचाने की लड़ाई है। अगर न्यायपालिका डैमेज हुआ तो कुछ नहीं बचेगा। न लोकतंत्र बचेगा और न स्वतंत्रता बचेगी। जस्टिस यशवंत वर्मा का न्यायपालिका में बने रहना हिंदुस्तान के लिए बहुत बड़ा कलंक है। उन्हें तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए।'  

क्या है पूरा मामला?

ये घटना होली (14 मार्च) के दिन की है। दिल्ली के तुगलक रोड पर जस्टिस यशवंत वर्मा के घर देर रात 11.30 बजे आग लग गई। तब जज शहर में नहीं थे। होली के त्योहार में वह कहीं बाहर गए हुए थे। इसके बाद आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड और पुलिस को बुलाया गया। आग बुझाने के लिए बचावकर्मी एक कमरे में घुसे तो हक्के बक्के रह गए। कमरे में कथिततौर पर भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ।

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इलाहाबाद HC भेजने का प्रस्ताव हुआ पास

दिल्ली पुलिस की ओर से मामले की जानकारी गृह मंत्रालय को दी गई और इस संबंध में एक रिपोर्ट भी भेजी गई। गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को CJI संजीव खन्ना को भेज दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए CJI ने 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक बुलाई। इसमें जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने का प्रस्ताव पास हुआ। जान लें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट से ही जस्टिस यशवंत वर्मा 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट भेजा गया था।

कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का ऐसा मानना ​​है कि ऐसे गंभीर मामलों में केवल ट्रांसफर काफी नहीं है। न्यायपालिका की छवि इससे धूमिल होती है और संस्था के प्रति लोगों का विश्वास भी कम होगा। इस दौरान सुझाव दिया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा से इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। अगर वो ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो उनकी CJI द्वारा इन-हाउस जांच शुरू की जानी चाहिए।

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 23 March 2025 at 09:53 IST