अपडेटेड 4 July 2025 at 16:33 IST

भोपाल नवाब की संपत्ति के मालिकाना हक मामले में सैफ अली खान को झटका, कोर्ट ने 25 साल पुराना फैसला पलटा

Saif Ali Khan Property : जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सैफ अली खान और उनका परिवार इस संपत्ति पर अपना दावा बरकरार रख पाते हैं या नहीं? जानें क्या है विवाद

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सैफ अली खान को कोर्ट से झटका | Image: X

Saif Ali Khan property dispute : मध्य प्रदेश की भोपाल रियासत के अंतिम नवाब मोहम्मद हमीदुल्ला खान की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान और पटौदी खानदान के वारिस सैफ अली खान को पुश्तैनी संपत्ति विवाद में जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है।

हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए भोपाल ट्रायल कोर्ट के 25 साल पुराने फैसले को रद्द करते हुए मामले की नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को एक साल के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है। यह विवाद भोपाल रियासत के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान की संपत्ति के उत्तराधिकार से जुड़ा है, जिनका निधन 4 फरवरी, 1960 को हुआ था। नवाब ने अपनी मौत के समय बड़ी संपत्ति छोड़ी थी, जिसमें भोपाल, सीहोर और रायसेन जैसे क्षेत्रों में महल, जमीनें और अन्य संपत्तियां शामिल हैं।

भोपाल रियासत में सैफ का हक कैसे?

हाजी नवाब हाफिज सर हमीदुल्लाह खान का पूरा नाम सिकंदर सौलत इफ्तेखार उल मुल्क बहादुर हमीदुल्लाह खान था। वो भोपाल के अंतिम सत्तारूढ़ नवाब थे, जिसका 1956 में मध्य प्रदेश राज्य में विलय हो गया था। उन्होंने दो शादी की थी। हमीदुल्लाह खान की मौत के बाद उनकी बड़ी बेगम की बेटी साजिदा सुल्तान को भारत सरकार ने 1961 में कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया था। साजिदा सुल्तान, सैफ अली खान की परदादी थीं, जिनकी शादी पटौदी रियासत के नवाब इफ्तिखार अली खान से हुई थी। उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी और फिर उनके बेटे सैफ अली खान को इस संपत्ति का वारिस माना गया।

कोर्ट कैसे पहुंचा विवाद?

नवाब हमीदुल्ला खान के अन्य वंशजों, यासिर सुल्तान और फैजा सुल्तान ने 1999 में दो दीवानी वाद दायर कर दावा किया कि नवाब की निजी संपत्ति पर सभी वैध वारिसों का अधिकार है। उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत संपत्ति के बंटवारे की मांग की थी। इस मामले में सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनें सबा सुल्तान व सोहा अली खान को प्रतिवादी बनाया गया।

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जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला

जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी ने ट्रायल कोर्ट के 14 फरवरी, 2000 के फैसले को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट का मानना है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले के सभी पहलुओं पर विचार नहीं किया और गलत आधार पर याचिकाओं को खारिज किया था। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार के कानूनों के आधार पर होना चाहिए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि नए सिरे से सुनवाई करे और सभी पक्षों को सबूत पेश करने का मौका दिया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में सुनवाई एक साल में पूरी करने का निर्देश दिया है।

अरबों रुपये का संपत्ति विवाद

कोर्ट का यह फैसला सैफ अली खान और उनके परिवार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि साजिदा सुल्तान को दी गई संपत्ति को अब अन्य वारिसों के साथ बंटवारे के लिए फिर से कोर्ट विचार करेगा। सैफ अली खान, पटौदी खानदान के वर्तमान वारिस हैं और उनकी बहन सबा अली खान पटौदी औकाफ-ए-शाही ट्रस्ट की मुतवल्ली हैं। इसे "शाही वक्फ" भी कहा जाता है। दोनों इस मामले में लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस संपत्ति में भोपाल के अहमदाबाद पैलेस, फ्लैग स्टाफ हाउस और हजारों एकड़ जमीन शामिल हैं, जिनकी कीमत अरबों रुपये में आंकी जाती है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सैफ अली खान और उनका परिवार इस संपत्ति पर अपना दावा बरकरार रख पाते हैं या नहीं?

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 4 July 2025 at 16:33 IST