अपडेटेड 9 April 2025 at 17:23 IST

चिकन खाने के चक्कर में पकड़ा गया दमोह का फर्जी मिशनरी डॉक्टर, 8 लाख रुपये महीना लेता था सैलरी

Damoh News : आरोपी के बयानों के मुताबिक वो जर्मनी में क्रिश्चन मिशनरी के संपर्क में आया और नोएडा आकर नरेंद्र यादव से नरेंद्र जॉन केम बन गया।

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Damoh fake doctor caught while eating chicken
चिकन खाने के चक्कर में पकड़ा गया दमोह का फर्जी मिशनरी डॉक्टर | Image: Republic

Damoh fake Heart Surgeon : मध्य प्रदेश के दमोह में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम द्वारा की गई हार्ट सर्जरी के बाद 7 मरीजों की मौत के मामले में SIT का गठन किया गया है। इस फर्जी डॉक्टर ने नकली डिग्री दिखाकर 3 राज्यों में करीब 15000 हार्ट सर्जरी की है। इसका दावा उसने खुद अपने ब्लॉग में किया था। इस फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के खिलाफ जांच के लिए SIT दार्जिलिंग और कोलकाता जा रही है। SIT की टीम पांडिचेरी और कानपुर में भी पड़ताल करेगी।

अभी तक की जांच में नरेंद्र जॉन कैम के सभी दस्तावेज फर्जी मिले हैं। अभी तक जो दस्तावेज मिले हैं, उनमें प्रिंटिंग क्वालिटी, पेपर क्वालिटी और वाटर मार्क से लेकर पूर्व उप राष्ट्रपति के साइन तक सब फर्जी है। आरोपी खुदको लंदन का हार्ट स्पेशलिस्ट बताता था। आरोपी डॉक्टर विदेश कब गया, इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है। इसके खिलाफ जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा, क्योंकि इस डॉक्टर ने कई जगह रहकर ऑपरेशन किए हैं।

(कार्डियोलॉजी की डिग्री में पूर्व उप राष्ट्रपति के फर्जी साइन)

जर्मनी में क्रिश्चन मिशनरी से संपर्क

पुलिस को दिए आरोपी डॉक्टर के बयानों के मुताबिक वो जर्मनी में क्रिश्चन मिशनरी के संपर्क में आया और नोएडा आकर नरेंद्र यादव से नरेंद्र जॉन केम बन गया। उसने अपने ड्राइविंग लाइसेंस में नाम बदला और बाकी डॉक्यूमेंट में भी नाम चेंज करता चला गया। अभी डॉक्टर बार-बार अपने बयान बदलकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल वो दमोह के ईसाई मिशनरी अस्पताल 'मिशन अस्पताल' में काम कर रहा था।

चिकन के चक्कर में पकड़ा गया

दमोह पुलिस ने डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम को यूपी के प्रयागराज से गिरफ्तार किया है। पुलिस को चमका देकर वो एमपी से फरार हो गया था। पुलिस को उसकी खबर तब लगी जब उसने प्रयागराज में अपने फोन से चिकन का ऑर्डर किया। चिकन खाने के चक्कर में वो होटल से सलाखों के पीछे पहुंच गया। दमोह साइबर टीम डॉक्टर का नंबर ट्रेस कर रही थी। जैसे ही उसने अपने फोन से चिकन ऑर्डर किया, एमपी पुलिस को उसकी लोकेशन मिल गई। इस बात का खुलासा दमोह पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने किया है।

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24 सितंबर, 2024 को भेजे फर्जी सर्टिफिकेट

डॉक्टर की गिरफ्तारी और पुलिस रिमांड मिलने के बाद, दमोह पुलिस ने अब इस मामले में बड़ी साजिश के एंगल से जांच शुरू कर दी है। दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों से पता चला है कि अस्पताल के मालिक अजय लाल के रिश्तेदार विजय लैम्बर्ट को डॉक्टरों की भर्ती का फैसला लेने का अधिकार दिया गया था। रिपब्लिक भारत को मिली व्हाट्सएप चैट डिटेल से पता चला कि विजय लैम्बर्ट को 24 सितंबर, 2024 डॉक्टर ने अपने फर्जी सर्टिफिकेट भेजे थे, लेकिन उन्होंने आरोपी डॉक्टर की डिग्रियों की सही जांच नहीं की। अस्पताल नए सर्जन की भर्ती का पूरा रिकॉर्ड नहीं दे सका, इसलिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) की रिपोर्ट में अस्पताल को मध्य प्रदेश नर्सिंग एक्ट के तहत जिम्मेदार ठहराया गया है।

8 लाख रुपये महीना सैलरी

मिशन हॉस्पिटल में काम करने वाला ये फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन लग्जरी लाइफ जीता था। होटल के लग्जरी रूम में रुकता था, उसकी महीने की सैलरी 8 लाख रुपये थी। वो दमोह में होटल उत्सव विलास के रूम नंबर 105 में रुका था। होटल के रजिस्टर में उसकी एंट्री भी है, जिसमें चेक इन 6 जनवरी और चेक आउट 12 फरवरी का है। होटल का करीब 50 हजार का पेमेंट मिशन हॉस्पिटल ने चेक के जरिए किया था।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 9 April 2025 at 17:23 IST