अपडेटेड May 5th 2025, 17:31 IST
MP News : मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र में बहुत बड़ी गलती सामने आई है। जिसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हंगामा खड़ा कर दिया है और सवाल उठने लगा है कि क्या ये इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश है या फिर महज एक गलत? BSC सेकेंड ईयर परीक्षा के पेपर में एक सवाल में पूछा गया है- 'रानी दुर्गावती का मकबरा कहां है?'
ये सवाल बेहद संवेदनशील है, जिसने जनआस्था को आहत किया है और इतिहासकारों को आगबबूला कर दिया है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा के BSC सेकेंड फाउंडेशन कोर्स की परीक्षा में प्रश्न नंबर 42 में पूछा गया कि रानी दुर्गावती का मकबरा कहां स्थित है? जबकि रानी दुर्गावती हिंदू थीं और उनका समाधि स्थल है। मकबरे इस्लाम को मानने वालों के बनाए जाते थे। प्रश्नपत्र में समाधि स्थल की जगह मकबरा शब्द का इस्तेमाल किया गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
बीएससी का पेपर सेट करने वालों ने प्रश्न संख्या 42 में सवाल पूछा है- 'रानी दुर्गावती का मकबरा कहां है?' प्रश्न पत्र में इसके 4 विकल्प दिए गए हैं।
BSC द्वितीय वर्ष की फाउंडेशन कोर्स परीक्षा का आयोजन 3 मई को किया गया था। ABVP ने 'मकबरा' शब्द लिखने को वीरांगना रानी दुर्गावती का अपमान बताया है। मकबरा जैसा शब्द मुगल आक्रांताओं के लिए लिखा जाता है। यह प्रश्न वीरांगना रानी दुर्गावती के सम्मान और हिंदू परंपराओं के खिलाफ है, क्योंकि हिंदू संस्कृति में 'मकबरा' शब्द का प्रयोग नहीं होता। गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावती ने लिया मुगल शासकों से लोहा लिया था।
मुगल शासकों से मुकाबला कर अपना शौर्य और पराक्रम का लोहा मंगवाने वाली वीरांगना रानी दुर्गावती से जुड़े इस सवाल पर खासा बवाल खड़ा हो गया है। यह सवाल किसी और ने नहीं बल्कि उस संस्थान ने अपने परीक्षार्थियों से पूछा है जिसका नाम ही वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर पड़ा है। मकबरा शब्द पर नजर पड़ते ही छात्र संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय पहुंचकर नारेबाजी शुरू कर दी और पेपर सेट करने वाले प्रोफेसर पर कार्रवाई की मांग करने लगे।
रानी दुर्गावती गढ़ा राज्य की महारानी थीं, उनका जन्म 5 अक्तूबर, 1524 को महोबा के चंदेल राजपूत राजवंश में हुआ और विवाह गढ़ा राज्य के राजपूत राजा दलपत शाह से हुआ था, जिसे गोंड राजा संग्राम शाह ने गोद लिया था। 1550 में अपने पति दलपत शाह की मृत्यु के बाद उन्होंने गोंडवाना का शासन संभाला और 1564 तक शासन किया। उन्होंने अपने शासन काल में अकबर के सेनापति आसिफ खान और मालवा के सुल्तान बाज बहादुर के खिलाफ युद्ध लड़े। उनकी मौत के बाद उनकी समाधि बनाई गई थी, ना कि मकबरा। उन्हें मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा के लिए याद किया जाता है।
पब्लिश्ड May 5th 2025, 17:30 IST