अपडेटेड August 1st 2024, 22:18 IST
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने एक दम्पति को राहत देते हुए निचली अदालत में उस मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी है जिसमें वे अपनी दो संतानों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। दम्पति पर यह मामला किसी और व्यक्ति ने नहीं, बल्कि उनकी 21 वर्षीय बेटी और उनके आठ वर्षीय बेटे ने ही दर्ज कराया है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया ने दम्पति की याचिका पर जिला अदालत में विचाराधीन मामले की सुनवाई पर 25 जुलाई को रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय ने दम्पति की याचिका की अगली सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तारीख तय की है। अधिकारियों ने बताया कि 21 वर्षीय युवती और उसके आठ वर्षीय भाई की शिकायत पर शहर के चंदन नगर पुलिस थाने में उनके माता-पिता के खिलाफ 25 अक्टूबर 2021 को भारतीय दंड संहिता और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
प्राथमिकी में भाई-बहन ने आरोप लगाया था कि उनके माता-पिता उन्हें भोजन नहीं देते, टीवी देखने नहीं देते तथा बात-बात पर उन्हें छड़ी से पीटते हुए उनके साथ गाली-गलौज करते हैं। प्राथमिकी में दम्पति पर यह आरोप भी लगाया गया था कि वे अपने आठ वर्षीय बेटे को घर के अंधेरे कमरे में बंद कर देते हैं जिससे वह बुरी तरह खौफजदा है। प्राथमिकी के मुताबिक इस दम्पति की कथित प्रताड़ना के कारण वे जून 2021 में अपने घर से भाग कर अपनी बुआ के साथ रहने आ गए थे।
दम्पति के वकील धर्मेंद्र चौधरी ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं को बताया कि इस मामले में पुलिस ने जिला अदालत में उनके पक्षकारों के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया था और मुकदमे की सुनवाई भी शुरू हो गई थी। उन्होंने बताया कि अपनी संतानों के कारण व्यथित दम्पति ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
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पब्लिश्ड August 1st 2024, 22:18 IST