अपडेटेड 31 January 2025 at 13:35 IST

Surya Namaskar In Schools: क्या अब नहीं होगा स्कूलों में सूर्य नमस्कार? जमीयत का ऐलान, कहा- मुस्लिम समुदाय करें बहिष्कार

Surya Namaskar In Schools: राजस्थान में 15 फरवरी को सूर्य सप्तमी के दिन सभी स्कूलों में सूर्य नमस्कार होने को लेकर जमीयत ने ऐतराज जताया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर | Image: X

Surya Namaskar In Schools: राजस्थान सरकार ने 15 फरवरी को सूर्य सप्तमी के दिन सभी स्कूलों में सूर्य नमस्कार अनिवार्य करने का आदेश दिया था। जिसे लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा राजस्थान की राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में  जमीयत उलमा राजस्थान के महासचिव मौलाना अब्दुल वाहिद खत्री ने सूर्य नमस्कार को लेकर एक प्रस्ताव रखा।

बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि सूर्य सप्तमी के मौके पर सभी स्कूलों में छात्रों, अभिभावकों और अन्य लोगों से सामूहिक सूर्य नमस्कार कराने का सरकारी आदेश गलत है। उन्होंने इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप और संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया। साथ ही उन्होंने इसेन्यायालय के आदेशों की अवहेलना भी करार दिया।

वहीं, जमीयत ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे 15 फरवरी को सूर्य सप्तमी के दिन विद्यार्थियों को स्कूल में न भेजें और सूर्य नमस्कार के साथ-साथ इस समारोह का बहिष्कार करें। इस बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य मुस्लिम संगठनों ने राजस्थान हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसमें 15 फरवरी के समारोह को रद्द करने और स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य करने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है। ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने इसकी सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है।

वहीं मामले में जमीयत उलेमा ए राजस्थान की राज्य कार्यकारिणी ने यह साफ किया है कि हिंदू समाज में सूर्य की पूजा भगवान के रूप में की जाती है। इस पूजा में जो श्लोक, प्रणाम और अष्टांगा नमस्कार जैसी क्रियाएं होती हैं, जो पूजा का हिस्सा हैं। ऐसे में इस्लाम धर्म में सिर्फ अल्लाह की पूजा की जाती है, और किसी अन्य की पूजा करना मुमकिन नहीं है। इसलिए मुस्लिम समुदाय के लिए इसे स्वीकार करना संभव नहीं है।

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इसके अलावा जमीयत के नेताओं का कहना है कि एक लोकतांत्रिक देश में किसी विशेष धर्म की मान्यताओं को दूसरों पर थोपना संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इसे एक गलत प्रयास माना गया है, जिसका वे पूरी ताकत से विरोध करेंगे और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत इसके खिलाफ संघर्ष करेंगे।

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Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 31 January 2025 at 13:35 IST