अपडेटेड 21 August 2025 at 12:17 IST
'लिपुलेख हमारा है', भारत-चीन के बीच ऐसा कौन-सा समझौता हुआ, जिसपर नेपाल को लगी मिर्ची? काठमांडू के बेतुके दावे पर MEA ने दिखाया आईना
Lipulekh: लिपुलेख मामले में नेपाल के बेतुके दावे पर विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। भारत सरकार ने अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए काठमांडू के दावे को अनुचित बताया है।
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Lipulekh: लिपुलेख मामले में नेपाल के बेतुके दावे पर विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। भारत सरकार ने अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए काठमांडू के दावे को अनुचित बताया है।
आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच हाल ही में हुए एक समझौते को लेकर नेपाल की ओर से बयान आया था। इसमें कहा गया था कि लिपुलेख नेपाल का हिस्सा है, और भारत को वहां सड़क निर्माण या व्यापार जैसी गतिविधियां रोक देनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमने लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के संबंध में नेपाल के विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। इस संबंध में हमारी स्थिति स्पष्ट रही है। लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार 1954 में शुरू हुआ था और दशकों से चल रहा है। हाल के वर्षों में कोविड और अन्य घटनाओं के कारण यह व्यापार बाधित हुआ था, और अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं।"
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, "क्षेत्रीय दावों के संबंध में हमारा रुख यह है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित हैं। क्षेत्रीय दावों का कोई भी एकतरफा आर्टिफिशियल विस्तार अस्वीकार्य है। भारत बातचीत और कूटनीति के माध्यम से लंबित सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए नेपाल के साथ रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार है।"
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भारत के हिस्से पर नेपाल का दावा
नेपाल जिस कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख दर्रे पर दावा करता है, वो असल में भारत का है। इससे पहले भी नेपाल ने साल 2020 में एक मैप जारी करके सीमा विवाद शुरू कर दिया था। आपको बता दें कि भारत और चीन ने मंगलवार को लिपुलेख दर्रे और दो अन्य व्यापारिक दर्रों के जरिए व्यापार को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी, जिसपर नेपाल ने आपत्ति जताई है।
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Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 21 August 2025 at 12:17 IST