अपडेटेड 15 August 2024 at 21:48 IST

दिल्ली की तरह देश के सभी एम्स अस्पतालों में हो डॉक्टर्स की सैलरी, एनएमसी ने उठाई मांग

कार्य बल ने कहा 'सभी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों को दिल्ली स्थित एम्स के वेतनमान के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए।'

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AIIMS
AIIMS | Image: PTI

NMC On AIIMS Doctors Salary: राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) की ओर से गठित एक कार्य बल ने अपने एक प्रस्ताव में कहा है कि समानता सुनिश्चित करने और नौकरी की संतुष्टि को बढ़ावा देने के लिए सभी चिकित्सकों की खातिर दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की वेतनमान संरचना और सेवानिवृत्ति नीति को अपनाया जाना चाहिए।

एनएमसी के कार्यबल ‘नेशनल टास्क फोर्स ऑन मेंटल हेल्थ एंड वेलबीइंग ऑफ मेडिकल स्टूडेंट्स’ ने अपनी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के वेतनमान का हवाला देते हुए अपनी नीतियों के मानकीकरण की मांग की है।

कार्य बल ने कहा, ‘‘...सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रशिक्षुओं, स्नातकोत्तर छात्रों, ‘सीनियर रेजिडेंट’, सुपर-स्पेशियलिटी छात्रों और चिकित्सा शिक्षकों को दिल्ली स्थित एम्स के वेतनमान के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए, भले ही वे निजी, सार्वजनिक, राज्यस्तरीय, केंद्रीय, डीम्ड विश्वविद्यालय या किसी अन्य प्रकार के संस्थान हों।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा की उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा शिक्षकों के लिए निजी प्रैक्टिस को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, ‘‘संस्थानों में वेतनमान, सेवानिवृत्ति और ‘रोटेशनल विभागाध्यक्ष’ नीतियों का मानकीकरण समानता सुनिश्चित करता है और उच्च गुणवत्ता वाले संकाय को आकर्षित करता है। चिकित्सा शिक्षकों के लिए निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने और गैर-प्रैक्टिस भत्ता प्रदान करने से शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है।’’

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इसमें कहा गया है कि दिल्ली के एम्स का वेतनमान चिकित्सा शिक्षकों को अपने शिक्षण कर्तव्यों में किसी भी तरह का समझौता करने से रोकेगा और इससे शिक्षा की शुचिता बनी रहेगी। कार्य बल ने कहा, ‘‘मेडिकल संकाय के लिए वर्तमान सेवानिवृत्ति नीति असंगत और अव्यवस्थित है।’’ इसमें कहा गया है कि दिल्ली के एम्स की नीति को अपनाकर देश भर में एक मानकीकृत सेवानिवृत्ति नीति लागू की जानी चाहिए।’’

कार्य बल ने यह भी सिफारिश की कि उन चिकित्सा शिक्षकों के भुगतान में गैर-प्रैक्टिस भत्ता शामिल किया जाना चाहिए जो अपना समय विशेष रूप से शिक्षण और शैक्षणिक कर्तव्यों के लिए समर्पित करते हैं, इससे शिक्षा और अनुसंधान पर वह अधिक ध्यान दे सकेंगे। एनएमसी की रिपोर्ट में नए विचारों और प्रथाओं को लागू करने और अकुशल नेतृत्व के तहत विषाक्त वातावरण को रोकने के लिए विभागाध्यक्षों की नियुक्ति में परिवर्तनशील प्रणाली लागू करने की सिफारिश की गई है।

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इसमें आगे कहा गया कि सभी मेडिकल कॉलेजों में नयी पेंशन योजना लागू करना जरूरी है। कार्य बल ने कहा कि अपर्याप्त वजीफा जो गुजर-बसर की लागत या कार्यभार से मेल नहीं खाता है और भुगतान में देरी मेडिकल छात्रों के लिए वित्तीय अस्थिरता पैदा करती है। इसमें कहा गया है कि हड़ताल, भुगतान में देरी और अपर्याप्त भत्ते का आम जनता के स्वास्थ्य देखभाल पर गंभीर परिणाम पड़ सकता है।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 15 August 2024 at 21:48 IST