Updated September 28th, 2018 at 10:50 IST
SABARIMALA VERDICT LIVE: सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अहम फैसला ..
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश मामले में अहम सुनवाई करने वाली है.
Advertisement
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश मामले में अहम सुनवाई करने वाली है. बता दें, पांच जजों की बेंच इस पूरे मामले की सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुना सकती है. फिलहाल सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है.
वहीं अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को पुरुषों की तरह ही पूजा-पाठ करने का अधिकार है. पांच जजों की बेंच जिसमें CJI दिपक मिश्रा ने देवस्वाम बोर्ड के 10-50 साल की आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कहा था कि ''यहां तक कि अगर कोई कानून नहीं था, तो मंदिर में प्रार्थना करने के संबंध में महिलाओं से भेदभाव नहीं किया जा सकता है.''
10:48 AM सुप्रीम कोर्ट ने कहा, धर्म के मामले में भी महिला बराबर की हिस्सेदार , समाज को सोच बदलनी पड़ेगी..
10:42 AM : महिलाएं बराबर की हिस्सेदार हैं : SC
10:42 AM : CJI अपना फैसला कोर्ट में पढ़ रहे हैं..
09:44 AM : 'हमें पूरा विश्वास है कि जो भी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आएगा वो हमारी हिंदू सनातन परंपराओं को ध्यान में रखते हुए आएगा': स्वामी चक्रपाणि
''उन्होंने कहा था कि एक मर्द अंदर दाखिल हो सकता है तो एक महिला भी हो सकती है.. जो नियम एक मर्द के लिए हैं वहीं नियम महिलाओं के लिए भी है.''
CJI दिपक मिश्रा के साथ अलावा इस बेंच में जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.
इसके साथ ही कोर्ट का कहना है कि आर्टिकल 25 और आर्टिकल 26 के तहत महिलाओं को मंदिर में प्रवेश का अधिकार है. "मंदिर में प्रवेश करना, संवैधानिक अधिकार है".
हाल ही में इस मामले की सुनवाई के दौरान केरल की सरकार ने कोर्ट को बताया था कि वो मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करते हैं. वहीं इससे पहले साल 2015 में केरल की सरकार ने महिलाओं के प्रवेश मामले पर अपनी हामी भरी थी लेकिन साल 2017 में उन्होंने इस पूरे मामले पर यू-टर्न ले लिया था. बता दें, केरल सरकार ने कभी इस मामले का समर्थन किया तो कभी विरोध. जिसपर कोर्ट ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ''आप बदलते समय के साथ खुद बदल रहे हो''
गौरतलब है कि कोर्ट ने 13 अक्टूबर को इस पूरे मामले को एक संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया था. वहीं याचिकाकर्ताओं का इस मामले में कहना है कि ये संवैधानिक समानता के अधिकार में भेदभाव है. फैसला महिलाओं के पक्ष में आना चाहिए.
Advertisement
Published September 28th, 2018 at 10:50 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।