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Published 23:05 IST, September 19th 2024

Delhi Riots 2020: खजूरी खास में दंगा मामले के 2 आरोपी बरी, कोर्ट ने दिया संदेह का लाभ

कोर्ट ने कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के 161 के ब्यान में पहले के बयान से बदलाव दिखाई देता है।

Reported by: Ravindra Singh
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Nearly 62,000 of cases pending in high courts are over 30 years old
Nearly 62,000 of cases pending in high courts are over 30 years old | Image: Representative Image

साल 2020 में हुए दिल्ली दंगों के दौरान खजूरी खास इलाके में दंगा फैलाने, मकानों में आग लगाने और लूटपाट के मामले में  2  आरोपी मिट्ठन सिंह और जॉनी कुमार को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। कोर्ट ने बताया कि इन दोनों आरोपियों को संदेह की वजह से दोषी नहीं माना जा रहा है और इसी वजह से इन्हें दिल्ली दंगों के आरोपों से मुक्त करते हुए बरी किया जा रहा है। इन दोनों पर खजूरी खास इलाके की एक मस्जिद और उसके पास के मकानों में आग लगाने और लूटपाट का मामला चल रहा था।


कोर्ट ने कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के 161 के ब्यान में पहले के बयान से बदलाव दिखाई देता है। कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है दोनों गवाहों ने मामले में बयान पूर्व निर्धारित मानसिकता के साथ दिया था, जो पहले से ही पुलिस हिरासत में थे। इसके पहले 14 सितंबर को दिल्ली दंगों को लेकर हुई सुनवाई में कोर्ट ने 10 आरोपियों को बरी कर दिया था। इन लोगों पर आरोप था कि ये लोग गैर कानूनी तरीके से इकट्ठा होकर आगजनी सहित कई अन्य धाराओं में शामिल थे इन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया गया।  


गोकुलपुरी थाने में दर्ज था मामला

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला उन 10 आरोपियों के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे जिनके खिलाफ गोकुलपुरी पुलिस थाना ने आगजनी और घर में जबरन घुसने सहित कई अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी दंगाई भीड़ का हिस्सा थे जिसने 24 फरवरी, 2020 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बृजपुरी के चमन पार्क इलाके में एक इमारत की पहली मंजिल पर जबरन घुसने और डकैती करने के अलावा भूतल पर एक पिज्जा की दुकान में तोड़फोड़ और आगजनी की थी।


कोर्ट को गवाहों के बयान विरोधाभासी लगे

अदालत ने प्रस्तुत साक्ष्यों पर संज्ञान लिया और बुधवार को सुनाए अपने फैसले में कहा कि मामले में दो प्रत्यक्षदर्शियों ने दंगाई भीड़ द्वारा दुकान में आग लगाए जाने के बारे में 'विरोधाभासी बयान' दिए और इससे उनकी विश्वसनीयता को लेकर संदेह पैदा होता है। अदालत ने आरक्षी विपिन और सहायक उपनिरीक्षक हरि बाबू के साथ ड्यूटी पर होने के बारे में हेड कांस्टेबल संजय की गवाही पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने कहा कि उस दिन के ड्यूटी रोस्टर के अनुसार विपिन और बाबू की ड्यूटी चमन पार्क में थी, जबकि संजय की ड्यूटी जौहरीपुर में थी।

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Updated 23:05 IST, September 19th 2024