अपडेटेड 10 March 2025 at 18:55 IST

चुनाव में व्यस्त होने के बावजूद समयसीमा के भीतर जवाब दाखिल करना होगा: अदालत ने सोमनाथ भारती से कहा

अदालत ने इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद बांसुरी स्वराज के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन को दी गई चुनौती पर उनके बयान पर जवाब दाखिल करने की आम आदमी पार्टी (आप) के सोमनाथ भारती की याचिका खारिज कर दी।

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 Somnath Bharti, Bansuri Swaraj
चुनाव में व्यस्त होने के बावजूद समयसीमा के भीतर जवाब दाखिल करना होगा: अदालत ने सोमनाथ भारती से कहा | Image: PTI

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को निर्धारित समय के भीतर हेतुवाद (प्लीडिंग्स) दायर करने के महत्व को रेखांकित किया, भले ही कोई वादी ‘‘चुनाव में व्यस्त हो’’। अदालत ने इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद बांसुरी स्वराज के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन को दी गई चुनौती पर उनके बयान पर जवाब दाखिल करने की आम आदमी पार्टी (आप) के सोमनाथ भारती की याचिका खारिज कर दी। जब भारती ने दावा किया कि उन्हें भ्रष्ट आचरण के आधार पर बांसुरी स्वराज के निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर अभी तक उनका (स्वराज का) जवाब नहीं मिला है, तो न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने कहा कि बयान उन्हें दिया गया है और उनके ‘प्रॉक्सी’ वकील ने 9 दिसंबर, 2024 को जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था।

‘प्रॉक्सी’ वकील मामले के मुख्य वकील की अनुपस्थिति में पेश होता है। भारती 2024 के चुनाव में नयी दिल्ली लोकसभा सीट से स्वराज से हार गए थे। स्वराज की ओर से पेश वकील ने अनुरोध का विरोध किया और कहा कि जवाब दाखिल करने की 30 दिन की वैधानिक अवधि समाप्त हो चुकी है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अदालत का आदेश देखा है, भारती ने कहा कि वह 'चुनाव में व्यस्त थे' और ‘प्रॉक्सी’ वकील ने गलत बयान दिया है।अदालत ने पूछा, ‘कौन सा कानून कहता है कि चूंकि वादी चुनाव में व्यस्त था, इसलिए परिसीमा कानून लागू नहीं होगा?’ आदेश में कहा गया है, ’अदालत याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करने की इच्छुक नहीं है। प्रतिवादी द्वारा 19 अक्टूबर, 2024 और 22 नवंबर, 2024 को भेजे गए ई-मेल वापस नहीं आए हैं। इसके अलावा, यह याचिकाकर्ता का कर्तव्य था कि वह वकील से संवाद करता। इस स्तर पर प्रतिवेदन दाखिल करने की याचिका खारिज की जाती है।'

सोमनाथ भारती की चुनाव याचिका का विरोध करते हुए बांसुरी स्वराज ने दलील दी थी कि यह कानूनी आवश्यकताओं, विशेष रूप से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100 का पालन किए बिना, निर्धारित 45 दिनों के बाद दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि याचिका में उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित करने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि आरोप 'याचिकाकर्ता की कल्पना मात्र हैं' और साथ ही 'अत्यंत अस्पष्ट और तथ्यों एवं विवरणों से रहित हैं।' भारती ने आरोप लगाया कि चुनाव के दिन उन्होंने स्वराज के पोलिंग एजेंट को पूरे निर्वाचन क्षेत्र में मतदान केंद्रों पर उनके पक्ष में वोट डालने के लिए उनकी बैलट संख्या, फोटो, चुनाव चिह्न और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर वाले पर्चे बांटते देखा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्वराज ने अनुमेय व्यय से अधिक खर्च किया और उनका पूरा अभियान धार्मिक प्रकृति का था।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 10 March 2025 at 18:53 IST