अपडेटेड 18 June 2025 at 14:31 IST

King Cobra: सबसे खतरनाक सांप को लेकर 188 साल पुराने रहस्य से उठा पर्दा... पलक झपकते ही ले लेता है जान, वैज्ञानिकों ने शुरू की नई स्टडी

King Cobra: जब इन आनुवंशिक (Genetic) और शारीरिक (Morphological) जानकारियों को आपस में जोड़ा गया, तब जाकर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि किंग कोबरा वास्तव में चार स्पष्ट रूप से अलग-अलग प्रजातियां हैं। इस प्रकार, दो शताब्दियों से चली आ रही एकल प्रजाति की धारणा अब इतिहास बन गई है। यह खोज न केवल सांपों की दुनिया को समझने में क्रांतिकारी साबित हुई है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रकृति में छिपे रहस्य आज भी हमारी खोज की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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King Cobra
King Cobra: सबसे खतरनाक सांप को लेकर 188 साल पुराने रहस्य से उठा पर्दा... पलक झपकते ही ले लेता है जान, वैज्ञानिकों ने शुरू की नई स्टडी | Image: Freepik

King Cobra: किंग कोबरा, जिसे दुनिया का सबसे लंबा और खतरनाक सांप माना जाता है, लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ था। इसकी 18 फीट तक की लंबाई, घातक ज़हर और रहस्यमयी छवि ने इसे हमेशा से खास बना दिया। करीब दो सदियों तक यह माना जाता रहा कि यह सांप केवल एक ही प्रजाति का है  ओफियोफैगस हन्नाह। लेकिन अब, करीब 188 साल बाद, इस सांप से जुड़ा एक बड़ा रहस्य सामने आया है। 16 अक्टूबर 2023 को यूरोपीय जर्नल ऑफ टैक्सोनॉमी (European Journal of Taxonomy) में प्रकाशित एक शोध में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि किंग कोबरा वास्तव में एक नहीं, बल्कि चार अलग-अलग प्रजातियों में बंटा हुआ है।

यह चौंकाने वाला नतीजा डीएनए विश्लेषण और सांपों की शारीरिक बनावट पर की गई गहन स्टडी से मिला है। इस शोध ने किंग कोबरा को लेकर वर्षों से बनी धारणा को पूरी तरह बदल दिया है और यह साबित कर दिया है कि प्रकृति में अब भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसे हम जानने की कोशिश कर रहे हैं। यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि सांपों के संरक्षण और उनके व्यवहार को समझने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।


किंग कोबरा की पहचान को लेकर कब शुरू हुई खोज?

किंग कोबरा की पहचान को लेकर हुई इस ऐतिहासिक खोज की शुरुआत साल 2021 में हुई। उस वक्त वैज्ञानिकों ने एशिया के विभिन्न हिस्सों से किंग कोबरा के नमूने एकत्र कर उनके डीएनए की जांच की। प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिले कि ये सांप चार अलग-अलग वंशों से संबंध रखते हैं। लेकिन उस समय इन्हें केवल संभावित प्रजातियों के रूप में ही माना गया, क्योंकि शरीर की संरचना से जुड़े पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे। इस अधूरी कड़ी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने दुनिया भर के 153 म्यूजियम में संरक्षित किंग कोबरा के नमूनों का गहन अध्ययन किया। इस अध्ययन में उन्होंने सांपों की त्वचा के पैटर्न, रंग, दांतों की बनावट, शारीरिक संरचना, और धारियों जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण किया।


किंग कोबरा की 4 नई प्रजातियां

नॉर्दर्न किंग कोबरा (Ophiophagus hannah): किंग कोबरा की चार नई पहचानी गई प्रजातियों में से नॉर्दर्न किंग कोबरा को अब भी वैज्ञानिक रूप से Ophiophagus hannah के नाम से जाना जाता है। यह वही प्रजाति है जिसे पहले एकमात्र किंग कोबरा माना जाता था। यह सांप सबसे व्यापक क्षेत्र में पाया जाने वाला है, जिसकी मौजूदगी उप-हिमालयी क्षेत्र, पूर्वी भारत, म्यांमार, और थाईलैंड तक फैली हुई है। इसकी खास पहचान इसके शरीर पर मौजूद पीली पट्टियों और 18 से 21 दांतों के पैटर्न से की जा सकती है। नॉर्दर्न किंग कोबरा अब इस सांप की मूल और सबसे परिचित प्रजाति मानी जा रही है, लेकिन हालिया खोज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह सिर्फ किंग कोबरा की एक किस्म है। बाकी तीन प्रजातियां इससे स्पष्ट रूप से अलग हैं।

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सुंडा किंग कोबरा (Ophiophagus bungarus): नई खोज के अनुसार, किंग कोबरा की दूसरी प्रजाति को सुंडा किंग कोबरा नाम दिया गया है, जिसे वैज्ञानिक रूप से Ophiophagus bungarus कहा जाता है। यह प्रजाति मुख्य रूप से मलय प्रायद्वीप, सुमात्रा, बोर्नियो, जावा, और मिंडोरो द्वीप में पाई जाती है। इस सांप की खास पहचान इसकी बिना धारियों या बेहद हल्की धारियों वाली त्वचा से की जाती है। इसके शरीर की बनावट भी काफी समान और संतुलित होती है, जिससे इसे अन्य प्रजातियों से अलग पहचाना जा सकता है। चारों नई पहचानी गई प्रजातियों में से सुंडा किंग कोबरा को सबसे अधिक एकसमान आकार वाला माना गया है। इसकी बनावट और रंग के आधार पर यह स्पष्ट रूप से अन्य किंग कोबरा प्रजातियों से अलग दिखाई देती है, और यह इस बात का प्रमाण है कि लंबे समय से एक ही समझी जाने वाली प्रजाति वास्तव में कितनी विविध है।


वेस्टर्न घाट्स किंग कोबरा (Ophiophagus kaalinga): किंग कोबरा की चार नई पहचानी गई प्रजातियों में से एक बेहद खास है, वेस्टर्न घाट्स किंग कोबरा, जिसे वैज्ञानिकों ने नाम दिया है Ophiophagus kalinga। यह प्रजाति केवल भारत के पश्चिमी घाट में पाई जाती है और इसी कारण इसे एक स्थानिक (endemic) प्रजाति माना जाता है। इस सांप की पहचान इसकी चौड़ी पीली धारियों से होती है, जिनमें गहरे रंग की सीमाएं नहीं होतीं। देखने में यह काफी हद तक Ophiophagus bungarus यानी सुंडा किंग कोबरा जैसी लगती है, लेकिन इसकी सूक्ष्म शारीरिक बनावट और संरचना इसे उससे अलग बनाती है। वेस्टर्न घाट्स किंग कोबरा न केवल भारत के लिए विशेष महत्व रखती है, बल्कि यह इस खोज का एक बड़ा उदाहरण भी है कि जैव विविधता हमारे आसपास किस हद तक छिपी हो सकती है, बस उसे पहचानने के लिए सही दृष्टिकोण और तकनीक की जरूरत होती है।

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लूजोन किंग कोबरा (Ophiophagus salvatana): किंग कोबरा की चौथी और अंतिम पहचानी गई नई प्रजाति है लूजोन किंग कोबरा, जिसे वैज्ञानिक नाम दिया गया है Ophiophagus salvatana। यह दुर्लभ प्रजाति केवल फिलीपींस के लूजोन द्वीप में पाई जाती है, जिससे यह एक विशिष्ट द्वीपीय प्रजाति बन जाती है। लूजोन किंग कोबरा की पहचान उसकी तीखी पीली धारियों और शरीर पर मौजूद तेज रंगों के कंट्रास्ट से होती है। यही रंगों का स्पष्ट विरोध (contrast) इसे बाकी सभी प्रजातियों से अलग करता है और इसे आसानी से पहचाना जा सकने वाला बनाता है। इसकी विशिष्ट रंगत और द्वीपीय जीवन इसे न केवल अद्वितीय बनाते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कैसे भौगोलिक अलगाव समय के साथ नई प्रजातियों के विकास में भूमिका निभा सकता है। लूजोन किंग कोबरा इस खोज का एक जीवंत और रंगीन प्रमाण है।


जानिए कितने मिनट में फैलता है किंग कोबरा का जहर

Live Science की रिपोर्ट के अनुसार, किंग कोबरा की हाल ही में पहचानी गई चारों नई प्रजातियां दुनिया के सबसे जहरीले सरीसृपों में शामिल हैं। इनका ज़हर इतना घातक होता है कि यदि यह किसी वयस्क इंसान को काट ले, तो केवल 15 मिनट में उसकी जान जा सकती है। अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि किंग कोबरा केवल एक ही प्रजाति है, इसलिए एक ही तरह का एंटीवेनम (जहर का इलाज) सभी के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब, जब यह साफ हो गया है कि किंग कोबरा वास्तव में चार अलग-अलग प्रजातियां हैं, तो यह समझना जरूरी हो गया है कि हर प्रजाति का जहर थोड़ा अलग हो सकता है। इस नई जानकारी के चलते अब वैज्ञानिक प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार विशेष और अधिक प्रभावी एंटीवेनम विकसित कर सकेंगे। इससे इलाज न सिर्फ तेज़ और सटीक होगा, बल्कि इससे जिंदगी बचाने की संभावना भी कहीं अधिक बढ़ जाएगी। यह खोज न केवल जैवविज्ञान की दृष्टि से अहम है, बल्कि स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका गहरा असर पड़ेगा खासकर उन इलाकों में जहां किंग कोबरा आमतौर पर पाए जाते हैं।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 18 June 2025 at 14:31 IST