अपडेटेड 7 July 2025 at 15:16 IST

Khan Sir: 'भगवान नहीं कह सकते लेकिन इतने बहादुर थे कि 500 साल...', क्यों घट गई राजपूतों की संख्या? खान सर ने बताई वजह

विदेशी आक्रांता बार-बार कोशिशें करते रहे, पर राजपूतों की तलवारें और उनकी सीमाओं की रक्षा ने उन्हें भारत के भीतरी हिस्सों में प्रवेश नहीं करने दिया। 500 वर्षों तक, ये सीमाएं दीवार बनकर खड़ी रहीं, भारत को सांस्कृतिक, धार्मिक और प्रशासनिक रूप से अपनी पहचान बनाए रखने का अवसर मिला।

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Khan Sir: 'भगवान नहीं कह सकते लेकिन इतने बहादुर थे कि 500 साल...', क्यों घट गई राजपूतों की संख्या? खान सर ने बताई वजह | Image: x

Khan Sir Told Story of Rajput Warriors: राजपूतों की वीरता के किस्से भारतीय इतिहास में साहस, शौर्य, और आत्मबलिदान की मिसाल माने जाते हैं। राजपूत योद्धाओं ने सदियों तक अपने धर्म, सम्मान और मातृभूमि की रक्षा के लिए अनगिनत युद्ध लड़े और कई बार वीरगति को भी प्राप्त किया। राजपूतों की वीरता सिर्फ तलवार के जोर की कहानी नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान, त्याग और अदम्य साहस की परंपरा है। उनके किस्से आज भी लोकगीतों, कविताओं और इतिहास में जीवंत हैं। मशहूर यूट्यूबर और यूपीएससी के तैयारी के लिए कोचिंग के टीचर खान सर ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने राजपूतों की बहादुरी के किस्से बयां किए हैं। खान सर ने इस वीडियो में बताया कि कैसे लगातार 500 सालों तक राजपूतों ने अपनी बहादुरी के दम पर पूरे देश को विदेशी आक्रमणकारियों से सुरक्षित रखा था। इस वीडियो में खान सर ने आज के समाज में राजपूतों की जनसंख्या कम होने की वजह भी बताई है।


खान सर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजपूतों की बहादुरी के किस्सों को साझा करते हुए देश के इतिहास में उनकी वीरता के किस्से साझा करते हुए बताया कि कैसे राजपूतों ने लगातार 500 सालों तक देश को बाहरी आक्रमणकारियों की घुसपैठ से बचाए रखा था। खान सर ने साझा किए गए वीडियो में भारत के नक्शे में राजस्थान के इलाके को मार्क करते हुए बताया, '712 से लेकर 1192 तक इन राजपूत राजाओं ने न जाने कितने विदेशी आक्रमणकारियों से देश को सुरक्षित रखा था। तराइन का दूसरा युद्ध जब पृथ्वीराज चौहान हारे थे। 500 सालों तक इन राजपूत शासकों ने एक भी विदेशी आक्रमणकारी को देश के अंदर घुसने का मौका नहीं दिया था।'


500 सालों तक राजपूतों ने देश को सुरक्षित रखा था

खान सर ने वीडियो में आगे बताया, '1192 में जैसे ही पृथ्वीराज चौहान तराइन का दूसरा युद्ध हारते हैं तो इन 500 सालों में विदेशी आक्रमणकारियों के लिए जो सीमारेखा पार करने में सफलता नहीं मिल पा रही थी वो ही अब तराइन का दूसरा युद्ध हारने के बाद देश के भीतरी हिस्सों में प्रवेश कर गए और पूरे भारत में इन विदेशी आक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया। इसका मतलब राजपूतों का इलाका देश के नक्शे में जरूर छोटा दिखाई दे रहा था लेकिन इसने पूरे देश को 500 सालों तक सुरक्षित कर रखा था। इनका किला ढहते ही पूरे भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों का कब्जा हो गया था।'


राजपूतों की जनसंख्या कम क्यों रह गई?

इस वीडियो में खान सर ने आगे बताया कि मौजूदा समय देश में राजपूतों की संख्या कम कैसे हो गई? उन्होंने बताया, 'बहुत बड़ा कारण है कि राजपूतों की जनसंख्या देश में बहुत सीमित रह गई। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह रही कि ज्यादातर राजपूत जवानी में युद्धों में वीरगति पाकर शहीद हो जाते थे। सबसे ज्यादा राजपूत योद्धा युद्धों में मारे जाते थे। मौजूदा समय राजपूतों की जो जनसंख्या है इससे कहीं ज्यादा राजपूत तो युद्धों में शहीद हो गए हैं। इसके बाद दूसरा बड़ा कारण ये रहा है कि युद्ध के दौरान जब राजपूत राजा युद्ध में मारे जाते थे या युद्ध हारते थे तो उनकी वीरांगनाएं यानि कि रानियां बड़े स्तर पर जौहर प्रथा के तहत खुद को चिता में झोंक देती थीं ताकि वो दुश्मनों के हाथों न लगे। कभी 33 हजार, कभी 22 हजार तो कभी 15 हजार रानियों ने एक साथ जौहर किया था।'

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राजपूत भगवान तो नहीं थे लेकिन भगवान इनकी...

खान सर ने इस वीडियो में आगे बताया, 'राजपूत योद्धा इतने बहादुर और शक्तिशाली थे कि इन्हें हरा पाना बहुत कठिन काम था लेकिन कमी यही थी कि इनमें आपसी मतभेद थे। हम राजपूत योद्धाओं को भगवान तो नहीं कह सकते हैं लेकिन ये इतने बहादुर थे कि इनकी वजह से ही आज बहुत सारे भगवान बचे हुए हैं। अगर ये नहीं होते तो जितनी तेजी से विदेशी आक्रमणकारियों ने देश में घुसकर उत्पात मचाया था कि वो कुछ भी नहीं छोड़े रहते। ऐसी बहादुरी थी इनकी कि आज बहुत कुछ बच गया है इन राजपूत योद्धाओं की वजह से।'

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 7 July 2025 at 15:16 IST