Updated April 24th, 2024 at 14:36 IST
'मुसलमानों को OBC कोटे में हिस्सा'...कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने चला था बड़ा दांव; बना गले की फांस
दावा है कि Karnataka में कांग्रेस सरकार ने ऐसे नियम बनाए हैं कि मुस्लिमों को धर्म के आधार पर शिक्षा, नौकरी और स्थानीय निकाय के चुनावों में आरक्षण मिल रहा है।
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Karnataka Muslim Community Reservation: लोकसभा चुनावों की बहती बयार में कर्नाटक के भीतर कांग्रेस सरकार ने आरक्षण का मुद्दा उछालकर लाई है, जिसने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक की सरकार ने मुस्लिम समाज को पिछड़ों के लिए आरक्षित कोटे में धर्म के आधार जगह दे दी है। ये दावा राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का है। इस मसले पर अब राजनीति हावी हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस सरकार के ऊपर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दावा है कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने ऐसे नियम बनाए हैं कि मुसलमान समुदाय को सिर्फ धर्म के आधार पर शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी नौकरियों और स्थानीय निकाय के चुनावों में आरक्षण मिल रहा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) कहता है कि इस तरह का व्यापक वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
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राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का पक्ष क्या?
एनसीबीसी ने पिछले साल एक क्षेत्रीय दौरे के दौरान शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में OBC के लिए राज्य की आरक्षण नीति की जांच की। इस दौरान पता चला है कि मुस्लिम धर्म के भीतर सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी IIB के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
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एक बयान में NCBC कहता है- 'कर्नाटक के मुस्लिम धर्म की सभी जातियों/समुदायों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में माना जा रहा है। उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और पदों पर नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी IIB के तहत अलग से मुस्लिम जाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।' इस कैटिगराइजेशन से श्रेणी I के तहत 17 सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों, जबकि श्रेणी II-ए के तहत 19 जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान हुआ है।
राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग कर्नाटक सरकार के फैसले की निंदा करता है। आयोग का कहना है कि पिछड़ी जाति के रूप में मुसलमानों का कैटिगराइजेशन सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है। धर्म-आधारित आरक्षण स्पष्ट रूप से सामाजिक न्याय की नैतिकता को प्रभावित करता है। एनसीबीसी ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम समुदाय के भीतर वास्तव में वंचित और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्ग हैं, लेकिन पूरे धर्म को पिछड़ा मानने से मुस्लिम समाज के भीतर भी विविधता और जटिलताओं की अनदेखी होती है।
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कर्नाटक सरकार के फैसले पर BJP क्या कह रही है?
कर्नाटक सरकार के फैसले को बीजेपी 'तुष्टिकरण की राजनीति' बता रही है। 23 अप्रैल को राजस्थान के टोंक की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया। अपने बयान में पीएम मोदी कहते हैं- 'धर्म के नाम पर देश को बांटने वाली कांग्रेस आजादी के बाद पहले दिन से तुष्टिकरण में लगी हुई थी। तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति कांग्रेस के DNA में है। तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस को दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हक भी छीनना पड़े तो एक सेकंड भी नहीं लगाएगी। जबकि बीजेपी सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चलने वाली पार्टी है।'
बीजेपी के नेता अमित मालवीय लिखते हैं- 'एक और चौंकाने वाले घटनाक्रम में कर्नाटक सरकार ने पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कांग्रेस सरकार के फैसले की निंदा की है। इसका मतलब यह है कि मुसलमान अब भारत के संविधान का घोर उल्लंघन करते हुए हिंदू ओबीसी के लिए आरक्षण में कटौती करेंगे। पश्चिम बंगाल ने भी ऐसा किया है और मामला न्यायाधीन है।'
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Published April 24th, 2024 at 10:46 IST
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