Published 19:51 IST, September 27th 2024
कर्नाटकः लोकायुक्त पुलिस ने MUDA मामले में सिद्धरमैया और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की
लोकायुक्त पुलिस ने मैसूरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में अदालत के आदेश के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को मैसूरू शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में अदालत के आदेश के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बेंगलुरू की एक विशेष अदालत ने बुधवार को इस मामले में सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिया, जिससे उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भूमिका तैयार हो गई।
लोकायुक्त पुलिस ने एमयूडीए मामले में सिद्धरमैया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की
विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट का यह आदेश उच्च न्यायालय द्वारा राज्यपाल थावरचंद गहलोत के सिद्धरमैया के खिलाफ जांच करने की मंजूरी को बरकरार रखने के एक दिन बाद आया है। सिद्धरमैया पर एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती को 14 स्थलों के आवंटन में अनियमितता के आरोप हैं।
पूर्व एवं निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए गठित विशेष अदालत ने मैसूरू में लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने का निर्देश देते हुए आदेश जारी किया।
न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) (जो मजिस्ट्रेट को संज्ञेय अपराध की जांच का आदेश देने की शक्ति प्रदान करती है) के तहत जांच करने और 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए।
मामला पंजीकृत करने, जांच करने 3 महीने भीतर रिपोर्ट दाखिल करे पुलिस- कोर्ट
अदालत ने कहा था, “दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत कार्रवाई करते हुए, क्षेत्राधिकार प्राप्त पुलिस अर्थात पुलिस अधीक्षक, कर्नाटक लोकायुक्त, मैसूरू को मामला पंजीकृत करने, जांच करने और आज से 3 महीने की अवधि के भीतर सीआरपीसी की धारा 173 के तहत अपेक्षित रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।”
इसमें धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र की सजा), 166 (किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से लोक सेवक द्वारा कानून की अवहेलना), 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (आपराधिक विश्वासघात के लिए सजा), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति का वितरण), 426 (शरारत के लिए सजा), 465 (जालसाजी के लिए सजा), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 340 (गलत तरीके से कारावास), 351 (हमला) और भारतीय दंड संहिता की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों को सूचीबद्ध किया गया था।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज
अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 9 और 13 तथा बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 की धारा 3, 53 और 54 तथा कर्नाटक भूमि अधिग्रहण निषेध अधिनियम, 2011 की धारा 3, 4 के तहत दंडनीय अपराधों को भी सूचीबद्ध किया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती, उनके रिश्तेदार मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू (जिनसे मल्लिकार्जुन स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी) और अन्य के नाम प्राथमिकी में दर्ज हैं।
Updated 19:51 IST, September 27th 2024