अपडेटेड 26 July 2025 at 12:13 IST
26 जुलाई सिर्फ तारीख नहीं, भारतीय सेना के अमर वैभव की कहानी है... कारगिल युद्ध की पूरी टाइमलाइन
Kargil Vijay Diwas : भारत आज कारगिल युद्ध के वीर योद्धाओं को श्रद्धांजलि दे रहा है। उनका साहस, बलिदान और अटूट संकल्प कृतज्ञता से एकजुट राष्ट्र को प्रेरित करता रहेगा।
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Kargil War Timeline : आज कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर उन शहीदों को नमन किया जा रहा है, जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन जवानों को याद किया जा रहा है, जिन्होंने मुश्किल हालातों से लड़ते हुए पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। कारगिल की विजयगाथा भारतीय सेना के साहस, दृढ़ संकल्प और बलिदान की कहानी है। यह युद्ध न केवल सैन्य जीत थी, बल्कि देश की एकता और संप्रभुता का प्रतीक भी बना। मई, 1999 में स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना को घुसपैठ की सूचना दी थी। शुरुआत में इसे छोटी घुसपैठ माना गया, लेकिन बाद में इसका व्यापक पैमाना सामने आया।
शहीदों की वीरता और उनके परिवारों का त्याग हर भारतीय के लिए इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया एक अध्याय है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। 1999 में हुई इस जीत को देश हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाता है। द्रास से लेकर नेशनल वॉर मेमोरियल तक कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। नेशनल वॉर मेमोरियल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी, CDS अनिल चौहान और तीनों सेना प्रमुखों ने भी कारगिल के शहीदों को नमन किया।
सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय एकता की गौरवशाली गाथा
कारगिल युद्ध को 'ऑपरेशन विजय' के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास हुआ, जब पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना ने अदम्य साहस और बलिदान के साथ इस घुसपैठ को विफल किया और अपनी जमीन को वापस लिया। यह भारत की सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय एकता की एक गौरवशाली गाथा है।
पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने सर्दियों में खाली की गई भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया था। उनका मकसद श्रीनगर-लेह राजमार्ग को काटना और भारत को सामरिक नुकसान पहुंचाना था। पाकिस्तानियों को उनकी हिमाकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, जिसमें थल सेना, वायु सेना और अन्य बल शामिल थे।
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कारगिल की 'विजयगाथा'
- 3 मई, 1999 - चरवाहे ने सेना को घुसपैठियों की सूचना दी
- 5 मई, 1999 - घुसपैठियों से पहली मुठभेड़, 5 जवान शहीद
- 9 मई, 1999 - गोला-बारूद डिपो पर पाक गोलाबारी
- 10 मई, 1999 - सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया
- 26 मई, 1999 - घुसपैठियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक
- 27-28 मई, 1999 - हमले में 4 वायुसैनिक शहीद
- 31 मई, 1999 - पाक के साथ युद्ध जैसे हालात- अटल बिहारी वाजपेयी
- 5 जून, 1999 - मिले दस्तावेजों में पाक बेनकाब
- 13 जून, 1999 - सेना ने तोलोलिंग पर परचम लहराया
- 13 जून, 1999 - PM वाजपेयी ने कारगिल का दौरा किया
- 15 जून, 1999 - अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाक पर दबाव बनाया
- 5 जुलाई, 1999 - नवाज ने करगिल से वापसी का ऐलान किया
- 7 जुलाई, 1999 - हमारी सेना का टाइगर हिल, द्रास सेक्टर पर कब्जा
- 12 जुलाई, 1999 - नवाज ने भारत से बातचीत की पेशकश की
- 14 जुलाई, 1999 - भारत ने 'ऑपरेशन विजय' की सफलता की घोषणा
- 26 जुलाई, 1999 - भारत की जीत के साथ जंग खत्म होने का ऐलान
कारगिल विजय के योद्धा
- कैप्टन विक्रम बत्रा - परमवीर चक्र, मरणोपरांत
- ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव, परमवीर चक्र
- कैप्टन मनोज कुमार पांडे - परमवीर चक्र, मरणोपरांत
- लेफ्टिनेंट बलवान सिंह, महावीर चक्र
- मेजर राजेश सिंह अधिकारी, महावीर चक्र, मरणोपरांत
- राइफलमैन संजय कुमार, परमवीर चक्र
- मेजर विवेक गुप्ता, महावीर चक्र, मरणोपरांत
- कैप्टन एन केंगुरुसे - महावीर चक्र, मरणोपरांत
- लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रम, महावीर चक्र, मरणोपरांत
- नायक दिगेंद्र कुमार, महावीर चक्र
- कैप्टन अमोल कालिया, वीर चक्र
भारतीय सेना का बलिदान
ये युद्ध कारगिल की 14,000-18,000 फीट ऊंची चोटियों और -20 डिग्री सेल्सियस पर लड़ गया। भारतीय सेना ने सैन्य रणनीति से सीधी चढ़ाई और रात के हमलों से दुश्मन को हराया। विपरीत स्थितियों में लड़ गए इस युद्ध में 500 से अधिक भारतीय सैनिकों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, जिसमें कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज पांडे और मेजर सौरभ कालिया जैसे वीर शामिल थे। कैप्टन विक्रम बत्रा का नारा "ये दिल मांगे मोर" और उनकी वीरता आज भी जवानों को प्रेरणा देती है।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 26 July 2025 at 11:19 IST