अपडेटेड 15 May 2025 at 13:33 IST

#BoycottTurkey: भारत के टैक्स पेयर के पैसे पर JNU चलता है ना कि..., तुर्की के विश्वविद्यालय के साथ समझौता रद्द होने पर बोलीं वाइस चांसलर

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री पंडित ने तुर्की को कड़ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि भारत के टैक्स पेयर के पैसे पर JNU चलता है।

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JNU Vice-Chancellor Santishree Dhulipudi Pandit
JNU Vice-Chancellor Santishree Dhulipudi Pandit | Image: ANI

भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान की मदद करना तुर्की को बहुत भारी पड़ रहा है। भारत में #BoycottTurkey की आवाज लगातार उठ रही है। व्यापारियों और ट्रैवल कंपनियों के बहिष्कार के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) ने तुर्की के विश्वविद्यालय के साथ समझौता रद्द कर दिया है। समझौता रद्द होने पर JNU की वाइस चांसलर का बड़ा बयान आया सामने है। उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि भारत के टैक्स पेयर के पैसे पर JNU चलता है और भारत विरोधियों के साथ हम संबंध नहीं रख सकते हैं।उन्होंने कहा कि भारत के टैक्स पेयर के पैसे पर जेएनयू चलता है। जेएनयू का फैकल्टी, स्टूडेंट सभी नेशनलिस्ट है।


जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति (VC) शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताओं के कारण केंद्रीय विश्वविद्यालय ने तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को निलंबित कर दिया है। उन्होंने बताया कि फरवरी के महीने में तुर्की के इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ हमारा करार हुआ था। यह करार हमने स्टूडेंट के एक्सचेंज के लिए किया था। लेकिन अब हमने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि जिस देश को बुरे वक्त में हमने मदद की वो भारत के विरोधी का साथ देता है।


हमारी सेनाओं के ऑफिसर  JNU के एलुमिनाई-VC

कुलपति ने आगे कहा कि हम भारत की आर्म्ड फोर्सेज के साथ है। भारत के आर्म्ड फोर्सेज के जनरल्स, आर्मी की और नेवी के चीफ JNU के एलुमिनाई है। जेएनयू उन्हें सेल्यूट करता है। भारत ने जो निर्णय लिए वो निर्णय कोई आसानी से नहीं ले सकता था। पहली बार हमने दिखाया कि हमसे पंगा मत लो। हम पर आतंकवादी गतिविधि करोगे तो हम रिप्लाई करेंगे। हर एक नागरिकता कर्तव्य है कि वह भारत की फोर्सेज के साथ रहे।

तुर्की के साथ JNU ने समझौता किया रद्द

जेएनयू वीसी पंडित ने बताया कि हमारे पास विभिन्न देशों के साथ 98 समझौता ज्ञापन हैं। जेएनयू में तुर्की भाषा पढ़ाई जाती है। प्रशासन ने सोचा कि हमें ऐसे देश के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए जो आतंकवाद का समर्थन करता है और भारत की पीठ में छुरा घोंपता है। इसलिए मुझे लगा कि हमारे लिए भारतीय सशस्त्र बलों के साथ खड़ा होना महत्वपूर्ण है। 
 

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 15 May 2025 at 13:33 IST