अपडेटेड 24 August 2025 at 17:27 IST

ISRO ने चिनूक हेलिकॉप्टर से किया Integrated Air Drop Test, 'गगनयान' मिशन की ओर भारत का सफल कदम

ISRO Air Drop Test: मिली जानकारी के अनुसार, इस क्रू मॉड्यूल को चिनूक हेलिकॉप्टर से 4 किलोमटर की ऊंचाई से गिराया गया। इस टेस्ट के जरिए यह जानने की कोशिश रही कि क्रू मॉड्यूल को लाने वाले पैराशूट समय पर खुल रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही यह भी देखा गया कि यह सुरक्षित लैंडिंग कर पाता है या नहीं। इसरो ने इसकी तस्वीरें भी शेयर की है।

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ISRO Air Drop Test
ISRO Air Drop Test | Image: ISRO/X

ISRO Air Drop Test: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने भारत के गगनयान मिशन की तैयारी तेज कर दी है। 23 अगस्त को राष्ट्रीय स्पेस डे पर भी इस मिशन को लेकर इसरो प्रमुख वी. नारायणन के द्वारा खास चर्चा की गई थी। इस बीच इसरो ने इस मिशन से जुड़ी एक खास जानकारी दी है। यह जानकारी देश के लिए खुशखबरी वाली है। 


जी हां,  आज 24 अगस्त को इसरो ने गगनयान मिशन के लिए पहली बार क्रू मॉड्यूल का एयर ड्रॉप टेस्ट सफलतापूर्वक किया है। इसकी जानकारी इसरो ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर तस्वीरों को शेयर करके दी है। आपने देखा होगा, जब नासा के मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से पृथ्वी पर आए थे, तो एक ऐसा की कैप्शूल था, जिसमें वे अपने अन्य साथियों के साथ सुरक्षित लैंड किए थे। अब ऐसे ही भारत अपने मानव यात्री वाले गगनयान मिशन के लिए कई सारी तैयारियां कर रहा है, जिसमें से आज का क्रू मॉड्यूल वाला एयर ड्रॉप टेस्ट भी शामिल है।

पैराशूट आधारित पहला एयर ड्रॉप टेस्ट सफल 

इसरो ने ट्विट करके लिखा, "इसरो ने गगनयान मिशन के लिए पैराशूट आधारित मंदन प्रणाली (deceleration system) के संपूर्ण प्रदर्शन हेतु पहला Integrated Air Drop Test (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा किया। यह परीक्षण इसरो, भारतीय वायु सेना, DRDO, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल का संयुक्त प्रयास था।"

मिली जानकारी के अनुसार, इस क्रू मॉड्यूल को चिनूक हेलिकॉप्टर से 4 किलोमटर की ऊंचाई से गिराया गया। इस टेस्ट के जरिए यह जानने की कोशिश रही कि क्रू मॉड्यूल को लाने वाले पैराशूट समय पर खुल रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही यह भी देखा गया कि यह सुरक्षित लैंडिंग कर पाता है या नहीं। इसरो ने इसकी तस्वीरें भी शेयर की है।

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भारत का गगनयान मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, गगनयान इसका एक खास मिशन है। इसका उद्देश्य तीन दिनों के लिए अंतरिक्ष के 400 किलोमीटर की कक्षा में मानव मिशन भेजकर और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है। इस मिशन का हिस्सा शुभांशु शुक्ला, प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप और अजीत कृष्णन हैं।

2040 तक, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के किसी भी अन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के बराबर होगा - इसरो प्रमुख

मालूम हो कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय स्पेस दिवप पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में एक खास कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। इस मौके पर इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया था कि  हम 2035 तक बीएएस (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) नामक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने जा रहे हैं, और पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि 2040 तक, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के किसी भी अन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के बराबर होगा। 

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न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, इसरो के प्रमुख वी. नारायणन कहते हैं, "... उनके (पीएम मोदी) निर्देश और दृष्टिकोण के आधार पर, हम चंद्रयान-4 मिशन शुरू करने जा रहे हैं। हम वीनस ऑर्बिटर मिशन शुरू करने जा रहे हैं। हम 2035 तक बीएएस (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) नामक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने जा रहे हैं, और पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च किया जाएगा।" उन्होंने आगे कहा, “ प्रधानमंत्री ने एनजीएल (नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्चर) को मंजूरी दे दी है... 2040 तक, भारत चंद्रमा पर उतरेगा और हम उसे सुरक्षित वापस लाएंगे। इस प्रकार 2040 तक, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के किसी भी अन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के बराबर होगा।”

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Published By : Amit Dubey

पब्लिश्ड 24 August 2025 at 17:26 IST