अपडेटेड 11 December 2025 at 10:35 IST
'पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर हिंदी...', शुभांशु शुक्ला ने छात्रों के साथ साझा किया अनुभव, बताया भारत का अगला मिशन
कोलकाता स्थित भारतीय अंतरिक्ष भौतिकी केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने छात्रों के साथ ISS पर अनुभवों को साझा किया।
- भारत
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भारतीय अंतरिक्ष यात्री और IAF ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंडियन सेंटर फॉर स्पेस साइंस (Indian Centre for Space Physics) द्वारा कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। छात्रों के साथ बातचीत के दौरान शुभांशु शुक्ला ने अपने अनुभव साझा किए। साथ ही उन्होंने बताया कि भारत का अंतरिक्ष के क्षेत्र में अब अगला लक्ष्य क्या है? उन्होंने कहा कि एक देश के तौर पर भारत ने स्पेस साइंस में कुछ बड़े और बोल्ड लक्ष्य तय किये हैं।
कोलकाता स्थित भारतीय अंतरिक्ष भौतिकी केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने छात्रों से कहा, विंग कमांडर राकेश शर्मा पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे जो अंतरिक्ष में गए थे। उस समय हमारे देश में कोई ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम नहीं था। इसलिए हमें 41 साल इंतजार करना पड़ा,जब मैं इस साल जून में फिर से गया और पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर झंडा ले गया।
पहली बार ISS पर हिंदी का हुआ इस्तेमाल- शुभांशु शुक्ला
शुभांशु शुक्ला ने छात्रों के साथ अपना अनुभव साक्षा करते हुए कहा, जब मैं स्पेस स्टेशन से प्रधानमंत्री से बात कर रहा था, तो पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर हिंदी का इस्तेमाल हो रहा था। वह बहुत प्रतीकात्मक था और मेरे लिए गर्व का पल था। अंतरिक्ष में यात्रा करने से जो नजरिया मिलता है, वह बहुत अलग होता है। यह वैसा कुछ नहीं था जैसा मैंने सोचा था। यह दिखाता है कि यही हमारा घर है।
मेरे लिए अंतरिक्ष घर जैसा-शुभांशु शुक्ला
जब भी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाते हैं, तो वे एक चीज का अनुभव करते हैं जिसे ओवरव्यू इफेक्ट कहा जाता है। यह सोच की प्रक्रिया में बदलाव या मनोवैज्ञानिक बदलाव के लिए एक आम शब्द है जिसका अनुभव अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में अपने अनोखे नजरिए से करते हैं और मेरे लिए, वह यह था कि ग्रह की एकता, यह मजबूत भावना कि यह हमारा घर है, कोई खास जगह नहीं, कोई खास इलाका नहीं, कोई खास शहर नहीं, कोई खास देश नहीं। बल्कि यह, पूरी पृथ्वी, वह ग्रह, जो आपके घर जैसा लगता है।
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2040 तक भारत करेगा ये काम
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर बात करते हुए कहा, अंतरिक्ष की दुनिया में नयी पहचान बनाने के लिए भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। बड़े और साहसिक सपने देख रहा है। साल 2040 तक चांद पर मानव को भेजने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और हमें इस लक्ष्य को हासिल करना है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 11 December 2025 at 10:35 IST