अपडेटेड 30 June 2024 at 13:31 IST
दो दोस्त, एक क्लास और अब आर्मी और नेवी की कमान...सेना के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब नौसेना और सेना के प्रमुख बचपन के दोस्त और क्लासमेट रह चुके हैं।
- भारत
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भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी आज भारतीय सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभालेंगे। इस बीच एडमिरल दिनेश त्रिपाठी भारतीय नौसेना के चीफ होंगे। खास बात ये है कि नौसेना और भारतीय सेना के चीफ कभी एक ही क्लास में पढ़ा करते थे। ऐसा भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार होगा जब दो दोस्त सेना और नौसेना की कमान संभालेंगे।
जानकारी के अनुसार नौसेना चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और नामित सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी मध्य प्रदेश के रीवा में सैनिक स्कूल में 5वीं क्लास में साथ पढ़ते थे। दोनों स्कूल के समय से ही काफी अच्छे दोस्त रहे।
स्कूल में रोल नंबर भी था आसपास
सेना की अलग-अलग जिम्मेदारी संभालने के बाद भी दोनों के बीच की दोस्ती गहरी रही और आपसी संपर्क में रहे। दिलचस्प बात ये है कि क्लास में इनके रोल नंबर भी आसपास ही थे। लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का रोल नंबर 931 और एडमिरल दिनेश त्रिपाठी का 938 था।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ए भारत भूषण बाबू ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार नौसेना और थलसेना प्रमुख एक ही स्कूल से हैं। दो प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षित करने का यह दुर्लभ सम्मान, जो 50 साल बाद अपनी-अपनी सेनाओं का नेतृत्व करेंगे, मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल को जाता है।"
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उन्होंने कहा कि एक स्कूल के गौरव और सम्मान की कहानी, दो व्यक्तियों के साहस और दृढ़ संकल्प की कहानी, हजारों युवाओं की आशा और प्रेरणा की कहानी इस सप्ताह के रक्षा सूत्र में दो सहपाठियों की शिखर तक की यात्रा।
एक पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान नेवी और आर्मी चीफ ने सैनिक स्कूल के दिनों की खास बातें की। नेवी चीफ दिनेश त्रिपाठी ने अपने स्कूल के दिनों को याद कर रहा कि जुलाई 1973 में मैंने सैनिक स्कूल रीवा 5वीं क्लास में ज्वाइन किया था। समय जल्दी निकल जाता है, लेकिन ऐसा लगता है कि ये कल ही हुआ जब हम सैनिक स्कूल रीवा में दाखिल हुए थे।
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वहीं सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि हमने 1973 में सैनिक स्कूल ज्वाइन किया था। जब मेरे पिता जी मुझे स्कूल में छोड़कर गए और मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मुझे दुख हुआ, लेकिन सारे बच्चे वहां खुशहाली से खेल रहे थे। उनके साथ 7 साल कैसे गुजरे पता ही नहीं लगा।
कितना मुश्किल था सैनिक स्कूल में एडमिशन लेना?
एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने बताया, उस समय तो काफी मुश्किल होता था। उस समय एमपी में एक-दो ही ऐसे स्कूल थे, जहां अच्छी शिक्षा और सुविधाएं होती थी। सैनिक स्कूल रीवा का काफी नाम था। MP में एक ही सैनिक स्कूल था। मेरा सौभाग्य था कि मैंने चौथी में तैयारी की और 5वीं में एडमिशन हो गया। उसके बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी और फिर नौसेना और आज मैं 26 चीफ ऑफ नवल स्टाफ हूं।
सेना में जाने की कैसे मिली प्रेरणा?
सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि बचपन में पिताजी मेरे लिए हमेशा युद्ध या फिर महापुरुषों की जीवनी की किताबें लाते थे। उस समय मन में आया कि देश के लिए कुछ करूं। उस वक्त ज्यादा कुछ पता नहीं होता था। सैनिक स्कूल ज्वाइन करने पर मेरा एक ही उद्देश्य था कि मैं सेना में जाऊंगा। उन्होंने कहा कि मेरी परवरिश में सैनिक स्कूल का मुख्य रोल रहा। मेरे टीचर मेरे रोल मॉडल थे।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 30 June 2024 at 10:35 IST