अपडेटेड 17 July 2024 at 13:42 IST

'पापा मैं 18 को घर आ रहा हूं...', अब तिरंगे में लिपटकर आएगा शहीद बेटे का शव, मां का रो-रोकर बुरा हाल

शहीद अजय के पिता बोले- 'बेटे से चार दिन पहले बात हुई थी, उसने कहा था, पापा मैं 18 जुलाई को घर आ रहा हूं… लेकिन सोचा नहीं था कि तिरंगे में लिपटकर बेटा आएगा।'

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Martyr Ajay Singh Naruka
शहीद अजय सिंह नरुका | Image: @TigerCharlii

अमरदीप शर्मा 

Martyr Ajay Singh Naruka home: राजस्थान में झुंझुनू के दो लाल का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंच रहा है, सिपाही अजय सिंह नरुका और सिपाही बिजेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर जयपुर से उनके पैतृक गांव भैसावता और डुमोली ले जाया जा रहा है, दोनों ही गांव में मातम पसरा हुआ है, शहीद अजय के परिवार वालों से बात करके पता चला कि अजह 18 जुलाई को घर आने वाला था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अजय तिरंगा में लिपटा हुआ अपने घर आएगा, मां और पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है, पिता बेसुध है लेकिन उन्हें अपने लाल पर गर्व है। दोस्त पड़ोसी सब हैरान है कि अजय 18 जुलाई को घर आने वाला था। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका प्यारा अपनी जान देकर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देकर आएगा।  

राजस्थान का झुंझुनू वैसे तो देश में सबसे ज्यादा शहादत वाला जिला है अब तक 485 ज्यादा सैनिक मातृभूमि के लिए शहीद हो चुके है। लेकिन जम्मू के डोडा में आतंकियों से लोहा लेते हुए झुंझुनू के 2 और जवान शहीद हो गए, जिसमें अजय और विजेंद्र शामिल है।

'पापा मैं 18 जुलाई को घर आ रहा हूं...'

अजय नरूका के पिता से जब हमने बात की तो उनका कहना था मुझे मेरे बेटे की शहादत पर गर्व है लेकिन आतंकी और आतंकियों का साथ देने वाले लोगों का सफाया होना जरूरी है। बेटे से चार दिन पहले बात हुई थी, उसने कहा था, पापा मैं 18 जुलाई को घर आ रहा हूं… लेकिन सोचा नहीं था कि तिरंगे में लिपटकर बेटा आएगा।

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पिता बेसुध, मां और पत्नी का रो रो कर बुरा हाल

एक तरफ अजय के पिता बेसुध हैं तो दूसरी तरफ उनकी मां और उनकी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है, गांव के युवाओं को अपने गांव के दोस्त पर गर्व तो है, लेकिन दुख इस बात का है कि जिस दोस्त ने छुट्टी पर आने का वादा किया, वह तिरंगे में लिपट कर आ रहा है।

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हमारी पांच पीढ़ी सेना में सेवा दे रही- अजय के ताऊ

अजय के ताऊ सेना के रिटायर्ड सूबेदार हैं उनका कहना है कि हमारी पांच पीढ़ी सेना में सेवा देती आ रही है, अजय के दादा परदादा पिता ताऊ खुद अजय 5 वी पीढ़ी थी जिन्होंने सेना में सेवा दी। शहीद अजय के ताऊ का कहना है कि हम रिटायर्ड फौजी हैं, सरकार हमें भी बुला सकती है हम भी लड़ने के लिए तैयार हैं लेकिन दुश्मनों का खात्मा होना चाहिए। हमने 1992 में कश्मीरी पंडितों को बेघर होते हुए देखा था, उस वक्त हमने भी लोहा लिया था। 

अजय के ताऊ ने कहा कि हमें सरकार से उम्मीद है इन आतंकियों को खत्म करें, वरना अब इनका टारगेट कश्मीर नहीं जम्मू है, यह पहाड़ों से नीचे उतरकर दहशत फैलाना चाहते हैं, सरकार को एयर स्ट्राइक करनी चाहिए, मुंहतोड़ जवाब देकर के खून का बदला खून से लिया जाना चाहिए और इसके लिए अगर हमें रिटायर्ड फौजियों को भी देश की सेवा के लिए बुलाया जाएगा तो हम भी जाने के लिए तैयार हैं।

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 17 July 2024 at 13:42 IST