अपडेटेड 19 July 2025 at 12:53 IST
'मैं राष्ट्रवादी हूं, ये कहने में डर नहीं बल्कि...', Nationalist Collective Conclave का आगाज करते हुए बोले अर्नब गोस्वामी
अर्नब गोस्वामी ने कहा कि हम सभी को खुलकर कहना चाहिए कि मैं राष्ट्रवादी हूं। इस देश में हमें किसी बात का डर नहीं होना चाहिए।
- भारत
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Nationalist Collective Conclave 2025: आज नोएडा स्थित रिपब्लिक मीडिया हेडक्वार्रटर में 'नेशनलिस्ट कलेक्टिव कॉन्क्लेव' का आयोजन किया जा रहा है। सभी गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की। रिपब्लिक मीडिया के एडिटर इन चीफ अर्नब ने सभी का स्वागत किया और कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए शुक्रिया अदा किया।
अर्नब गोस्वामी ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सभी का यहां आना बहुत बड़ी बात है। नेशनलिस्ट कलेक्टिव को आप सभी ने अपनाया है। देशभर में चेन्नई से लेकर पुणे तक सभी ने राष्ट्रवादी समूह को एक्सेप्ट किया जो हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने इस मुहिम को आगे ले जाते रहने का भी अनुरोध किया।
I am a Nationalist- बोले अर्नब गोस्वामी
समिट का आगाज करते हुए एडिटर इन चीफ ने अपने संबोधन में कहा कि 'पूर्व राजदूत दीपक वोहरा ने मुझे एक तोहफा दिया है जो कि एक बैच है। इसमें लिखा है- 'I am a Nationalist' ये बहुत सादगी भरी सोच है। हम राष्ट्रवादी है, ये सभी को कहना चाहिए। मैं चाहूंगा कि आप मुझे ये बैच लगाएं। हमें खुद को राष्ट्रवादी कहने में कोई भय नहीं होना चाहिए।'
'देश के 99.99 प्रतिशत लोग राष्ट्रवादी'
उन्होंने आगे दुनियाभर के लोगों से अपील करते हुए कहा कि ‘हम सभी को खुलकर कहना चाहिए कि मैं राष्ट्रवादी हूं। इस देश में हमें किसी बात का डर नहीं होना चाहिए। आप जहां कहीं जाएं वहां इस बैच को खुद के साथ रखें। इससे आपको बहुत ताकत मिलेगी। इस देश के 99.99 प्रतिशत लोग राष्ट्रवादी हैं या उन्हें होना चाहिए। मगर आजादी के 75 साल बाद भी हमें कहा जाता है कि इसे (राष्ट्रवादी) न बोला जाए। ऐसा कहने पर लोग कहेंगे कि आप हिंदू राष्ट्रवादी हैं। फिर कहेंगे कि मुसलमान राष्ट्रवादी नहीं हो सकते। फिर कहेंगे कि राष्ट्रवाद की नहीं, जातिवाद की बात करें। आप किस जाति से हो राजपूत हो या राजभर हो। आपको आए दिन तोड़ने की कोशिश हो रही है।’
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अर्नब गोस्वामी ने दिया ये उदाहरण
अर्नब गोस्वामी ने अपने प्रोफेशनल जर्नी की सीख का उदाहरण देते हुए कहा, 'आज से 17 साल पहले मुंबई के छोटे से स्टूडियो में मुझे खबर मिली कि एक होटल में गैंगवार हुआ है। ऐसी तीन-चार होटलों से खबरें मिली। फिर मैंने सोचा कि इतने होटलों में गैंगवार नहीं हो सकती ये कुछ और है, और उसके बाद मालूम हुआ कि वो 26/11 थी। हमने 100 घंटे तक एंकरिंग की। जिस दिन मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का दाह संस्कार था, उनके पिताजी वहां पर मौजूद थे और उन्होंने अपने जवान बेटे का अंतिम संस्कार किया तो हमारा पूरा न्यूज रूम रोने लगा। कोई भी अपने आंसू रोक नहीं पाया। क्योंकि चार दिन का गुस्सा और दुःख का एक साथ निकलना... इतना गुस्सा था। उसके बाद एक बहुत ही अजीब चीज हुई। गेटवे ऑफ इंडिया में कुछ लोग पाकिस्तान के खिलाफ पोस्टर लेकर पहुंच गए।'
'हमें लक्ष्मण रेखा को तोड़ना…'
उन्होंने आगे कहा, ‘इसके बाद हमने उसे कवर किया और लोगों को कैमरे और माइक दे दिए। फिर उस समय के सूचना एवं प्रसारण मंत्री का कॉल आया। उन्होंने कहा कि एक मिनट में चैनल बंद कर सकते हैं। मुझे आज भी अच्छे से याद है कि वह 1 या 2 दिसंबर का दिन था। वो कह रहे थे कि आप लोगों को क्यों माइक दे रहे हैं। आप राजनेता, डिप्लोमैट्स को माइक दें क्योंकि वो जानते हैं कि उन्हें कब, क्या और कितना बोलना है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को आपने माइक दिया है उन्होंने लक्ष्मण रेखा तोड़ दी है। उस वक्त मुझे लगा कि इन राजनेताओं में कुछ तो असुरक्षा है कि इन्हें लगता है कि अगर लोगों को माइक दे दिया जाए तो देश में बदलाव आ सकता है। ऐसे में हमें इस राष्ट्रवाद समूह को केंद्र बनाकर उस लक्ष्मण रेखा को तोड़ना है और तोड़ेंगे।’
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Published By : Priyanka Yadav
पब्लिश्ड 19 July 2025 at 12:01 IST