अपडेटेड 26 August 2025 at 10:34 IST
बंदरगाह सुरक्षा मॉडल की शुरुआत, निजी गार्ड्स को CISF देगी खास ट्रेनिंग, लागू होगा हाइब्रिड सिस्टम
भारत के लगभग 200 छोटे और मध्यम आकार के बंदरगाह, जिनमें से लगभग 65-68 बंदरगाह से निजी संचालन में लगे हैं, को ध्यान में रखते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।
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बंदरगाहों के हाइब्रिड सुरक्षा मॉडल के निर्माण की दिशा में एक प्रयास में, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने मुंबई एवं चेन्नई बंदरगाह पर निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए पायलट आधार पर पहला विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किया। इस अवसर पर बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय चेन्नई बंदरगाह प्राधिकरण (सीपीए) की अध्यक्ष आर इनीवा रेड्डी, पी एस रणपिसे, सी आई एस एफ के उप महानिदेशक दक्षिण चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट (सीपीटी) के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, बंदरगाह सुरक्षा प्रोटोकॉल में विशेषज्ञ तथा बंदरगाह क्षेत्र की विभिन्न संबंधित एजेंसियों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भारत के हाइब्रिड बंदरगाह सुरक्षा मॉडल का उद्घाटन किया गया।
भारत के लगभग 200 छोटे और मध्यम आकार के बंदरगाह, जिनमें से लगभग 65-68 बंदरगाह से निजी संचालन में लगे हैं, को ध्यान में रखते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। बंदरगाहों में निजी सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से कार्य करने वाले कर्मी, बंदरगाह सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम बंदरगाहों में स्थापित सुरक्षा प्रोटोकॉल, नियमों और प्रक्रियाओं के आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, बंदरगाह प्रबंधन, सीमा शुल्क (Customs) विभाग, मालभाड़ा, माल ढुलाई एजेंसियों आदि के साथ विविध-क्षेत्रीय जुड़ाव और तत्समय, सुरक्षा घटनाओं के प्रति प्रतिक्रिया के व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य के रूप में विशेष रूप से तैयार किया गया है।
निजी सुरक्षा कर्मियों की होगी पूरी ट्रेनिंग
इस अवसर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 40 निजी सुरक्षा कर्मियों को चेन्नई बंदरगाह से चुना गया है और उनके लिए दो सप्ताह का "बंदरगाह-सुविधा सुरक्षा पाठ्यक्रम", सीआईएसएफ द्वारा जहाजरानी (Shipping) मंत्रालय और अन्य हितधारकों के परामर्श से तैयार किया गया है। यह निजी सुरक्षा कर्मियों को बंदरगाह संचालन, खतरे की पहचान और आपातकालीन प्रक्रियाओं के आवश्यक ज्ञान से लैस करेगा। पाठ्यक्रम में कानूनी दृष्टि, तकनीकी परिप्रेक्ष्य, उपकरणों के उपयोग और अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान को बंदरगाह-सुविधा सुरक्षा (आईएसपीएस) संहिता के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय मानकों को भी शामिल किया गया है।
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सुरक्षा नियमों और प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए ढांचागत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। सीआईएसएफ, सीमा शुल्क, समुद्री विभाग और बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन के प्रशिक्षकों द्वारा संचालित, यह कार्यक्रम उद्योग के व्यावहारिक अनुभवों के साथ जोड़ा है, जिससे प्रतिभागियों को सुरक्षा घटनाओं का प्रभावी रूप से जवाब देने के लिए तैयार किया जाता है।
फर्स्ट फेज में आएंगे ये तीन बदंरगाह
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प्रथम चरण के दौरान, तीन प्रमुख बंदरगाह - जेएनपीटी शेवा, डीपीटी कांडला और एमपीटी मुंबई के 40 निजी सुरक्षा कर्मियों को जेएनपीटी प्रशिक्षण सुविधा, मुंबई में कार्यक्रम में नामांकन कराया गया है और चार प्रमुख बंदरगाहों - एमपीटी गोवा, एपीएसटीएल (नमपुकनम), विशाखापट्टनम पोर्ट लिमिटेड (वीपीएल), ए.ओ. चिदंबरम पोर्ट अथॉरिटी (बीओसीपीए) तूतीकोरिन - के 26 निजी सुरक्षा कर्मियों को सीआईएसएफ प्रशिक्षण केंद्र, चेन्नई के कार्यक्रम में नामांकन कराया गया।
सीआईएसएफ अगले महीनों में इसी तर्ज के अन्य बंदरगाहों तक कार्यक्रम का विस्तार करने की योजना बना रहा है। इस अवसर पर श्री टी. के. रामचंद्रन, सचिव, MoPSW ने कहा: "यह पहल भारत के हाइब्रिड बंदरगाह सुरक्षा मॉडल के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे निजी सुरक्षा कर्मियों की दक्षता में वृद्धि होगी, सुरक्षा प्रोटोकॉल में एकरूपता आएगी और अंतरराष्ट्रीय मानकों का बेहतर पालन सुनिश्चित होगा।"
सीआईएसएफ, चेन्नई में उद्घाटन सत्र के दौरान, चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष, सुनील पालीवाल ने कहा: "इस पाठ्यक्रम की सुरक्षा बंदरगाह सुरक्षा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की प्रतीति है।" सरवनन, महानिदेशक (भा पु से), सीआईएसएफ दक्षिण क्षेत्र मुख्यालय, ने कहा: "निजी क्षेत्र की भागीदारी से सुरक्षा प्रोटोकॉल की प्रभावशीलता बढ़ेगी, बंदरगाह सुरक्षा में सहयोग बढ़ेगा और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बेहतर पालन की गारंटी होगी। यह बंदरगाह संचालन की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।"
सीआईएसएफ पिछले कुछ वर्षों में बंदरगाहों में सुरक्षा प्रबंधन की अहम जिम्मेदारी निभा रहा है। देश भर के बंदरगाहों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए MARSEC स्तर 2 तक उठाया गया है। जिसके लिए कड़ी सतर्कता, उच्च निगरानी और सुरक्षा एजेंसियों के साथ सघन समन्वय-आवश्यकता थी। इस पृष्ठभूमि में, बंदरगाह सुविधा सुरक्षा पाठ्यक्रम का आरंभ बंदरगाह क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी और दक्षता को बढ़ाने की दिशा में एक अभिनव कदम है। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री व्यापार की सुरक्षा को भारत की भूमिका को भी मजबूत करता है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 26 August 2025 at 10:34 IST