अपडेटेड 3 December 2024 at 16:17 IST

'दिल्ली की जामा मस्जिद का हो सर्वे, मिलेंगे कृष्ण मंदिर के अवशेष', मुस्तक खान की किताब का दिया हवाला

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के डायरेक्टर जरनल को पत्र लिखकर दिल्ली की जामा मस्जिद का सर्वे करने की मांग की है।

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Hindu Sena demands survey of Delhi Jama Masjid
हिंदू सेना ने की दिल्ली की जामा मस्जिद का सर्वे करने की मांग | Image: ANI

Delhi Jama Masjid: संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर और राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे के बाद अब हिंदू सेना ने दिल्ली की जामा मस्जिद पर दावा ठोक दिया है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के डायरेक्टर जरनल को पत्र लिखकर जामा मस्जिद का सर्वे करने की मांग की है।

हिंदू सेना ने दावा किया है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों में कृष्ण मंदिर की मूर्तियों के अवशेष मौजूद है। हिंदू सेना ने अपने दावा किया है कि इसका प्रमाण औरंगजेब नामा में औरंगजेब पर लिखी साकी मुस्तक खान की किताब 'मसीर-ई-आलमगीरी' में लिखा है। हिंदू सेना चाहती है की दिल्ली की जामा मस्जिद का सर्वे हो और उन मूर्तियों को बाहर निकालकर फिर से मंदिरों में स्थापित किया जाए। इसके साथ ही औरंगजेब की क्रूरता और मंदिर तोड़ने की सच्चाई भी दुनिया के सामने आ जाएगी।

जोधपुर और उदयपुर में तोड़े कृष्ण मंदिर

हिंदू सेना ने भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर जरनल को लिखे पत्र में दावा किया है कि औरंगजेब ने जोधपुर और उदयपुर के कृष्ण मंदिरों को तोड़कर ध्वस्त किए था। दिल्ली में जामा मस्जिद की सीढ़ियों में मूर्तियों के अवशेष मौजूद हैं। इसका प्रमाण साकी मुस्तक खान की किताब 'मसीर-ई-आलमगीरी' में मिलता है। किताब में लिखा है कि रविवार (मई 24-25, 1689) को खान जहां बहादुर जोधपुर से मंदिरों को तबाह कर लौटा था। औरंगजेब की जीवनी में लिखा हुआ है कि खान जहां बहादुर ने मंदिरों को तोड़ा, लूटा और प्रतिमाओं को खड़ित किया। खान जहां बहादुर के इस काम से बादशाह बहुत खुश हुआ। उसके बाद बैल गाड़ियों से टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष दिल्ली रवाना कर दिए गए, जो अब जामा मस्जिद कि सीढ़ियों में हैं। 


अजमेर दरगाह पर दावा

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह मूल रूप से एक शिव मंदिर थी। हिंदू सेना ने कोर्ट में दरगाह का सर्वे कराने की मांगी की थी। अजमेर की एक सिविल अदालत ने 27 नवंबर को अजमेर दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किया था। विष्णु गुप्ता ने मांग की है कि राजस्थान के अजमेर स्थित दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए और हिंदुओं को वहां पूजा करने का अधिकार दिया जाए।

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याचिका स्वीकार करने और तीनों पक्षों को नोटिस भेजने के अदालत के कदम से एक बड़ा विवाद पैदा हो गया है। मुस्लिम नेताओं ने इसे सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास बताया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब उत्तर प्रदेश में मंदिर-मस्जिद से जुड़े कई ऐसे ही मुकदमों को लेकर तनाव बढ़ रहा है। अजमेर मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 3 December 2024 at 15:52 IST