अपडेटेड 19 November 2024 at 14:09 IST
Himachal: सुक्खू सरकार की कंगाली पर सियासी संग्राम; हिमाचल भवन दांव पर लगा,HC ने दिया कुर्की का आदेश
हिमाचल हाईकोर्ट ने सुखविंदर सिंह सुखू सरकार की ओर से बकाया ना देने पर दिल्ली के मंडी हाउस में हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश पारित किया।
- भारत
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Himachal Bhawan: पहले से आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश की स्थिति दिनों दिन बदतर हो रही है। नौबत ये है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार 64 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुका पाई, नतीजन अब हिमाचल प्रदेश के सम्मान का प्रतीक कहे जाने वाला दिल्ली स्थित हिमाचल भवन कुर्क होने वाला है। हिमाचल की हाईकोर्ट ने इस भवन को अटैच करने के आदेश दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुखू सरकार की ओर से बकाया ना देने पर दिल्ली के मंडी हाउस में हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश पारित किया। साथ ही और संभावित नीलामी का आदेश दिया है। हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन के मुताबिक, हाईकोर्ट का आदेश सेली हाइड्रोपावर की याचिका पर आया।
क्या है पूरा मामला?
2009 में राज्य सरकार ने लाहौल-स्पीति में चिनाब नदी पर सेली हाइड्रो प्रोजेक्ट को बोली प्रक्रिया के माध्यम से मोजर बेयर को सौंपा था। स्थानीय लोगों के विरोध और बुनियादी ढांचे की बाधाओं के कारण कंपनी को 2017 में पीछे हटना पड़ा। इस स्थिति में हिमाचल सरकार ने ना सिर्फ प्रोजेक्ट को रद्द किया, बल्कि कंपनी की ओर से भुगतान किए गए 64 करोड़ रुपये के अपफ्रंट प्रीमियम को भी जब्त कर लिया। कंपनी ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी और तर्क दिया कि प्रीमियम जब्त करना संविधान के अनुच्छेद 226 का उल्लंघन है।
जनवरी 2023 में हाईकोर्ट ने मोजर बेयर का पक्ष लेते हुए राज्य को 7 प्रतिशत ब्याज के साथ प्रीमियम वापस करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद सरकार राशि जमा करने के अदालत के आदेशों का पालन करने में विफल रही। इसके बाद अदालत ने इस साल की शुरुआत में सरकार के लिए अपनी अंतरिम सुरक्षा वापस ले ली। फिलहाल इसका परिणाम हिमाचल भवन की कुर्की और न्यायालय की ओर से बकाया राशि वसूलने के लिए नीलामी की कार्यवाही की अनुमति के रूप में सामने आया।
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बीजेपी ने कांग्रेस सरकार को घेरा
हिमाचल भवन पर फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पाई है। प्रदेश की इज्जत मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ने तार-तार कर दी है। हिमाचल आज नीलामी के दहलीज पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश के हाइडल पावर का एक चौथाई बिजली उत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है, जिसे और बढ़ाया जा सकता है, लेकिन हर दिन सरकार अपनी तानाशाही से कोई ना कोई अव्यवहारिक नियम लाकर बिजली उत्पादन की संभावना को खत्म कर रही है, जिससे यहां पर निवेशक ना आएं। निजी सेक्टर के साथ-साथ सरकार ने केंद्र सरकार के उपक्रम जो हाइडल बिजली उत्पादित करते हैं, उन्हें भी रोकने की कोशिश की गई है।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा- 'कांग्रेस और राहुल गांधी की खटाखट राजनीति का खामियाजा हिमाचलियों को दिल्ली में हिमाचल की पहचान बन चुके हिमाचल भवन को गवां कर चुकाना पड़ेगा। ये उनकी प्रतिष्ठा पर बड़ा धक्का है। अदालत ने प्रधान सचिव बिजली को फैक्ट फाइंडिंग जांच कर उन अधिकारियों का पता लगाने के आदेश भी दिए हैं, जिनकी वजह से बिजली कंपनी की रकम अदालत के आदेशों के बाद भी जमा नहीं कराई गई। खजाना उड़ाएं कांग्रेस के नेता और गाज गिरे अधिकारियों पर?'
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 19 November 2024 at 13:45 IST