अपडेटेड 12 August 2024 at 17:32 IST

'पॉक्सो एक्ट में HE का मतलब सिर्फ पुरुष नहीं', महिला को भी बनाया जा सकता है आरोपी, HC ने किया साफ

हाई कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट की धारा 3 में लिखे HE का मतलब केवल पुरुषों से ही नहीं है। इस तरह के मामलों में जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता।

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Delhi High Court on POCSO Act
पॉक्सो एक्ट पर दिल्ली हाई कोर्ट | Image: PTI, Shutterstock

Delhi High Court: पॉक्सो एक्ट में He का मतलब पुरुष नहीं है। मामले में महिला को भी आरोपी बनाया जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान इसे स्पष्ट किया है।

जस्टिस अनूप भंभानी ने कहा कि पॉक्सो एक्ट में 'पेनेट्रेटिव यौन हमला' और 'गंभीर पेनेट्रेटिव यौन हमला' मामले में पुरुष और महिला दोनों को ही आरोपी बनाया जा सकता है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा पॉक्सो एक्ट की धारा 3 में लिखे HE का मतलब केवल पुरुषों से ही नहीं है। इस तरह के मामलों में जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता।

क्या है पूरा मामला...?

पूरा मामला कुछ ऐसा है कि एक महिला के खिलाफ साल 2018 में बच्चे के साथ यौन हिंसा का केस दर्ज हुआ था। मामले में मार्च 2024 में महिला पर आरोप तय किए गए। हालांकि इसके बाद महिला इस केस को लेकर हाई कोर्ट में पहुंच गई। उसने हाई कोर्ट में ये दलील देते हुए चुनौती दी कि पॉक्सो एक्ट की धारा 3 और 5 के तहत उसको आरोपी नहीं बनाया जा सकता।

महिला की ओर से कहा गया कि एक्ट की धारा 3 और 5 के अंतर्गत केवल पुरुषों को ही पॉक्सो एक्ट में आरोपी बनाया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें 'HE' शख्स का उल्लेख है।

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'जेंडर के आधार पर कोई भेदभाव नहीं'

हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान कहा गया कि यहां HE का मतलब केवल पुरुषों से नहीं हैं। इस एक्ट के तहत महिला और पुरुषों दोनों को ही आरोपी बनाया जा सकता है। जस्टिस अनूप भंभानी ने कहा कि पॉस्को एक्ट को इस वजह से बनाया गया है, जिससे बच्चों को यौन अपराधों से बचाया जा सके। फिर वह अपराध चाहे महिला ने किया हो या पुरुष ने।

उन्होंने कहा कि पॉस्को एक्ट की धारा 2(2) के प्रावधानों को देखते हुए HE की परिभाषा पर वापस लौटना होगा। जैसा IPC की धारा 8 में है। इसमें HE का इस्तेमाल महिला और पुरुष दोनों के लिए हुआ है।

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जान लें कि पॉस्को एक्ट के प्रावधान के अनुसार बच्चों के प्राइवेट पार्ट में किसी भी वस्तु का प्रवेश करना यौन अपराध के तहत आता है। इस एक्ट की धारा 3 में पेनिट्रेटिव यौन हमला और धारा 5 में गंभीर पेनिट्रेटिव यौन हमले आता है।

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 12 August 2024 at 17:32 IST