Updated June 12th, 2019 at 21:08 IST
तीन तलाक पर मोदी सरकार का मुस्लिम महिलाओं को तोहफा, इसी सत्र में आएगा नया बिल
यह विधेयक भाजपा-नीत पूर्ववर्ती राजग सरकार की ओर से फरवरी 2019 में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा।
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सरकार गठन के कुछ दिन बाद ही पीएम मोदी ऐक्शन में भी आ गए। नई मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में ही तीन तलाक बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी दी।
यह विधेयक भाजपा-नीत पूर्ववर्ती राजग सरकार की ओर से फरवरी 2019 में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। जावड़ेकर ने कहा कि नया विधेयक सोमवार से शुरू हो रहे संसद के नए सत्र में पेश किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भी तीन तलाक विधेयक पेश किया था, लेकिन लोकसभा में मंजूरी मिलने के बावजूद यह विधेयक राज्यसभा में पास नहीं हो पाया। जिसके बाद पिछले महीने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही यह बिल भी खत्म हो गया था।
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद सबसे पहले 17 जून से शुरू हो रहे 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में पेश किया जाएगा। पिछली बार राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं होने की वजह से विपक्ष इस विधेयक को रोकने में कामयाब हो गया था। ऐसे में इस बार इस विधेयक पर राज्य सभा के रुख पर सभी की निगाहें होंगी।
विपक्ष राज्यसभा में विधेयक के प्रावधानों का विरोध करता रहा है और राज्यसभा में सरकार के पास संख्याबल की कमी है । एक बार में तीन तलाक की परंपरा को दंडनीय अपराध बनाने वाले मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक का विपक्षी दलों ने विरोध किया । विपक्ष का दावा है कि अपनी पत्नी को तलाक देने वाले पति के लिए जेल की सजा कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है ।
सरकार दो बार तीन तलाक पर अध्यादेश लागू कर चुकी है । मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2019 के तहत, एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य रहेगा और ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास का प्रावधान रहेगा ।
सितंबर 2018 में लागू पिछले अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए पेश विधेयक को दिसंबर में लोकसभा ने तो मंजूरी दे दी थी लेकिन यह राज्यसभा में लंबित था ।
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Published June 12th, 2019 at 21:08 IST
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