अपडेटेड 1 January 2024 at 11:17 IST
Kashi-मथुरा भी हमें मिल जाना चाहिए, अब 500 साल नहीं लगेंगे, साध्वी ऋतंभरा ने अयोध्या पर कही ये बात
साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि 22 जनवरी की दीपावली खास है। हमारी आस्था के दिए जल गए।
- भारत
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(लोमस झा)
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय अब बेहद करीब आता जा रहा है। 22 जनवरी के ऐतिहासिक दिन का हर कोई साक्षी बनना चाहता है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से न्यौता भी भेजे जा चुके हैं। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहला निमंत्रण साध्वी ऋतंभरा को भेजा गया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का मिशन ही राम मंदिर था।
खबर में आगे पढ़ें:
- प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर साधु-संत आनंदित
- मेरे जीवन का मिशन ही राम मंदिर था- साध्वी ऋतंभरा
रिपब्लिक भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में साध्वी ऋतंभरा ने कहा, "भगवान राम 22 को विराजमान होंगे, सब आनंदित हैं, सब खुश हैं। पूरा भारत अयोध्या के तरह जगमग करेगा। मेरे जीवन का मिशन ही राम मंदिर था। पहले मुक्ति और अब भव्य राम मंदिर वो पूरा हुआ। अब जीवन बोनस है। भगवान राम को अपनी जन्मभूमि बहुत प्यारी थी।"
राम बनकर जीने के लिए उनका साथ, सामर्थ और शौर्य चाहिए...
उन्होंने कहा कि राम बनकर जीने के लिए उनका साथ, सामर्थ और शौर्य चाहिए, बहुत संघर्ष था, लेकिन ये कदम रूक नहीं सकते थे। सड़कों से लोग कानून के गलियारों में भी लड़ाई लड़ी गई। अब वो लक्ष्य प्राप्त हो चुका है। जैसे वर्षों से खोए प्रेमी प्रेमिका मिल जाए ऐसा लगता है। ना बोला जा रहा है ना बिना बोले रहा जा रहा है।
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'22 जनवरी की दीपावली खास...'
साध्वी ऋतंभरा ने कहा, "ये 22 जनवरी की दीपावली खास है क्योंकि अयोध्या में तो तब राम जी 14 वर्ष बाद लौटे थे लेकिन यहां तो 500 साल संघर्ष चलता रहा। हमारी आस्था के दिए जल गए। हमारे स्वाभिमान की ज्वाला प्रकट हो गई है। हमारा स्वाभिमान खंड-खंड था। अब दोबारा खड़ा हो गया है। हमारी संतानों को ये पता चलता कि हमारी तीन पीढ़ियां लूजर रहीं कैसा लगता था। उसके लिए सरयू नदी के जल से संकल्प लेना था। कंकर कंकर शंकर होना था।"
उन्होंने कहा कि मेरी बहुत सभाएं होती थी लेकिन कई बार जब हम ट्रेन से जाते थे तो हर स्टेशन पर सभा होती थी। जय श्री राम के नारे लगते थे। पूरा प्लेटफार्म भर जाता था। कांग्रेसी नेता भी पैर छूकर बोलते थे कि आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं। मेरे प्रभु राम ने अहिल्या को पत्थर से प्रकट किया।
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राम नगरी के बाद श्री कृष्ण नगरी की बारी...
साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि हमारे सभी संतों का संकल्प है कि बाबा विश्वनाथ, कृष्ण जन्मभूमि, श्रीराम जन्मभूमि ये हमारे तीन प्रमुख स्थान हैं। बहुत सौहार्द से हमें मिल जाना चाहिए। लेकिन अब 500 साल नहीं लगेंगे। अब सब जागृत हैं। राम सबके हैं। हमने राम को अपनाया है। राम प्रेम और दया के सागर हैं। बस विपक्ष को यह दिख नहीं रहा है।
Published By : Arpit Mishra
पब्लिश्ड 31 December 2023 at 21:33 IST