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अपडेटेड 3 June 2025 at 17:59 IST

खसरा खतौनी से मिट गया परवेज मुशर्रफ के परिवार का नाम, बागपत में 13 बीघा जमीन नीलाम, क्या होती है शत्रु संपत्ति?

Enemy Property : शत्रु संपत्ति अधिनियम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करता है कि शत्रु देशों के नागरिकों की संपत्तियां भारत के खिलाफ इस्तेमाल न हों। इन संपत्तियों को बेचकर भारत सरकार विकास कार्यों के लिए धन जुटाती है।

Reported by: Sagar Singh
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13 bighas land of  former Pakistan President Pervez Musharraf family auctioned in Baghpat, what is enemy property
परवेज मुशर्रफ के परिवार की 13 बीघा जमीन नीलाम, क्या होती है शत्रु संपत्ति? | Image: Republic

Baghpat News : उत्तर प्रदेश के बागपत में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार की 13 बीघा जमीन शत्रु संपत्ति (Enemy Property) के रूप में दर्ज थी। इसे पर सरकार ने नीलाम कर दिया है। इस जमीन को एक करोड़ 38 लाख 16 हजार रुपये में 3 खरीदारों ने ऑनलाइन बोली के माध्यम खरीदा है। प्रशासन ने इस जमीन का बेस प्राइज 39 लाख रुपये रखा था। इसके साथ ही परवेज मुशर्रफ और उसके परिवार का नाम बागपत की जमीन से मिट गया है।

भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले परवेज मुशर्रफ के पिता मुशर्रफुद्दीन और माता बेगम जरीन बागपत के कोताना गांव में रहते थे। बंटवारे के बाद मुशर्रफ के परिवार के सभी लोग पाकिस्तान चले गए थे और उनकी जमीन पर लोगों ने कब्जा कर खेती बाड़ी शुरू करदी थी। हाल ही में परवेज मुशर्रफ की संपत्ति को प्रशासन ने शत्रु संपत्ति घोषित किया था। इस 13 बीघा जमीन को दो बागपत ओर एक गाजियाबाद के व्यक्ति ने खरीदा है।

क्या होती है शत्रु संपत्ति?

शत्रु संपत्ति से तात्पर्य उन संपत्तियों से है, जो 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे या 1962 (चीन के साथ), 1965 और 1971 (पाकिस्तान के साथ) के युद्धों के बाद पाकिस्तान या चीन चले गए और वहां की नागरिकता स्वीकार कर ली। भारत में उन लोगों के स्वामित्व वाली संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत अपने कब्जे में लिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि इन संपत्तियों का उपयोग भारत के खिलाफ न किया जा सके।

शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968

इस कानून को भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद लागू किया गया था। इसके तहत, शत्रु देशों के नागरिकों की भारत में चल-अचल संपत्तियों को सरकार अधिग्रहित करती है। इसमें जमीन, मकान, शेयर और सोना आदि आते हैं। इन संपत्तियों का प्रबंधन भारत के लिए शत्रु संपत्ति संरक्षक (Custodian of Enemy Property for India) द्वारा किया जाता है।

2017 का संशोधन

2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम (संशोधन और विधिमान्यकरण) पारित किया था, इससे ये कानून और भी सख्त हो गया है। इस संशोधन में शत्रु और शत्रु फर्म की परिभाषा का विस्तार कर शत्रु के कानूनी उत्तराधिकारी भी शामिल किए गए हैं। संशोधन के अनुसार, ऐसी संपत्तियां कस्टोडियन में निहित रहेंगी। उत्तराधिकार का कानून इन संपत्तियों पर लागू नहीं होता, जिससे कानूनी वारिसों का दावा खत्म हो जाता है।

भारत में करीब 12,611 शत्रु संपत्तियां हैं, जिनकी अनुमानित कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इनमें 12,485 संपत्तियां पाकिस्तानी नागरिकों और 126 चीनी नागरिकों से संबंधित हैं। सबसे अधिक 6,255 शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश और फिर 4,088 संपत्तियां पश्चिम बंगाल में हैं। सरकार इन संपत्तियों में मौजूदा कब्जेदारों को प्राथमिकता के आधार पर खरीदने का अधिकार देती है। अगर कब्जेदार मना करता है, तो संपत्ति नीलाम की जाती है।

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पब्लिश्ड 3 June 2025 at 17:59 IST