अपडेटेड 30 April 2025 at 14:21 IST

पाकिस्तान पर भारत की वाटर स्ट्राइक का सबूत आया, सियालकोट के पास चिनाब नदी सूखी; पहले और अब की तस्वीरें देखिए

वाटर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान पर प्रहार की शुरुआत की जा चुकी है। पहले स्ट्राइक के सबूत मांगने वालों के लिए वाटर स्ट्राइक के सबूत भी अब सामने आ चुके हैं।

Follow : Google News Icon  
Before After Images Show Dry River Bed Of Chenab As India Turns Off The Tap For Pakistan In Response To Pahalgam
भारत की वाटर स्ट्राइक के बाद चेनाब नदी की तस्वीर आई. | Image: Republic

India Water Strike: उरी और बालाकोट स्ट्राइक से पाकिस्तान ने सबक नहीं लिया, लेकिन इस बार भारत ने आतंकियों के आका को सही से सबक सिखाने का मन बनाया है। वाटर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान पर कड़े प्रहार की शुरुआत की जा चुकी है। पहले की स्ट्राइक के सबूत मांगने वालों के लिए वाटर स्ट्राइक के सबूत भी अब सामने आ चुके हैं।

भारत ने पाकिस्तान को जिस सिंधु जल संधि के जरिए पानी मिलता रहा है, वो हिंदुस्तान ने पहलगाम अटैक के ठीक बाद ही बंद कर दिया। पाकिस्तान की 80% सिंचित भूमि सिंधु नदी पर निर्भर है, जिसको लेकर भारत ने इस संधि को ही फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। हफ्तेभर पहले उठाए इस कदम को पाकिस्तान के खिलाफ वाटर स्ट्राइक माना गया है। फिलहाल इसके सबूत ये हैं कि पाकिस्तान की ओर बहने वाला पानी रुक चुका है और सियालकोट के पास चिनाब नदी सूख चुकी है। भारत सरकार के फैसले से पहले और बाद की तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें अंतर साफ दिखाई दिया है।

Image: Republic

सिंधु जल संधि का इतिहास

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित हुई थी। यह संधि दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता है। इसके तहत: पूर्वी नदियाँ (सतलुज, ब्यास, और रावी) मुख्य रूप से भारत के उपयोग के लिए हैं। पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, और चिनाब) मुख्य रूप से पाकिस्तान के लिए हैं, लेकिन भारत को इन पर जलविद्युत परियोजनाएं बनाने का सीमित अधिकार है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब और झेलम नदियों पर कई जलविद्युत परियोजनाएं शुरू कीं, जिन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी। हालांकि, भारत का कहना रहा है कि ये परियोजनाएँ संधि के नियमों के अनुरूप हैं।

सिंधु जल समझौता रद्द होने से PAK को कितना नुकसान?

कृषि पर गहरा असर: पाकिस्तान की 80% सिंचित भूमि सिंधु नदी पर निर्भर है। जल आपूर्ति में रुकावट आने से गेहूं, चावल और कपास जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार घट सकती है। इससे खाद्य संकट, किसानों की आजीविका पर असर और ग्रामीण बेरोजगारी बढ़ने की आशंका है।

Advertisement

अर्थव्यवस्था और ऊर्जा संकट: सिंधु नदी से चलने वाली जल विद्युत परियोजनाएं—जैसे तरबेला और मंगला डैम—पाकिस्तान की बिजली का लगभग 30% हिस्सा पैदा करती हैं। यदि पानी की आपूर्ति रुकी, तो बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे देश में ऊर्जा संकट गहरा सकता है।

शहरी इलाकों पर दबाव: कृषि संकट के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर शहरी पलायन हो सकता है, जिससे लाहौर, कराची जैसे शहरों पर जनसंख्या का दबाव और बढ़ेगा।

Advertisement

भूमि की उर्वरता पर असर: पानी की कमी से सिंचाई घटेगी, जिससे जमीन में लवणता (salinity) बढ़ेगी और कृषि योग्य भूमि बंजर होती जाएगी। यह समस्या पहले ही पाकिस्तान की 43% कृषि भूमि को प्रभावित कर रही है।

भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान को न केवल पानी और ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता पर भी बड़ा असर पड़ेगा। यह कदम भारत का आतंकवाद के खिलाफ कठोर संदेश भी है कि अब सिर्फ शब्दों से नहीं, एक्शन से जवाब मिलेगा।

यह भी पढ़ें: नेटवर्क बनाना, रास्ते बताना; पहलगाम हमले में फारुख अहमद का नाम, खुले राज

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 30 April 2025 at 14:14 IST