अपडेटेड 27 July 2025 at 17:26 IST

Haridwar Mansa Devi Stampede: महाभारत से लेकर बिहार-बंगाल तक, अलग-अलग रूपों में होती है पूजा; जानिए मनसा देवी की कहानी

देवी मनसा की मौजूदगी पुराण कथाओं से लेकर बिहार और बंगाल तक है। जानें उनकी पौराणिक कथा और महत्व।

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Devi Mansa
माता मनसा देवी | Image: @mansadevi.org.in

Devi Mansa Temple: हरिद्वार के मनसा देवी में मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर भगदड़ मच कई, प्रशासन का कहना है कि फिलहाल स्थिति काबू में है। हाल के दिनों में धार्मिक स्थलों पर हुए भगदड़ की घटनाओं में कई लोगों के जान गंवानी पड़ी है। वहीं, देवी मानसा की भारत के कई राज्यों में भारी मान्यता है। देवी मनसा की पूजा उत्तर भारत के कई राज्यों के साथ बिहार, बंगाल और आसाम में बड़े ही उत्साह के साथ की जाती है। नागपंचमी के मौके पर तो इन तीनों ही प्रदेशों में मनसा मां की विशेष पूजा होती है, जिन्हें विषहरी देवी, बारी माता और पश्चिम बंगाल बिषोहोरि कहा जाता है। इसके साथ ही हरियाणा के पंचकूला में स्थित माता मनसा देवी मंदिर भी करोड़ों सनातनियों के आस्था का केंद्र है। ये पूरे देश की सांस्कृतिक विरासत का एक प्रतीक है। मान्याताएं है कि माता मनसा देवी आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती है। 

पुराण कथाओं में देवी मनसा को नागों की रक्षिका, विष हरने वाली देवी और शिवजी की पुत्री बताया गया है। एक कथा के मुताबिक, नाग माता कद्रू ने एक बार एक कन्या की प्रतिमा बनाई और शिव के मस्तक से टपके पसीने से वह साकार हो उठी। शिवजी ने उसका नाम मनसा रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।

महाभारत में देवी मनसा का जिक्र 

महाभारत में देवी मनसा का जिक्र बड़े ही विस्तार से मिलता है। जब नैमिषारण्य में जुटे सभी ऋषियों को उग्रश्रवा ऋषि राजा जन्मेजय के सर्प सत्र यज्ञ का हाल सुनाते हैं तो सभी ऋषि उनसे इस विनाशकारी यज्ञ के होने का कारण पूछते हैं।

देवी मनसा की लोककथा 

पश्चिम बंगाल के लोक मानस काव्य मनसा मंगल में देवी मनसा की कथा है जिसके मुताबिक, इस कथा में देवी मानसा अपनी पूजा कराने को लेकर इच्छा रखती है। जिसमें वह चांद सौदागर नाम के एक व्यापारी को कहती हैं, कि वह शिव के साथ उनकी भी पूजा करे। चांद सौदागर इससे इनकार कर देता है और कहता है कि उसकी आस्था सिर्फ शिवजी में ही है। माता मनसा देवी के सबसे बड़े मंदिरों में से एक हरियाणा के पंचकूला में स्थित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है और देवी मनसा को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव की मानस पुत्री माना जाता है।  

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देवी मनसा का महत्व 

देवी मनसा को विष हरने वाली देवी माना जाता है और उनकी पूजा से सर्पदंश का भय नहीं रहता। वह औषधियों की प्रणेता और बूटियों की देवी बनकर वनदेवी कहलाती हैं। देवी मनसा का जिक्र महाभारत से लेकर बिहार और बंगाल तक मिलता है और उनकी मौजूदगी पुराण कथाओं में भी अलग-अलग भूमिकाओं के तौर पर दर्ज हैं। देवी मनसा की पूजा और उनकी पौराणिक कथा का महत्व बिहार, बंगाल और आसाम में बहुत ज्यादा है। उनकी पूजा से सर्पदंश का भय नहीं रहता और वह विष हरने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 27 July 2025 at 17:10 IST